Putin Arrest: पुतिन होंगे गिरफ्तार? ICC के पास क्या हैं अधिकार, रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ जारी वारंट का क्या है मतलब, जानें विस्तार से

स्टोरी शेयर करें


अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और एक दूसरे रूसी अधिकारी के लिए युद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया। यहां अदालत, वारंट और रूस के नेता के लिए इसका क्या मतलब हो सकता है, इस पर करीब से नजर डालते हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने वारंट क्यों जारी किया?

अदालत का कहना है कि रूस के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण पिछले साल फरवरी में शुरू होने के बाद से पुतिन यूक्रेनी बच्चों के अपहरण और निर्वासन के लिए व्यक्तिगत आपराधिक जिम्मेदारी वहन करते हैं। अदालत ने बच्चों के अधिकारों के लिए रूस की आयुक्त मारिया लावोवा-बेलोवा के लिए भी एक वारंट जारी किया, जो क्रेमलिन-प्रायोजित कार्यक्रम का सार्वजनिक चेहरा रही हैं जिसमें यूक्रेनी बच्चों और किशोरों को रूस ले जाया गया है। 

इसे भी पढ़ें: VSHORADS: रूस हैरान, चीन-पाकिस्तान परेशान, भारत ने चुपचाप बनाया S-400 जैसा हथियार

 रूस ने फैसले को अवैध बताया

रूस ने आईसीसी के फैसले को नामंजूर किया है। रूस ने कहा है कि आईसीसी का फैसला अपमानजनक और अस्वीकार्य है। रूस ने कहा कि कानूनी रूप से आईसीसी का ये फैसला हमारे लिए अवैध है। आपको बता दें रूस इंटरनेशनल कोर्ट के नियमों को नहीं मानता है। आईसीसी की स्थापना के वक्त रूस ने समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। 

बाइडेन ने फैसले को सही ठहराया 

संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय का निर्णय उचित है। बाइडेन ने कहा कि ने कहा कि पुतिन ने साफ तौर पर युद्ध अपराध किए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “ठीक है, मुझे लगता है कि यह उचित है। उन्होंने आगे कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं है लेकिन एक बहुत मजबूत बिंदु बनाता है। 

इसे भी पढ़ें: पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी Waqar Younis के टैलेंट को बीमारी की हालत में पहचान गए थे Imran Khan, इस स्थिति में देखा था मुकाबला

अब आगे क्या होगा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आईसीसी के पास संदिग्धों की गिरफ्तारी की सख्ती है ही नहीं। ऐसे में पुतिन पर कार्रवाई की गुंजाइश न के बराबर है। आईसीसी की तरफ से केवल और केवल सदस्य देशों में अधिकारों का इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी जो आईसीसी के सदस्य देश हैं वहीं पर ये कार्रवाई संभव है। आईसीसी की स्थापना के वक्त समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश ही केवल सदस्य हैं और रूस जब इसमें शामिल ही नहीं है, ऐसे में कार्रवाई नहीं हो सकती है। 



स्टोरी शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Pin It on Pinterest

Advertisements