भारत रत्न और जयंत चौधरी संग समझौते से कुंद हो जाएगी किसान आंदोलन 2.0 की धार? मोदी सरकार के मास्टरस्ट्रोक ने साध लिए कई समीकरण

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फ़सल की कटाई ख़त्म होने के बाद, विरोध प्रदर्शन की अंतिम क्षणों की तैयारी का समय बस आ ही गया था। ट्रैक्टर ट्रॉलियों के ऊपर शेडों को वेल्ड किया जाने लगा और वाटरप्रूफ चादरें, गद्दे व सूखा राशन इकट्ठा किया जा रहा था। 2020-21 में दिल्ली में प्रमुख सड़कों को बाधित करने वाले किसानों का विरोध की तस्वीरें अभी भी लोगों के जेहन में ताजा है। जिसके बाद अब पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसान प्रोटेस्ट 2.0 की तैयारी चल रही है। सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैधानिक गारंटी सहित कई मांगों को लेकर 13 फरवरी को संसद तक मार्च करने की योजना में हैं। 8 फरवरी को दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर किसान पुलिस से भिड़ गए, मानो ये तो ट्रेलर मात्र है और पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त! इस घटनाक्रम की टाइमिंग भी काफी अहम है। 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, जब भाजपा नीत एनडीए सरकार केंद्र की सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए प्रयासरत है। आलम ये है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने किसान नेताओं से बात करने के लिए तीन मंत्रियों को भेजा। उन्होंने 8 फरवरी को बातचीत भी की। लेकिन अगले ही दिन एक खबर टीवी पर फ्लैश होते ही मामला पूरी तरह से बदलता नजर आया। पता चला कि चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की घोषणा सरकार की तरफ से की गई है। ये वो दो नाम हैं जिनकी किसान कसम खाते हैं।

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चौधरी साहब और स्वामीनाथन को भारत रत्न 

बीते दिनों लाल कृष्ण आडवाणी और जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न के ऐलान के बाद 9 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अन्य नामों की घोषणा कर दी। जिनमें हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन, चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव का नाम शामिल है। प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न दिया जाता है। 

किसानों के मुद्दों पर दिया बड़ा संदेश

मोदी सरकार ने एमएस स्वामीनावन और चौधरी चरण सिंह को ऐसे समय में भारत रत्न दिया है जब एक बार फिर किसानों का मामला गरम है। आम चुनाव से पहले किसान आंदोलन के मूड में है। लेकिन किसानों के अब तक के सबसे बड़े वैज्ञानिक और दूसरी ओर से किसानों के अब तक के सबसे नेता को भारत रत्न देकर मोदी सरकार ने बड़ा संदेश दे दिया। दरअसल, 2023 में जब दिल्ली में किसानों का आंदोलन हुआ तब सरकार बैकफुट पर आ गई थी। तव कहा गया कि सरकार ने वक्त रहते कदम नहीं उठाए, न ही सही तरीके से संवाद किया। इसका कुछ हद तक खामियाज बीजेपी को भुगतना पड़ा। लेकिन इस बार बीजेपी और केंद्र सरकार ने किसानों से जुड़े दो बड़े नाम को भारत रत्न देकर संदेश देने में जरूर सफलता पाई कि यह उनके मुद्दों के साथ है।

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 2020-21 के किसान आंदोलन से जुड़ी विरोध की जड़ें 

ढाई-तीन बरस पहले की ही बात है जब 2020-2021 में किसानों के विरोध प्रदर्शन ने केंद्र को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था। इन कानूनों ने कृषि उपज की खरीद में बाजार हस्तक्षेप, सुधार और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को वैधानिक समर्थन देकर भारतीय खेती को आधुनिक बनाने की मांग की। प्रदर्शनकारी किसान और उनकी यूनियनें मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान से थीं। 19 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से क्षमा मांगी और कहा कि सरकार कृषि कानूनों के बारे में किसानों के एक वर्ग को समझाने में विफल रही। पीएम मोदी ने प्रदर्शनकारी किसानों से अपने परिवार के पास घर लौटने और नई शुरुआत करने का आग्रह किया।

किसान आंदोलन 2.0 की तैयारी

किसान अभी भी केंद्र से एमएसपी पर मिले आश्वासन को कानूनी समर्थन मिलने का इंतजार कर रहे हैं। कई किसान जिनका नाम साल भर के विरोध प्रदर्शन के दौरान एफआईआर में दर्ज किया गया था, वे अपना नाम कटवाने का इंतजार कर रहे हैं। नवंबर 2023 में कृषि विरोधी कानूनों के विरोध की तीसरी वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर, पंजाब और हरियाणा के किसान तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए अपने ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों पर सवार होकर भारी संख्या में चंडीगढ़ पहुंचे। इस बीच, पंजाब और हरियाणा में किसानों ने 13 फरवरी के दिल्ली मार्च के लिए बड़ी संख्या में जुटना शुरू कर दिया। उन्होंने गांवों से गेहूं और अन्य खाद्य सामग्री एकत्र करना भी शुरू कर दिया और अपने वाहनों, मुख्य रूप से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को लंबी दूरी के लिए तैयार करना शुरू कर दिया।

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क्या चरण सिंह- स्वामीनाथन को भारत रत्न देने वाला फैक्टर काम करेगा? 

अगले ही दिन 9 फरवरी को सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और कृषिविद् एमएस स्वामीनाथन को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया। चरण सिंह और स्वामीनाथन दोनों ही किसानों और खेती से जुड़े हुए हैं। चरण सिंह किसानों के मसीहा कहे जाते और स्वामीनाथन को ‘भारत में हरित क्रांति के जनक’ के रूप में जाना जाता है। भारत रत्न की घोषणा के बाद पीएम मोदी के संदेश में किसान कनेक्शन को स्पष्ट रूप से स्पष्ट किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करना उनकी सरकार के लिए विशेषाधिकार की बात है। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने का उनके पोते और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) नेता जयंत चौधरी ने गर्मजोशी से स्वागत किया। जयंत चौधरी ने कहा कि यह मेरे लिए एक बड़ा दिन और भावनात्मक क्षण है। मैं राष्ट्रपति, सरकार और पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि यह उनके दृष्टिकोण का हिस्सा था। जयंत चौधरी राष्ट्रीय लोक दल, जिसका हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत मतदाता आधार है। 

राकेश टिकैत ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देना अच्छा है, लेकिन अगर वे एमएसपी को कानूनी समर्थन देते हैं तो सरकार को धन्यवाद देंगे। टिकैत ने कहा कि हम यही चाहते हैं। चौधरी चरण सिंह और स्वामीनाथन को पुरस्कार मिला क्योंकि वे इसके हकदार थे। किसान नेता ने पूछा, ‘क्या सरकार ने वोट के बदले उन्हें भारत रत्न दिया? राकेश टिकैत ने 2021 में किसान विरोध प्रदर्शन बंद होने के बाद से राजनीतिक दलों की तरह कई किसान यूनियनों में सरकार द्वारा समर्थित विभाजन का भी संकेत दिया। 



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