Prabhasakshi Exclusive: US-China के तेजी से बिगड़ते रिश्तों से आखिर India को क्या-क्या बड़े लाभ हो रहे हैं?

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प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से हमने जानना चाहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री चीन होकर आये तो लगा कि दोनों देशों के संबंधों में सुधार हुआ है लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ने जिस तरह चीनी राष्ट्रपति को तानाशाह करार दिया वह दर्शा रहा है कि संबंध बेहद खराब दौर में हैं। क्या वाकई ऐसा है? इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति की चीनी राष्ट्रपति के बारे में टिप्पणी पर जिस तरह रूस की प्रतिक्रिया आई है उसे कैसे देखते हैं आप? चीन से जुड़ा एक सवाल यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन से संबंधों को लेकर अमेरिका यात्रा से पहले बड़ा बयान दिया। इस बीच चीन ने साजिद मीर को ‘वैश्विक आतंकवादी’ घोषित कराने की राह में अवरोध पैदा किया। चीन कहता है कि ‘ऑल इज वेल’ लेकिन भारत बार-बार कह रहा है कि सबकुछ तब तक ठीक नहीं होगा जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिरता और शांति नहीं होगी। इसे कैसे देखते हैं आप?
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका के संबंध खराब दौर में पहुँचे हैं तो उसकी वजह चीन ही है। देखा जाये तो जिस किसी भी देश के साथ चीन के संबंध खराब हुए हैं उसका मुख्य कारण चीन की गलतियां या दादागिरी वाला रवैया ही होता है। अमेरिका के विदेश मंत्री चीन गये तो कोई खास उपलब्धि हासिल होने की पहले भी उम्मीद नहीं थी। लंबे समय बाद अमेरिकी विदेश मंत्री चीन गये लेकिन जिस तरह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का रवैया रहा उसी को देखते हुए ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हें तानाशाह करार दिया। हालांकि उन्होंने यह उम्मीद भी जताई है कि आने वाले समय में चीन के साथ सार्थक बातचीत हो सकती है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक भारत और चीन के संबंधों की बात है तो यह नरम गरम चल ही रहे हैं। प्रधानमंत्री पहले दिन से कह रहे हैं कि चीन को वादों पर खरा उतरना होगा। अमेरिका यात्रा से पहले भी उन्होंने चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को ‘आवश्यक’ करार देते हुए कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है। ज्ञात हो कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को भारत और चीनी सेनाओं के बीच संघर्ष हो गया था। यह पिछले पांच दशक में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इस तरह का पहला संघर्ष था और इससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आ गया था। चीनी के साथ हुए झड़पों में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। चीन ने फरवरी 2021 में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि झड़पों में उसके पांच सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे। हालांकि, माना जाता है कि मारे गए चीनी सैनिकों की संख्या बहुत अधिक थी। दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर तनाव कम करने के लिए बातचीत कर रही हैं, क्योंकि अभी भी कुछ स्थानों पर दोनों पक्ष के बीच गतिरोध कायम है। हालांकि, कुछ अन्य स्थानों से दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं। पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध बढ़ने के बाद, सेना ने क्षेत्र में अपनी अभियानगत क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
उन्होंने कहा कि इस बीच, दोनों देशों की सेनाओं के बीच अब तक 18 दौर की उच्चस्तरीय वार्ता हो चुकी है, जिसका मकसद टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाना और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बहाल करना है। भारत का लगातार कहना रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी आठ जून को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होने तक चीन के साथ संबंधों के सामान्य होने की कोई भी उम्मीद करना निराधार है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर, भारत ने पाकिस्तान में रहने वाले लश्कर-ए-तैयबा नेता साजिद मीर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित किये जाने में रोड़ा अटकाने के लिए चीन पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह आतंकवाद के अभिशाप से लड़ने के लिए वास्तविक राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी को दर्शाता है। चीन ने मीर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत वैश्विक आतंकवादी के रूप में काली सूची में डालने और उसकी संपत्ति जब्त करने, उस पर यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका की ओर से पेश तथा भारत समर्थित प्रस्ताव पर मंगलवार को अवरुद्ध कर दिया था। पाकिस्तान में रहने वाला मीर 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल होने के मामले में वांछित है। न्यूयार्क में भारत के स्थायी मिशन के संयुक्त सचिव प्रकाश गुप्ता ने मंगलवार को कड़े शब्दों में कहा कि यदि “तुच्छ भू-राजनीतिक हितों” के कारण आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास विफल होते हैं, तो “आतंकवाद की इस चुनौती से ईमानदारी से लड़ने को लेकर हमारे पास सचमुच वास्तविक राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है।” गुप्ता ने मीर का एक ऑडियो क्लिप भी चलाया, जिसमें उसे मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों के दौरान पाकिस्तान के आतंकवादियों को निर्देश देते हुए सुना जा सकता है। उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2008 को सीमापार से आये 10 पूरी तरह से हथियारबंद आतंकवादियों ने मुंबई में घुसकर कहर बरपाया था। इन हमलों में 26 विदेशियों समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी।



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