टेस्ला को फायदे के लिए कोई अलग पॉलिसी नहीं बना रही सरकार

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केंद्र सरकार ने बताया है कि अमेरिकी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मेकर Tesla को इनवेस्टमेंट के लिए इंसेंटिव देने के उद्देश्य से कोई पॉलिसी नहीं बना रही। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री Narendra Modi ने अमेरिका के अपने दौरे के दौरान टेस्ला के चीफ,  Elon Musk के साथ मीटिंग की थ। इससे टेस्ला के देश में इनवेस्टमेंट की योजना पर आगे बढ़ने का संकेत मिला था। 

राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में सरकार की ओर से बताया गया,  “हेवी इंडस्ट्रीज मिनिस्ट्री की ओर से टेस्ला को इंसेंटिव देने के लिए कोई पॉलिसी नहीं बनाई जा रही। हालांकि, मिनिस्ट्री ने इलेक्ट्रिक कारों सहित ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम लागू की है।” हालांकि, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से जुड़ी PLI स्कीम के लिए आवेदन की समयसीमा समाप्त हो गई है और टेस्ला हाल ही में शुरू की गई एक अन्य नई स्कीम में PLI के लिए आवेदन कर सकती है। 

ऐसी अटकल थी कि जनवरी में आयोजित किए गए वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में टेस्ला के को-फाउंडर, Elon Musk हिस्सा ले सकते हैं और इस इवेंट में कंपनी की ओर से देश में बिजनेस शुरू करने को लेकर घोषणा की जा सकती है। हालांकि, टेस्ला के इस बड़े इवेंट में हिस्सा नहीं लेने से यह अटकल गलत हुई थी। इस बारे में गुजरात इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर, Rahul Gupta ने संवाददाताओं को बताया था, “यह किसी विशेष कंपनी का अधिकार होता है कि वह कहां और कितना इनवेस्टमेंट करे। अगर टेस्ला गुजरात में आने का फैसला करती है तो राज्य सरकार को बहुत खुशी होगी।” 

इससे पहले गुजरात के हेल्थ मिनिस्टर Rushikesh Patel ने कहा था कि फैक्टरी के लिए जमीन को लेकर टेस्ला की राज्य सरकार के साथ बातचीत अंतिम दौर में है। उनका कहना था कि राज्य सरकार को उम्मीद है कि मस्क अपनी फैक्टरी के लिए गुजरात को चुनेंगे। उन्होंने बताया था, “मस्क भी गुजरात को पहले विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। हम निश्चित तौर पर इसका स्वागत करेंगे और सभी जरूरी मदद उपलब्ध कराएंगे।” कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि कंपनी की फैक्टरी गुजरात के साणंद में लगाई जा सकती है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे कुछ अन्य राज्य भी टेस्ला को फैक्टरी लगाने के लिए निमंत्रण दे रहे हैं। टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारों की देश में बिक्री नहीं होती। इसका बड़ा कारण इम्पोर्ट ड्यूटी अधिक होना है। 
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