पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा राज्य से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए बुधवार को बुलाई गई खुली बहस को विपक्षी कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिरोमणि अकाली (शिअद) ने नाटक करार दिया।
पंजाब भाजपा प्रमुख सुनील जाखड़, पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा और शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल खुली बहस से दूर रहे।
मैं पंजाब बोलदा हां बहस लुधियाना में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के एक सभागार में आयोजित की गई थी,
जहां मान ने विपक्षी नेताओं पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया। मान ने विपक्षी नेताओं को राज्य से संबंधित मुद्दों पर खुली बहस की चुनौती दी थी।
कांग्रेस नेता बाजवा ने बुधवार को कहा कि मान की बहस एक नाटक थी और आम आदमी पार्टी सरकार ने एक बार फिर पंजाब के नदी जल की लूट पर अपनी जिद का प्रदर्शन किया।
बाजवा ने एक बयान में कहा, ‘‘हरियाणा में सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के माध्यम से पंजाब से नदी का पानी हड़पने के लिए सभी पार्टियां एकजुट हो गई हैं, जबकि पंजाब के अहंकारी मुख्यमंत्री सत्ता के नशे में चूर हैं और उन्होंने विपक्षी दलों की पूरी तरह से उपेक्षा की है।’’
पंजाब भाजपा प्रमुख जाखड़ ने कहा कि पंजाब के लोग उम्मीद कर रहे थे कि मुख्यमंत्री राज्य के दर्द और अन्याय को उजागर करेंगे, लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि मान ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रतिनिधि के रूप में काम किया है।
जाखड़ ने अपने पिता बलराम जाखड़ को एसवाईएल मुद्दे से जोड़ने के लिए भी मान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि एसवाईएल को लेकर उनके पिता का नाम लेने के लिए मान माफी मांगें, अन्यथा वह उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराएंगे।
मान ने दावा किया था कि कांग्रेस के दिग्गज नेता बलराम जाखड़ 1982 में एसवाईएल नहर के भूमि पूजन समारोह में मौजूद थे।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने मान पर सरासर झूठ बोलने का आरोप लगाया और उनकी आलोचना की और कहा कि बहस का नाम मैं झूठ बोलदा रखा जाना चाहिए था।
शिअद नेता बलविंदर सिंह भुंडूर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, दलजीत सिंह चीमा और विरसा सिंह वल्टोहा ने मुख्यमंत्री पर एसवाईएल मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ बदनामी अभियान में शामिल होने का आरोप लगाया और इसके लिए मान को आड़े हाथ लिया।