दबाव के आगे झुके बिना कड़ी मेहनत और ईमानदारी से काम करें नौकरशाह : सक्सेना

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नयी दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में वी. के. सक्सेना के कार्यकाल का एक साल शुक्रवार को पूरा हो गया तथा इस अवसर पर उन्होंने अपने प्रशासन में किए गए कार्यों को सूचीबद्ध किया और दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी में पिछले एक दशक में भी इतना काम नहीं हुआ है।
उपराज्यपाल ने प्रभावी सेवा मुहैया कराने के लिए लोक सेवकों की क्षमता निर्माण संबंधी कार्यशाला में अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) काडर के आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारियों को संबोधित करते हुए उनसे दबाव के आगे झुके बिना ईमानदारी और कड़ी मेहनत से काम करने को कहा।

उन्होंने कहा, ‘‘दबाव के आगे झुके बिना कड़ी मेहनत एवं ईमानदारी से काम करो। कोई आपको छू नहीं सकता। आपका कोई नुकसान नहीं होगा।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित केंद्र सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और दानिक्स (दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीप सिविल सेवा) कैडर के अधिकारियों के स्थानांतरण तथा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के वास्ते शुक्रवार को एक अध्यादेश जारी किया।

पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि मामलों को छोड़कर अन्य सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली की निर्वाचित सरकार को देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक सप्ताह बाद केंद्र का अध्यादेश आया।
सक्सेना ने उनकी निगरानी में दिल्ली में हुए कार्यों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमने आपके सहयोग से एक साल में इतना काम किया है, जो शायद 10 साल में भी नहीं हो सकता था।’’
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में दिल्ली में 17 हजार लोगों को पक्की नौकरी दी गई। उन्होंने कहा कि अत्यधिक दूषित यमुना में एक प्रत्यक्ष बदलाव आया है और उम्मीद है कि नदी का पुराना गौरव बहाल हो जाएगा।
उपराज्यपाल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 28 साल और उसके बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आठ साल तक नदी की सफाई की निगरानी की, लेकिन नतीजा ‘‘सिफर’’ निकला।

उन्होंने कहा कि एनजीटी के आठ जनवरी के आदेश के बाद उन्हीं अधिकारियों के कार्यों में उल्लेखनीय अंतर आया है जो पहले भी परियोजना में शामिल थे। इस आदेश के तहत यमुना की सफाई के लिए उपराज्यपाल की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था।
सक्सेना ने दिल्ली जल बोर्ड के एक सहायक अभियंता का उदाहरण दिया, जो अपने भाई की मौत हो जाने के बावजूद एक दिन की छुट्टी के बाद काम पूरा करने के लिए ड्यूटी पर लौट आया था। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे जुनून और समर्पण के सामने कोई भी काम मुश्किल नहीं है।’’
उपराज्यपाल ने कहा कि दिल्ली के दामन के ‘कलंक’ तीन ‘कचरे के पहाड़ों’ (लैंडफिल स्थलों) को हटाने के काम में पिछले एक साल में तेजी आई है।

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सक्सेना ने दिल्ली सरकार के आईएएस अधिकारियों से कहा कि नौकरशाही मूल्यों पर आधारित एक प्रणाली है, जिसमें करुणा, कड़ी मेहनत और सकारात्मक दृष्टिकोण समाहित है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रणाली उस समय ढह जाती है, जब नौकरशाह लोगों से दूरी बनानी शुरू कर देते हैं। नौकरशाहों को लोकसेवक बनने के बजाए स्वयं को मालिक समझने की मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि यदि नौकरशाह स्वयं बाहर जाकर जमीनी हकीकत को नहीं समझेंगे, तो अपने कक्षों में बैठकर लिए गए उनके फैसले गलत साबित होंगे।
उपराज्यपाल ने कार्यशाला में मौजूद मुख्य सचिव नरेश कुमार की सराहना करते हुए उन्हें ऐसा ‘‘कर्मयोगी’’ बताया जो चौबीसों घंटे काम करने के लिए तैयार रहते हैं।



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