Manipur SDPO की गोली मारकर हत्या, आदिवासी समूह पर यूएपीए के तहत प्रतिबंध की सिफारिश

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मणिपुर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मंगलवार को तेंगनौपाल जिले में संदिग्ध आदिवासी उग्रवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी, जिसके बाद राज्य सरकार ने ‘वर्ल्ड कुकी-जो इंटेलेक्चुअल काउंसिल’ (डब्ल्यूकेजेडआईसी) को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित समूह घोषित करने की सिफारिश की।

अधिकारियों ने बताया कि इम्फाल के हाओबाम मराक इलाके के निवासी उपमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) चिंगथम आनंद की तब एक ‘स्नाइपर’ हमले में हत्या कर दी गई, जब वह पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा संयुक्त रूप से बनाये जाने वाले एक हेलीपैड के लिए ईस्टर्न शाइन स्कूल के मैदान की सफाई की देखरेख कर रहे थे।’’

अधिकारियों ने कहा कि एसडीपीओ को मोरेह के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
इसके कुछ ही मिनट बाद मणिपुर की कैबिनेट की एक बैठक मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के नेतृत्व में हुई जिसने एसडीपीओ चिंगथम के परिजनों के लिए 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मंजूर की।

साथ ही कैबिनेट ने जान गंवाने वाले पुलिसकर्मी के परिजन को उचित सरकारी नौकरी प्रदान करने का भी निर्णय लिया।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘आज एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की हत्या के मद्देनजर, कैबिनेट ने गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 3 के तहत ‘वर्ल्ड कुकी-ज़ो इंटेलेक्चुअल काउंसिल’ (डब्ल्यूकेजेडआईसी) को एक गैरकानूनी संगठन घोषित करने की सिफारिश करने को मंजूरी दे दी।’’

हालांकि, राज्य सरकार की सिफारिश की पुष्टि केंद्र द्वारा की जानी होगी, जो किसी संगठन को यूएपीए के तहत गैरकानूनी घोषित करने का निर्णायक प्राधिकारी है।

मणिपुर कैबिनेट ने अपनी बैठक में इस पर गौर किया कि डब्ल्यूकेजेडआईसी ने 24 अक्टूबर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कुकी-जो समुदाय से हथियारों और गोला-बारूद का पर्याप्त भंडार रखने का आह्वान किया था क्योंकि फसल कटाई के मौसम से पहले नवंबर में उसे ‘‘एक और संघर्ष का सामना करना पड़ेगा।’’

कैबिनेट ने सुरक्षा बलों को ‘‘अपराध के लिए जिम्मेदार अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए मोरेह और उसके आसपास के इलाकों में एक संयुक्त अभियान शुरू करने का निर्देश देने का फैसला किया।’’ कैबिनेट ने इस पर ‘‘गौर किया कि इस उद्देश्य के लिए इम्फाल से अतिरिक्त राज्य बलों को तैनात किया गया है। अभियान तब से शुरू हो गए हैं।’’

कैबिनेट ने केंद्रीय और राज्य बलों को पल्लेल-मोरेह सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग-102 पर वाहनों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जो इम्फाल घाटी को लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीमावर्ती शहर से जोड़ता है।

तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान चली गई है, जब मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था।

मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की जनसंख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। आदिवासियों में नगा और कुकी शामिल हैं।



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