रूस लगातार आरोप लगा रहा है कि यूक्रेन के बहाने युद्ध को अमेरिका और उसके सहयोगी देश लड़ रहे हैं। रूस लगातार आरोप लगा रहा है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति कर इस लड़ाई को एक तरफ तो खींच रहे हैं दूसरी तरह वह वैश्विक मंचों पर अपील कर रहे हैं कि रूस युद्ध को समाप्त करे। रूस के इन आरोपों को तब और बल मिल गया जब यूक्रेन युद्ध से जुड़ी कुछ खुफिया जानकारी ऑनलाइन लीक हो गयीं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच के आदेश दे दिये हैं लेकिन लीक दस्तावेजों को जिस तरह लोग सोशल मीडिया पर जमकर शेयर कर रहे हैं उससे अमेरिका और नाटो की खूब फजीहत भी हो रही है। साथ ही इस पूरे प्रकरण से अमेरिकी खुफिया एजेंसी और साइबर सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं।
हम आपको बता दें कि जो दस्तावेज लीक हुए हैं उनमें दर्शाया गया है कि कैसे युद्ध में रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिका और नाटो ने विस्तृत योजना बनाई थी। इस बीच, दस्तावेजों के लीक होने पर राष्ट्रपति बाइडन से डांट खाने के बाद पेंटागन ने कहा है कि वह इस पूरे प्रकरण से अवगत है और मामले की समीक्षा कर रहा है। वहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर में कहा गया है कि जो दस्तावेज लीक हुए हैं उनमें कई चार्ट हैं जिनमें युद्ध से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां हैं। इसके अलावा लीक हुए दस्तावेजों में हथियारों की डिलीवरी से लेकर बटालियनों की ताकत के बारे में जानकारी और कुछ संवेदनशील विवरण भी शामिल हैं। यह सारी जानकारियां पांच सप्ताह पुरानी बताई जा रही हैं। इनमें सबसे ताजा तारीख 1 मार्च की डली हुई है।
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न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, लीक दस्तावेजों में यूक्रेन के 12 लड़ाकू ब्रिगेड के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी संक्षिप्त जिक्र है। इसमें बताया गया है कि 12 लड़ाकू ब्रिगेड में से नौ को अमेरिका और बाकी को नाटो बलों ने प्रशिक्षण दिया। हम आपको यह भी बता दें कि इन लीक दस्तावेजों में एक पर टॉप सीक्रेट वाला लेबल भी लगा था। लीक दस्तावेजों में दर्शायी गयी जानकारी के मुताबिक इसमें यूक्रेन में गोला-बारूद के खर्च की दरों का भी पूरा विवरण है। दस्तावेजों में हिमार्स रॉकेट सिस्टम और अमेरिका में बने आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम की जानकारी भी दी गयी है जोकि रूसी सेना के खिलाफ काफी प्रभावी साबित हुए हैं। दूसरी ओर, इन दस्तावेजों को रूसी टीवी चैनलों पर खूब दिखाया जा रहा है जिससे जनता को अमेरिका तथा नाटो की पूरी योजना पता चल सके। वहीं अमेरिका में बैठकों का दौर शुरू हो गया है कि कैसे जल्द से जल्द डैमेज कंट्रोल किया जाये।