Nyay का नया अध्याय: अंग्रेजों नहीं अब अपने कानून से चलेगा देश, 1 जुलाई से लागू होने वाले नए 3 क्रिमिनल लॉ के बारे में जानें

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प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त में पांच प्रण दिए थे। उसमें उन्होंने कहा था कि गुलामी की जितनी भी निशानियां हैं उससे मुक्ति पाना सबसे पहले काम है। गुलामी की सबसे बड़ी निशानी होने का ठप्पा आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंश एक्ट पर था। 1830, 1856, 1872 उस दौरान इन सब चीजों को लाया गया और हम अब तक ढो रहे थे। एक शख्स था थोमस बैबिंगटन मैकाले ये भारत तो आया था अंग्रेजी की पढ़ाई करने लेकिन उसके बाद इसी भारत में अगर किसी ने देशद्रोह का कानून ड्राफ्ट किया तो वो लार्ड मैकाले ही था। लेकिन अब न्याय के नये अध्याय की शुरुआत होने जा रही है। अब अंग्रेजों के नहीं बल्कि अपने कानून से देश चलेगा। केंद्र सरकार की ओर से तीनों नए आपराधिक कानूनों को आगामी 1 जुलाई 2024 से लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। राषट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से तीनों नए आपराधिक न्याय विधेयकों को दिसंबर में मंजूरी दे दी थी। इसके साथ ही ये तीनों नए विधेयक कानून बन गए थे। 

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भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023- भारतीय को प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव, दंड संहिता (आईपीसी), 1860, जिसे अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था, भारत का आधिकारिक आपराधिक कोड है जो विभिन्न अपराधों और उनकी सजाओं को सूचीबद्ध करता है। राजद्रोह हटा, लेकिन एक और प्रावधान अलगाववाद, अलगाववाद, विद्रोह और भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के खिलाफ कृत्यों को दंडित करना, नाबालिगों से सामूहिक बलात्कार और मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान, सामुदायिक सेवा को पहली बार दंडों में से एक के रूप में पेश किया गया
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023- दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 को बदलने का प्रस्ताव। सीआरपीसी आपराधिक मामलों में जांच, गिरफ्तारी, अदालती सुनवाई, जमानत और सजा की प्रक्रिया तय करती है।  समयबद्ध जांच, सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिनों के भीतर फैसला। यौन उत्पीड़न पीड़ितों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की जाएगी। अपराध की संपत्ति और आय की कुर्की के लिए एक नया प्रावधान पेश किया गया है।

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भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023- इसने भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान ले लिया। दस्तावेजों में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ई-मेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, स्थानीय साक्ष्य, मेल, उपकरणों पर संदेश भी शामिल होंगे। केस डायरी, एफआईआर, चार्ज शीट और फैसले सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कागजी रिकॉर्ड के समान ही कानूनी प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता होगी। संशोधित विधेयक यह भी स्पष्ट करता है कि प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट तीन साल से अधिक की कारावास की सजा, या ₹50,000 से अधिक का जुर्माना, या दोनों या सामुदायिक सेवा की सजा दे सकते हैं। 



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