इलेक्ट्रिक कारों की इंटरनेशनल सेल्स पहली बार 10 लाख यूनिट्स से ज्यादा

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पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) की बिक्री तेजी से बढ़ी है। इस वर्ष जनवरी में पहली बार इलेक्ट्रिक कारों की इंटरनेशनल सेल्स वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 69 प्रतिशत बढ़कर 10 लाख यूनिट्स से अधिक की रही है। पिछले वर्ष जनवरी में यह 6,60,000 यूनिट्स की थी। 

एक मीडिया रिपोर्ट में मार्केट रिसर्च फर्म Rho Motion के हवाले से बताया गया है कि जनवरी में यूरोपियन मार्केट्स में EV की सेल्स 92,741 यूनिट्स की थी। चीन में यह आंकड़ा (प्लग-इन हाइब्रिड को मिलाकर) सात लाख यूनिट्स से अधिक का था। यह एक महीना पहले की तुलना में 37 प्रतिशत की गिरावट है। हालांकि. वर्ष-दर-वर्ष आधार पर इसमें लगभग 79 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ कारणों से इस वर्ष EV की सेल्स में ग्रोथ कुछ घट सकती है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (ICCT) की स्टडी के अनुसार, वर्ष 2029 तक पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारों और EV के प्राइसेज समान हो सकते हैं। यह इस अनुमान पर आधारित है कि बैटरी की कॉस्ट में गिरावट जारी रहेगी और व्हीकल चलाने और मेंटेनेंस की कॉस्ट घटने से EV की बड़ी संख्या में बिक्री होगी। 

इस मार्केट की बड़ी कंपनियों में अमेरिका की Tesla और चीन की BYD शामिल हैं। टेस्ला जल्द भारत में बिजनेस शुरू कर सकती है। केंद्र सरकार 30 लाख रुपये से अधिक के प्राइस वाली इलेक्ट्रिक कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी में दो से तीन वर्ष के लिए छूट देने पर विचार कर रही है। देश में 40,000 डॉलर से अधिक की कारों पर इम्पोर्ट टैक्स 100 प्रतिशत का है। इससे कम प्राइस वाली कारों पर 60 प्रतिशत इम्पोर्ट टैक्स लागू है। हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि टेस्ला को EV बनाने की फैक्टरी लगाने के लिए कम इम्पोर्ट टैक्स की पेशकश की जा सकती है। 

हाल ही में टेस्ला ने संकेत दिया था कि अगर सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक कारों के इम्पोर्ट पर टैक्स को घटाकर 15 प्रतिशत किया जाता है तो वह दो अरब डॉलर तक का इनवेस्टमेंट कर सकती है। सरकार चाहती है कि विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियां देश में व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग करें। इससे EV के प्राइसेज में घटेंगे और रोजगार के अवसर बढ़ सकेंगे। हालांकि, देश की ऑटोमोबाइल कंपनियां EV के इम्पोर्ट पर टैक्स में छूट देने का विरोध कर रही हैं। टेस्ला भी अन्य देशों में चाइनीज ऑटोमोबाइल कंपनियों पर टैक्स बढ़ाने की मांग कर रही है। कंपनी के CEO, Elon Musk का कहना है कि अगर चाइनीज ऑटोमोबाइल कंपनियों पर ट्रेड से जुड़ी बंदिशें नहीं लगाई गई तो वे ग्लोबल ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए खतरा बन सकती हैं। टेस्ला को BYD से कड़ी टक्कर मिल रही है। 
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