भीड़ ने हथियार लूटने के लिए मणिपुर राइफल्स के एक शिविर पर हमला किया, प्रयास विफल

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इम्फाल में एक-मणिपुर राइफल्स के एक शिविर पर उसके शस्त्रागार को लूटने के इरादे से सैकड़ों लोगों की एक बड़ी भीड़ ने बुधवार को हमला किया, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों को हवा में कई गोलियां चलानी पड़ीं और राज्य सरकार को राजधानी में फिर से दिन और रात का कर्फ्यू लगाना पड़ा। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।

अधिकारियों ने कहा कि सैकड़ों बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने इम्फाल पश्चिम जिले में राजभवन और मुख्यमंत्री कार्यालय के करीब मणिपुर राइफल्स शिविर को निशाना बनाया।
एक अधिकारी ने कहा, भीड़ के हाथों कुछ हथियार गंवाने के बाद, पुलिस ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सेना की इकाइयों की सहायता से भीड़ को शस्त्रागार लूटने से रोका और भीड़ को पीछे हटना पड़ा।’’

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में कई गोलियां चलाईं।
एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, मणिपुर सरकार ने कानून व्यवस्था की वर्तमान स्थिति के चलते इंफाल पूर्व और पश्चिम जिलों में सुबह पांच बजे से रात 10 बजे तक कर्फ्यू में दैनिक छूट तत्काल प्रभाव से वापस ले ली।

आदिवासी उग्रवादियों द्वारा मोरेह शहर मेंमंगलवार सुबह ड्यूटी पर तैनात उपमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) की गोली मारकर हत्या किये जाने के बाद राज्य की राजधानी में तनाव उत्पन्न हो गया है।
एक अन्य घटना में, मंगलवार दोपहर तेंगनौपाल जिले के सिनम में उग्रवादियों ने राज्य बल के एक काफिले पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हो गए।

अभियान के संचालन में सहायता के लिए काफिले को मोरेह भेजा गया था।
इस बीच, कुकी स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन (केएसओ) ने तेंगनौपाल जिले के मोरेह शहर में अतिरिक्त पुलिस कमांडो की तैनाती के विरोध में एक नवंबर की आधी रात से राज्य में 48 घंटे के बंद का आह्वान किया है, जहां उप-मंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) की 31 अक्टूबर को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

केएसओ ने एक बयान में कहा कि वह ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सीमावर्ती शहर के दौरे के दौरान सभी राज्य बलों को तीन दिन के भीतर वापस बुलाने के आश्वासन के बावजूद मोरेह शहर में मणिपुर पुलिस कमांडो की लगातार तैनाती और अतिरिक्त तैनाती पर कड़ी आपत्ति जताता है।’’

पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष शुरू होने के कुछ हफ्तों बाद, शाह ने मई के अंत में म्यांमार की सीमा से लगे शहर का दौरा किया था।
केएसओ ने आरोप लगाया कि पुलिस कमांडो एसडीपीओ की हत्या के बाद शहर के निवासियों पर अत्याचार कर रहे हैं।

कुकी-जो समुदाय के एक अन्य संगठन ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ ने भी इसी तरह के आरोप लगाए।
इम्फाल के हाओबाम मराक इलाके के निवासी उपमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) चिंगथम आनंद की तब एक ‘स्नाइपर’ हमले में हत्या कर दी गई, जब वह पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा संयुक्त रूप से बनाये जाने वाले एक हेलीपैड के लिए ईस्टर्न शाइन स्कूल के मैदान की सफाई की देखरेख कर रहे थे।’’

जान गंवाने वाले पुलिस अधिकारी सैनिक स्कूल इंफाल के पूर्व छात्र थे और संस्थान के पूर्व छात्र संघ ने हत्या की निंदा की है। संघ ने बुधवार को केंद्र और राज्य सरकार से दोषियों को गिरफ्तार करने का आग्रह किया।
मई में पहली बार जातीय झड़पें शुरू होने के बाद से राज्य बार-बार होने वाली हिंसा की चपेट में है। तब से अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

झड़पें दोनों पक्षों की एक-दूसरे के खिलाफ कई शिकायतों को लेकर हुई हैं, हालांकि संकट का मुख्य बिंदु मेइती को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का कदम, जिसे बाद में वापस ले लिया गया, और संरक्षित वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों को बाहर करने का एक प्रयास है।

मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं। इन आदिवासियों में नगा और कुकी शामिल हैं।



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