भारतीय नौसेना वर्ष 2047 तक पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगी: Navy Chief

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तिरुवनंतपुरम। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने यहां कहा कि औपनिवेशिक काल के सभी अवशेषों का परित्याग करते हुए भारतीय नौसेना बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है और वर्ष 2047 तक यह पूरी तरह ‘आत्मनिर्भर’ सेना होगी। नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत के बाद मीडिया से यहां बातचीत में हरि कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना महान उपलब्धियां हासिल कर रही है और 33 पनडुब्बी तथा 63 पोतों का निर्माण खुद से कर सकती है। 
नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य वर्ष 2047 तक पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना है और तब तक सभी पनडुब्बियां, विमान और हथियार भारत में बनाए जाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि उद्योग को 75 चुनौतियां दी गईं और उद्योग से शानदार प्रतिक्रिया मिली। हरि कुमार ने कहा, ‘‘उनमें से कुछ पहले ही अनुबंध में शामिल हो चुके हैं और कुछ उत्पाद पहले ही शामिल किए जा चुके हैं। बहुत सारी नवीन तकनीक और उत्पाद विकसित किए जा रहे हैं।’’ 
उन्होंने कहा कि अग्निवीर भर्ती कार्यक्रम के माध्यम से नौसेना अगले सात वर्षों में काफी युवा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि नौसेना के कर्मचारियों की औसत उम्र 26 वर्ष होगी। नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि नौसेना में शामिल होने वाले अग्निवीर बहुत तकनीकी-प्रेमी हैं और नई तकनीकी चुनौतियों का अच्छी तरह से जवाब देते हैं और बदलती चुनौतियों के अनुसार खुद को अच्छी तरह से ढाल लेते हैं। एडमिरल हरि कुमार ने कहा कि नौसेना अपनी आवश्यकताओं के लिए विझिंजम बंदरगाह का उपयोग करने को उत्सुक है। उन्होंने कहा कि अडाणी समूह के साथ उनकी शुरुआती बातचीत हुई थी, लेकिन इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। सतह से सतह पर मार करने वाली भारत की स्वदेशी मिसाइल ब्रह्मोस को तेजी से नौसेना के युद्धपोतों में शामिल किया जा रहा है। 
हरि कुमार ने कहा, ‘‘हमारी योजना इसे अपने सभी युद्धपोतों में स्थापित करने की है और यह प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।’’ भारत के तीसरे स्वदेशी विमानवाहक पोत के संबंध में हरि कुमार ने कहा कि नई तकनीक उभरने के साथ इसमें कई बदलाव की योजना है। उन्होंने कहा कि विमानवाहक पोत के पास सभी प्रकार के आधुनिक विमानों को संभालने की सुविधा होनी ही चाहिए। हरि कुमार ने कहा, ‘‘वर्तमान में हम आईएनएस विक्रांत प्रकार के विमान वाहक पोत का फिर से ऑर्डर करने के बारे में सोच रहे हैं। कोचीन शिपयार्ड के पास अब विमान वाहक पोत बनाने में कुछ विशेषज्ञता है और हमें इसका लाभ उठाना होगा।’’ उन्होंने कहा कि जब तक नया विमानवाहक पोत तैयार होगा, वर्तमान भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य संन्यास लेने वाला होगा। 
इससे पहले, नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करते हुए हरि कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना अब उन सभी चीजों को हटाने की कोशिश कर रही है जो औपनिवेशिक युग के अवशेष हैं। उन्होंने कहा कि रैंकिंग सिस्टम और वर्दी पर इस्तेमाल होने वाले प्रतीक चिह्न में बदलाव किए जा रहे हैं। हरि कुमार ने कहा, ‘‘अंग्रेजों ने इसे कुछ दशक पहले छोड़ दिया था, लेकिन हम इसका पूरी लगन से अनुसरण रहे हैं। हमारा विचार नौसेना को और अधिक समकालीन बनाना है, एक ऐसी सेना जो बदलते समाज के अनुरूप हो।’’ उन्होंने कहा कि अपनी रैंक में महिलाओं की भर्ती के द्वार खोलने के बाद नौसेना अब लिंग के आधार पर तटस्थ बन गई है। उन्होंने कहा, ‘‘महिलाएं किसी भी रैंक में शामिल हो सकती हैं, पनडुब्बियों में जा सकती हैं या फिर समुद्री कमांडो बन सकती हैं।’’ 
प्रशासनिक सुधारों का जिक्र करते हुए एडमिरल ने कहा कि नौसेना ने नाविकों के लिए एक डिजिटल ‘प्रतिक्रिया’ प्रणाली शुरू की है। इसके तहत अधिकारियों का 360 डिग्री (समग्र) मूल्यांकन शुरू किया गया है जहां कनिष्ठों से उनके अधिकारियों के चरित्र और आचरण के बारे में प्रतिक्रिया मांगी जाती है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मियों के लाभ और उनकी शिकायतों के निवारण के लिए एक एकल खिड़की प्रणाली शुरू की गई है।



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