एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, ओमेगल के मालिक लीफ के-ब्रूक्स (Leif K-Brooks) ने कहा कि यह फैसला लिया गया क्योंकि ओमेगल को ऑपरेट करने और इसके मिसयूज से मुकाबला करने में बहुत खर्च था।
ओमेगल लोगों के बीच इसलिए भी पॉपुलर हुई, क्योंकि चैट करने के लिए यूजर्स को रजिस्ट्रेशन नहीं करना पड़ता था। कोविड-19 के दौरान भी वेबसाइट को पॉपुलैरिटी मिली। घरों में कैद लोग इस वेबसाइट के जरिए अजनबी लोगों से चैट कर रहे थे।
इस वेबसाइट पर ना सिर्फ चैट हो सकती है बल्कि यूजर्स ऑडियो या वीडियो फॉर्मेट में भी बात कर सकते हैं। इतनी सुविधाओं के बावजूद ‘ओमेगल’ का नाम विवादों से जुड़ा। कई यूजर्स ने शिकायत की कि उन्हें वेबसाइट पर नस्लवाद, दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा। बाल यौन शोषण के मामले भी इस वेबसाइट के हवाले से सामने आए।
हालांकि वेबसाइट ने इन समस्याओं से बचने की कोशिश की और चैट रूम में एंट्री के लिए आयु सीमा को बढ़ाकर 18 साल कर दिया। इसके बावजूद मामले सामने आते रहे, क्योंकि आयु वेरिफाई करने की कोई बाध्यता नहीं थी और नस्लवादी व अन्य लोग वेबसाइट पर आने से नहीं रुके।
ओमेगल को विदेशों में खूब इस्तेमाल किया गया। भारत में संभवत: इसने ज्यादा पॉपुलैरिटी नहीं बटोरी। ओमेगल अकेला मामला नहीं है। कई ऐसी वेबसाइटें इंटरनेट के जमाने में बंद हुई हैं, जो काफी पॉपुलर थी। ऑर्कुट उन्हीं में से एक थी। भारत में भी लाखों लोग ऑर्कुट इस्तेमाल किया करते थे।
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