ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी को किस कदर नुकसान पहुंचा सकती है, इसका अंदाजा नासा के द्वारा शेयर की गई एक फोटो से लगा सकते हैं। कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच कभी एक सागर हुआ करता था, जिसका नाम अरल सागर था। यह सागर 68 हजार स्क्वेयर किलोमीटर में फैला था। यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वॉटर बॉडी थी जो चारों ओर से जमीन से घिरी थी। लेकिन यह 2010 तक पूरा सूख गया! NDTV की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह 1960 में तब सूखना शुरू हुआ था जब इसमें पानी भरने वाली नदियों को सोवियत में सिंचाई हेतु मोड़ दिया गया था।
NASA की Earth Observatory ने अरल सागर से जुड़ी पूरी रिपोर्ट पेश की है। जिसके मुताबिक सोवियत संघ ने सिंचाई हेतु 1960 में इस क्षेत्र की दो बड़ी नदियों- सिर दरिया, और अमु दरिया को मोड़ दिया था ताकि मरुस्थल में बनाए गए कपास के खेतों और दूसरी फसलों को पानी दिया जा सके। जिसके बाद अरल सागर सूखना शुरू हो गया।
Encyclopaedia Britannica के अनुसार, लगभग 26 लाख साल पहले अरल सागर बना था जब दोनों नदियों ने अपने प्रवाह का रास्ता बदला था। सागर जब अपने पूरे आकार में था, तब यह उत्तर से दक्षिण दिशा में 435 किलोमीटर में फैला हुआ था, और पूर्व से पश्चिम में 290 किलोमीटर के दायरे में फैला था। सिंचाई परियोजना के आते ही सागर सूखना शुरू हो गया और इसका सारा पानी भाप बनकर उड़ गया। इस पुराने पानी के स्रोत के बचाने के लिए कजाकिस्तान ने अंतिम प्रयास भी किया। देश ने इसके उत्तर से दक्षिण में एक बांध बना दिया। लेकिन पूरे सागर को पानी से नहीं भरा जा सका। अब इसके छोटे से हिस्से में ही पानी दिखाई देता है। <!–
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