Udayanidhi पर Kapil Mishra का वार, बोले- नाम रूस से लिया, धर्म रोम से और गाली सनातन को देने लगे

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तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन सनातन धर्म को लेकर दिए गए बयान की वजह से सुर्खियों में हैं। हालांकि, वह अभी सनातन धर्म’ के उन्मूलन के आह्वान वाली अपनी विवादास्पद टिप्पणी पर अड़े हुए हैं। उनके बयान के बाद देश भर में बड़े पैमाने पर राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है। भाजपा जबरदस्त तरीके से उनपर हमलावर हैं। इन सब के बीच भाजपा के फायर ब्रांड नेता कपिल मिश्रा ने भी उदयनिधि स्टालिन पर निशाना साधा है। उन्होंने एक ट्वीट के जरिए उदयनिधि स्टालिन पर निशाना साधा है।
 

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कपिल मिश्रा का वार

दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष कपिल मिश्रा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि स्टालिन ने नाम रशिया से लिया, धर्म रोम से लिया और गाली सनातन को देने लगे। उन्होंने कहा कि भारत की भूमि पर पैदा हुई हर धर्म परंपरा सनातन है, सबका मूल एक ही है। उन्होंने कहा कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन ये सब सनातन परंपरा का हिस्सा है। इन पर हमला करने वालों का सर्वनाश निश्चित है। सनातन था, है और रहेगा। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि यह दुखद है और भारत के लोग कभी इसे स्वीकार नहीं करेंगे। हम इसकी निंदा करते हैं। उन्हें(उदयनिधि स्टालिन) देश से माफी मांगनी चाहिए। पूरे गठबंधन(INDIA) की मानसिकता ही हिंदु विरोधी है। देश के लोग कभी गठबंधन के लोगों को स्वीकार नहीं करेंगे, गठबंधन को देश से माफी मांगनी चाहिए। 
 

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उदयनिधि ने क्या कहा

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) की युवा इकाई के सचिव एवं राज्य के युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को समानता एवं सामाजिक न्याय के खिलाफ बताते हुए कहा कि इसे समाप्त किया जाना चाहिए। उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया, और डेंगू वायरस एवं मच्छरों से होने वाले बुखार से करते हुए कहा कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं करना चाहिए बल्कि नष्ट कर देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘सनातनम क्या है? यह संस्कृत से आया शब्द है। सनातन समानता और सामजिक न्याय के खिलाफ होने के अलावा कुछ नहीं हैं।’’ उदयनिधि ने कहा, ‘‘सनातन का क्या अभिप्राय है? यह शास्वत है, जिसे बदला नहीं जा सकता, कोई सवाल नहीं कर सकता है और यही इसका मतलब है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि सनातन ने लोगों को जातियों के आधार पर बांटा। मंत्री ने कहा कि सब कुछ बदला जाना चाहिए और कुछ भी चिरस्थायी नहीं है। उन्होंने कहा कि वामपंथी आंदोलन और द्रमुक की स्थापना सभी पर सवाल करने के लिए की गई है।



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