Jaishankar UK Visit काफी सार्थक रही, FTA, Khalistan, Russia-Ukraine War, Israel-Hamas Conflict और Canada मुद्दे पर विदेश मंत्री ने रखा अपना पक्ष

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विदेश मंत्री एस जयशंकर का ब्रिटेन दौरा काफी अहम रहा क्योंकि इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, विदेश मंत्री, गृह मंत्री, एनएसए, विपक्ष के नेता और तमाम वरिष्ठ ब्रिटिश अधिकारियों से तो दोनों देशों के द्विपक्षीय हितों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की ही साथ ही उन्होंने अनिवासी भारतीयों की भी तमाम चिंताओं का समाधान किया। हाल के समय में जिस तरह ब्रिटेन में खालिस्तानी तत्वों ने सिर उठाया है उसे देखते हुए जयशंकर ने ब्रिटिश नेताओं के समक्ष खालिस्तानी चरमपंथ का मुद्दा भी उठाया। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें अभिव्यक्ति तथा बोलने की स्वतंत्रता के दुरुपयोग के प्रति सावधान रहना चाहिए। हम आपको बता दें कि जयशंकर ने बुधवार को अपनी पांच दिवसीय ब्रिटेन यात्रा संपन्न की जिसे उन्होंने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए चल रही वार्ता में ‘पर्याप्त प्रगति’ के बीच ‘‘समयोचित’’ करार दिया। उन्होंने रवानगी से पहले लंदन में भारतीय उच्चायोग में मीडिया से बातचीत में ब्रिटेन के कैबिनेट मंत्रियों तथा विपक्ष के नेताओं के साथ हुई बातचीत के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी।
जयशंकर की बैठकों का ब्यौरा
जयशंकर की ब्रिटेन के गृह मंत्री जेम्स क्लेवरली और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) टिम बैरो के साथ हुई बैठकों के दौरान, देश में खालिस्तान समर्थक चरमपंथ के बीच भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा के बारे में भारत की चिंताओं पर विचार-विमर्श हुआ। विदेश मंत्री ने कहा, ”हमारी चरमपंथ को लेकर तथा खालिस्तान का समर्थन करने वालों सहित विभिन्न ताकतों की ओर से कभी-कभार होने वाली हिंसक गतिविधियों को लेकर लंबे समय से चिंताएं हैं।’’ जयशंकर ने कहा, ”हम यहां की सरकार को यह समझाने का प्रयास करते रहे हैं कि हम सह लोकतंत्र होने के नाते यकीनन अभिव्यक्ति और बोलने की स्वतंत्रता के महत्व को समझते हैं, उन्हें इन स्वतंत्रताओं के दुरुपयोग के प्रति सावधान रहना चाहिए।’’ मार्च महीने में ‘इंडिया हाउस’ में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘स्थिति की गंभीरता को पहचाना गया है’’ और भारत की अपेक्षा यह है कि उसके राजनयिक मिशन को अपेक्षित सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि वह अपना कामकाज बिना किसी बाधा के कर पाए, साथ ही ‘हिंसा और चरमपंथ की वकालत के खिलाफ कड़ा रुख’ रहेगा।

