Prabhasakshi Exclusive: Taliban की चेतावनी ‘जैसा बोओगे, वैसा काटोगे’ क्या Pakistan के खिलाफ युद्ध का संकेत है?

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प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि पाकिस्तान से बड़ी संख्या में लोग अफगानिस्तान लौटने को मजबूर हो रहे हैं जिसे एक और मानवीय संकट के रूप में क्यों देखा जा रहा है? हमने यह भी जानना चाहा कि क्या इस कवायद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध और बिगड़ सकते हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से हाल के दिनों में बढ़ी दुश्मनी के चलते पाकिस्तान जो कार्रवाई कर रहा है वह गलत है क्योंकि इससे एक बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार को तत्काल यह कार्रवाई रोकनी चाहिए अन्यथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता रोक देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जो कर रहा है वह अवैध कार्रवाई है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन भी है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि तालिबान के बर्बर शासन से डरकर पलायन करने वाले अफगान शरणार्थियों को सुनियोजित तरीके से जबरन निकालने की पाकिस्तान की योजना न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक अवैध है, बल्कि इससे भीषण मानवीय संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि ओसामा बिन लादेन के समय से ही यह ज्ञात था कि पाकिस्तान तालिबान के साथ मिलकर काम करता है क्योंकि यह अफगानिस्तान पर पकड़ बनाने का उसका छद्म तरीका रहा है। अब पाकिस्तान हताश प्रतीत होता है क्योंकि तालिबान पर उसकी पकड़ ढीली पड़ गई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अफगान शरणार्थियों के साथ वही करने की कोशिश कर रहा है जो इससे पहले वह अपने हिंदू एवं सिख अल्पसंख्यक नागरिकों के साथ कर चुका है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पाकिस्तान के इस कदम पर तालिबान ने जिस तरह नाराजगी जताई है उससे संकेत मिल रहा है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी भिड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों को बाहर निकालने पर पाकिस्तान को फटकार लगाई है। तालिबान शासन के रक्षा मंत्री मुल्ला मुहम्मद याकूब ने पश्तो में एक कहावत के साथ पाकिस्तान को फटकार लगाई- “जैसा बोओगे, वैसा काटोगे।” उन्होंने बताया कि बीबीसी पश्तो रेडियो से बात करते हुए याक़ूब ने कहा, “हम पाकिस्तानी सरकार से अफ़गानों के खिलाफ क्रूरता के कृत्यों को करने और उनकी संपत्ति और संपत्तियों को जब्त करने से परहेज करने का आग्रह करते हैं, क्योंकि ये कार्रवाई किसी भी कानूनी ढांचे के अनुरूप नहीं है।” तालिबान मंत्री ने जोर देकर कहा, “हम हर कीमत पर ऐसी कार्रवाइयों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी को भी अफगान शरणार्थियों की संपत्ति जब्त करने की अनुमति नहीं देंगे।” उन्होंने कहा कि इसी के साथ ही तालिबान के प्रधान मंत्री मुल्ला हसन अखुंद ने भी एक वीडियो बयान जारी किया, जिसमें कहा गया, “पाकिस्तानी शासकों, वर्तमान अंतरिम सरकार और सैन्य जनरलों को इस्लामी सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और भविष्य को प्राथमिकता देनी चाहिए और अफगान शरणार्थियों के साथ दुर्व्यवहार करने और उनकी संपत्तियों को जब्त करने से बचना चाहिए।” 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि लगभग चार दशकों से लाखों अफ़गानों ने युद्ध और अभाव से पीड़ित होकर पाकिस्तान में शरण ली है। अनुमान है कि उनकी संख्या लगभग 4 मिलियन है जिसमें से उचित दस्तावेज़ों के बिना लगभग 1.7 मिलियन लोग पाकिस्तान में रह रहे हैं। इनमें से कई लोगों ने व्यवसाय स्थापित कर लिया है। उन्होंने कहा कि सीमाओं की स्थिति अलग-थलग पड़े अफगानिस्तान और संकटग्रस्त तथा नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और तनावपूर्ण बना रही है। उन्होंने कहा कि अगर यह तनाव ज्यादा बढ़ा तो पाकिस्तान में फरवरी में होने वाले चुनावों में इसका सीधा असर देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि सरसरी तौर पर देखें तो पाकिस्तान ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि वह अफगान क्षेत्र से सक्रिय आतंकवादियों पर अंकुश नहीं लगाने के लिए तालिबान को दोषी ठहराता है। पाकिस्तान का दावा है कि उसकी सीमाओं के अंदर अफगान आतंकवाद में वृद्धि में योगदान दे रहे हैं।



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