निषेधाज्ञा के बीच सत्ताधारी पार्टी प्रदर्शन की अनुमति कैसे मांग सकती है: अदालत ने आप से पूछा

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) से पूछा कि एक ‘सत्तारूढ़’ राजनीतिक दल दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति कैसे मांग सकता है जबकि किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू हो।

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत पांच से अधिक लोगों के एक जगह एकत्र होने पर पाबंदी रहती है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने पानी के कथित तौर पर बढ़े हुए बिल के संबंध में 25 फरवरी को जंतर-मंतर पर 800 लोगों के ‘शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन’ के लिए अनुमति देने से पुलिस के इनकार को चुनौती देने वाली आप की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि उसे अनुमति दी जाती है तो ऐसे अन्य आवेदनों की बाढ़ आ जाएगी।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जब पी2 (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत एक आदेश) मौजूद है, तो एक सत्तारूढ़ पार्टी (अनुमति के लिए) कैसे आ सकती है? पी2 वहां है और आप को, सरकार के रूप में या एक पार्टी के रूप में , (अनुमति) नहीं दी जा सकती।’’

याचिकाकर्ता की ओर से मामले में उपस्थित वकील ने कहा कि धारा 144 के आदेश के बाद भी हजारों लोगों को सभा आयोजित करने की अनुमति दी गई और एक राजनीतिक दल को भी ‘बहुत बड़े धूमधाम’ के साथ अनुमति दी गई।

हालांकि, आप के वकील ने याचिका तब वापस ले ली जब अदालत ने कहा कि वह पुलिस के वकील को निर्देश लेने के लिए सोमवार तक का समय देगी।
याचिका में आप ने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने 25 फरवरी को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्णप्रदर्शन करने के उसके अनुरोध को ‘गलत और मनमाने ढंग से’ अस्वीकार कर दिया था।



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