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यह पूछे जाने पर कि क्या एफटीए पर होने वाली 14वें दौर की वार्ता निर्णायक होने की संभावना है, विदेश मंत्री ने कहा, “हमने पर्याप्त प्रगति की है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि भविष्यवाणी करना या समयसीमा तय करना सही होगा। मुझे लगता है कि दोनों पक्ष एफटीए के महत्व के बारे में जानते हैं और इसे हासिल करने के लिए अधिकतम प्रयास करेंगे..।’’ जयशंकर ने ब्रिटेन के नवनियुक्त विदेश मंत्री डेविड कैमरन के साथ द्विपक्षीय बातचीत की। जयशंकर ने कहा कि दोनों विदेश मंत्रियों के बीच रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास संघर्ष सहित कई क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत हुई। जयशंकर ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीद कर दुनिया को एक बड़े संकट से बचाया है। जयशंकर ने बताया कि कैमरन ने उन्हें इंग्लैंड और भारतीय क्रिकेट टीम के हस्ताक्षर वाला एक बल्ला भेंट किया। जयशंकर ने इस उपहार को ‘बेहद खास’ बताया। हम आपको बता दें कि विदेश मंत्री ने रविवार को प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात की थी और इस दौरान उन्होंने सुनक को विराट कोहली के हस्ताक्षर वाला बल्ला भेंट किया था। उन्होंने कहा, ”कुल मिलाकर मैं यह कहूंगा कि यह यात्रा सही वक्त पर हुई और इसकी बेहद जरूरत थी क्योंकि इस प्रकार के व्यक्तिगत मेलमिलाप देशों के बीच समझ विकसित करने में काफी मददगार साबित होते हैं। मैं बेहद संतुष्ट हूं कि ब्रिटिश तंत्र ने सभी प्रासंगिक स्तरों पर जुड़ने का प्रयास किया और यह अपने आप में हमारे संबंधों में निकटता की बानगी है।’’ जयशंकर ने विपक्षी दल ‘लेबर पार्टी’ के नेता कीर स्टार्मर और विदेश मंत्रालय के पदाधिकारी डेविड लैमी के साथ भी विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की।
कनाडा पर जयशंकर का हमला
इसके अलावा, कनाडा में एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या के संदर्भ में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत किसी जांच से इंकार नहीं कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या में भारत सरकार के एजेंट की संलिप्तता के कनाडा के आरोपों पर उसे सबूत मुहैया कराने को कहा। जयशंकर ने अनुभवी पत्रकार लियोनेल बार्बर के साथ ‘एक अरब लोग दुनिया को कैसे देखते हैं’ शीर्षक के साथ आयोजित कार्यक्रम में सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कनाडा ने अपने आरोप के समर्थन में भारत के साथ कोई सबूत साझा नहीं किया है। हम आपको याद दिला दें कि कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की ‘‘संभावित’’ संलिप्तता के संबंध में सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के संबंध तनावपूर्ण हो गए। भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘‘बेतुका’’ और ‘‘बेबुनियाद’’ बताकर खारिज कर दिया। जयशंकर ने कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों का जिक्र करते हुए कहा कि भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक निश्चित जिम्मेदारी के साथ आती है और उन स्वतंत्रताओं का दुरुपयोग तथा राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उस दुरुपयोग को बर्दाश्त करना बहुत गलत होगा।
उन्होंने कनाडा में भारतीय उच्चायोग पर हमले या उच्चायोग और महावाणिज्य दूतावास पर बम हमलों का जिक्र किया और कहा कि भारतीय राजनयिकों को सार्वजनिक रूप से डराया गया था जबकि कनाडाई अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। हम आपको यह भी बता दें कि पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री ट्रूडो ने रेखांकित किया था कि कनाडा भारत के साथ अभी कोई ‘‘लड़ाई’’ नहीं चाहता था, लेकिन उन्होंने अपने आरोपों को दोहराया और कहा कि ओटावा इस ‘‘बहुत गंभीर मामले’’ पर नयी दिल्ली के साथ ‘‘रचनात्मक रूप से काम’’ करना चाहता है।
ब्रिटेन से कौन-सी मूर्तियां वापस लाई जा रही हैं?
इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत से चुराई गईं और हाल ही में इंग्लैंड में बरामद की गईं आठवीं सदी की दो मूर्तियों को स्वदेश भेजने के लिए बुधवार को लंदन में आयोजित एक समारोह की अध्यक्षता की। करीब 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत के बीच उत्तर प्रदेश के लोखरी में एक मंदिर से चोरी हुई योगिनी चामुंडा और योगिनी गोमुखी की मूर्तियों को लंदन में भारतीय उच्चायोग ने इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट और आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल के सहयोग से बरामद किया। जयशंकर ने ब्रिटेन की अपनी पांच दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन इंडिया हाउस में मूर्तियों का अनावरण किया और कहा कि वह उनके स्वदेश लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा, ‘‘आज यह महत्वपूर्ण है कि हम एक-दूसरे की संस्कृति की सराहना करने की ओर अग्रसर हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान कानूनी, पारदर्शी और नियम-आधारित हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब कभी भी विचलन हुआ है और जब भी इन्हें ठीक किया गया है, मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है।’’
हम आपको बता दें कि ‘योगिनी’ योग कला महिला गुरुओं को संदर्भित करती है, जिसमें 64 दिव्य योगिनियों को लोखरी जैसे योगिनी मंदिरों में देवी के रूप में पूजा जाता है। यह शब्द थोड़ा अलग है क्योंकि यह देवी और निपुण उपासकों दोनों पर लागू होता है, जिनके बारे में माना जाता था कि वे मूर्तियों के सामने गुप्त अनुष्ठान करके देवी की कुछ शक्तियों को हासिल करने में सक्षम थे। माना जाता है कि लोखरी मंदिर में 20 योगिनी मूर्तियां हैं, जिन्हें जानवरों के सिर के साथ सुंदर महिलाओं के रूप में चित्रित किया गया है। 1970 के दशक में, मंदिर को लुटेरों के एक समूह ने निशाना बनाया था, जिनके बारे में माना जाता है कि वे राजस्थान और महाराष्ट्र से बाहर काम करते थे और स्विट्जरलैंड के माध्यम से यूरोप में तस्करी करते थे। उस समय अज्ञात संख्या में मूर्तियां चुरा ली गई थीं, अन्य को तोड़ दिया गया था, शेष मूर्तियों को बाद में हटा दिया गया था और स्थानीय ग्रामीणों द्वारा छिपा दिया गया था।
‘आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल’ के क्रिस मैरिनेलो ने कहा, ‘‘यह पांचवीं बार है जब हम मिलान, ब्रसेल्स और लंदन में तीन बार सांस्कृतिक विरासत की महत्वपूर्ण चीजों को भारत लौटाने में सफल रहे हैं। हम ‘इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट’ के साथ मिलकर काम करते हैं और जब वे इनमें से एक की पहचान करते हैं, तो हम एक सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के प्रयास में मालिकों के साथ बातचीत करते हैं।’’ लंदन में भारतीय उच्चायोग में व्यापार और अर्थशास्त्र के प्रथम सचिव जसप्रीत सिंह सुखीजा भारत की खोई हुई कलाकृतियों को खोजने के लिए काम करने वाले संगठन ‘इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट’ के साथ इन मूर्तियों की खोज पर काम कर रहे हैं। ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दुरईस्वामी ने कहा, ‘‘इन अवसरों पर हम जो करना चाहते हैं, उसका उद्देश्य कुछ स्वीकार्य और सौहार्दपूर्ण समाधान खोजना है ताकि हमारी विरासत वहां वापस जा सके जहां यह सबसे उपयुक्त है, जहां से यह आती है और जहां इसकी सबसे अधिक सराहना की जाती है।’’



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