सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े नए कानून पर रोक लगाने से किया इनकार, क्या है नई प्रक्रिया

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सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक तटस्थ और स्वतंत्र चयन समिति का गठन करते हुए चयन की एक स्वतंत्र और पारदर्शी प्रणाली लागू करने के लिए भारत संघ को निर्देश देने की मांग की गई। जनहित याचिका में सीईसी और ईसी की नियुक्ति के लिए 28 दिसंबर, 2023 की सरकारी अधिसूचना को रद्द करने का निर्देश देने की भी मांग की गई। अदालत ने सीजेआई को छोड़कर पैनल द्वारा सीईसी और ईसी की नियुक्ति पर नए कानून के संचालन पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने संभावित कार्यकारी प्रभुत्व और लोकतंत्र पर इसके प्रभाव पर चिंताओं का हवाला देते हुए नए कानून को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया था।

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नई प्रक्रिया क्या है?
वर्तमान में कानून मंत्री  प्रधानमंत्री के सामने उम्मीदवारों की लिस्टिंग विचार के लिए की जाएगी। राष्ट्रपति यह नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर करते हैं। विधेयक के अनुसार, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक सर्च कमेटी जिसमें चुनाव से संबंधित मामलों में ज्ञान और अनुभव रखने वाले सरकार के सचिव के पद से नीचे के दो अन्य सदस्य शामिल होंगे, पांच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करेगी जिन पर विचार किया जा सकता है। फिर, विधेयक के अनुसार, प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री की एक चयन समिति सीईसी और अन्य ईसी की नियुक्ति करेगी।



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