NITI Aayog Meeting में नहीं पहुँचे 10 राज्यों के CM, राज्यहित की बजाय पार्टी हित को दी गयी तवज्जो

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कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ओर से नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय गलत है। देश के दस राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करके अपने राज्यों के हितों की अनदेखी की है। यदि केंद्र से किसी विषय पर किसी मुख्यमंत्री की नाराजगी है भी तो उन्हें नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में उपस्थित होकर संबंधित विषय को उठाना चाहिए। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं कर अपने राज्य के हितों को तिलांजलि देना बेहतर समझा। यह भी आश्चर्यजनक है कि एक ओर आगामी लक्ष्यों को तय करने संबंधी बैठकों का बहिष्कार किया जाता है तो दूसरी ओर केंद्र पर आरोप लगाया जाता है कि वह भेदभाव करता है।
हम आपको बता दें कि नीति आयोग संचालन परिषद की आठवीं बैठक में देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला सशक्तीकरण और बुनियादी ढांचा विकास समेत कई मुद्दों पर चर्चा की गयी लेकिन आठ राज्यों की इसमें कोई भागीदारी नहीं रही। देश को 2047 तक विकसित बनाने और अपने राज्यों के हितों से संबंधित मुद्दों को बैठक में रखने और सीधे प्रधानमंत्री और विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों से उसका तत्काल समाधान पाने की बजाय दिल्ली, पंजाब और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों ने हैदराबाद में मोदी विरोधी गठबंधन बनाने में समय बिताया तो बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने अलग तरह से समय बिताया।

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इस मुद्दे पर भाजपा ने नीति आयोग संचालन परिषद की बैठक का बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्रियों पर निशाना साधा और उनके फैसले को ‘‘जन-विरोधी’’ और ‘‘गैर जिम्मेदाराना’’ बताया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नीति आयोग देश के विकास के लिए लक्ष्य तय करने, रूपरेखा तथा रोडमैप बनाने के लिए एक अहम निकाय है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की संचालन परिषद की आठवीं बैठक में 100 मुद्दों पर चर्चा करने का प्रस्ताव है लेकिन आठ राज्यों के मुख्यमंत्री इसमें भाग नहीं ले रहे हैं। प्रसाद ने कहा, ‘‘वे बैठक में भाग लेने क्यों नहीं आ रहे हैं जिसमें 100 मुद्दों पर चर्चा की जानी है। अगर इतनी बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री भाग नहीं लेते हैं तो वे अपने राज्यों की आवाज नहीं उठा रहे हैं।’’



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