अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार, यह सूर्य की 25वीं साइकल है। जब सूर्य 11 सालों की एक साइकल पूरी करता है तो 11वें साल इसकी सतह पर भारी विस्फोट होते हैं जिनसे ऊर्जा भारी मात्रा में निकलती है। सूर्य से X6.3 क्लास का सौर तूफान उठा है जो 7 सालों में सबसे बड़ा सौर तूफान बताया गया है। Space.com के अनुसार, 22 फरवरी को यह सौर तूफान अपने चरम पर था। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के अनुसार, 24 घंटों में सूर्य के अंदर उठने वाला ये तीसरा सौर तूफान था। ये सौर तूफान सूर्य के एक खास एक्टिव हिस्से से निकलते हैं। बताया गया सौर तूफान AR 3590 नामक हिस्से से निकला है।
जब ये ऊर्जा के विस्फोट सूर्य पर होते हैं तो प्लाज्मा भारी मात्रा में ऊपर उठता है। इसे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहते हैं। ज्यादा शक्तिशाली सोलर फ्लेयर धरती पर कम्युनिकेशन और पावर इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रभावित कर सकते हैं। इनके साथ निकला सोलर प्लाज्मा जब धरती के चारों ओर आवरण के रूप में मौजूद मेग्नेटिक फील्ड से टकराता है तो उसका प्रभाव कम्युनिकेशन जैसी सर्विसेज पर पड़ता है।
NOAA के अनुसार, सोलर फ्लेयर X6.3 में क्षमता है कि वह कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को अस्थायी नुकसान पहुंचा सकता है, यह हाई फ्रिक्वेंसी रेडियो यूजर्स के लिए सिग्नल को भी प्रभावित कर सकता है। लेकिन आमजन को इस सोलर फ्लेयर से डरने की जरूरत नहीं है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि कोरोनल मास इजेक्शन (CME) में ऊर्जा के कण फूटते हैं जो सौर हवाएँ पैदा करते हैं। इससे पृथ्वी के मेग्नेटिक फील्ड पर प्रभाव पड़ता है। ये इसके मेग्नेटिक फील्ड को भेदकर अंदर प्रवेश कर जाते हैं जिससे आसमान में रंगीन छटा देखने को मिलती है। लेकिन कई बार इलेक्ट्रिक नेटवर्क और सैटेलाइट्स को इनसे खतरा पैदा हो जाता है। इसी के चलते SpaceX कंपनी के 40 नए सैटेलाइट खराब हो गए थे, जिसका कारण 2022 में आया ऐसा ही सौर तूफान माना गया था।
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