दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी, जल्द राहत के आसार कम

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प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के बीच, दिल्ली में मंगलवार को सुबह वायु गुणवत्ता का स्तर खराब रहा और इससे जल्द राहत मिलने के आसार नहीं है।
दिल्ली के 40 निगरानी केंद्रों में से नौ के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सुबह आठ बजे राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक 363 यानी बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मोबाइल ऐप ‘समीर’ के अनुसार, बाकी निगरानी केंद्र पर्याप्त आंकड़ा उपलब्ध कराने में विफल रहे।
बारिश के कारण मिली राहत के बाद दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि दर्ज की गयी और प्रतिबंध के बावजूद दिवाली की रात लोगों द्वारा की गई आतिशबाजी से सोमवार को धुंध का दौर फिर लौट आया।

वायु गुणवत्ता निगरानी में विशेषज्ञता रखने वाली स्विट्जरलैंड की कंपनी ‘आईक्यूएयर’ के अनुसार, सोमवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली सबसे ऊपर रही। इसके बाद पाकिस्तान के लाहौर और कराची थे, जबकि प्रदूषित शहरों में मुंबई पांचवे और कोलकाता छठे स्थान पर रहे।

दिल्ली में रविवार को दिवाली के दिन आठ साल में सबसे बेहतर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई, तथा 24 घंटे का औसत एक्यूआई शाम चार बजे 218 पर दर्ज किया गया। हालांकि, रविवार देर रात आतिशबाजी से कम तापमान के बीच प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हो गई।

सोमवार सुबह सात बजे एक्यूआई 275 दर्ज किया गया, जबकि शाम 4 बजे तक धीरे-धीरे बढ़कर यह 358 अंक पर पहुंच गया।
एक्यूआई शून्य से 50 के बीच अच्छा , 51 से 100 के बीच संतोषजनक , 101 से 200 के बीच मध्यम , 201 से 300 के बीच खराब , 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 450 के बीच गंभीर माना जाता है।एक्यूआई के 450 से ऊपर हो जाने पर इसे अति गंभीर श्रेणी में माना जाता है।


दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए रणनीति तैयार करने वाले वैधानिक निकाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के एक अधिकारी ने पीटीआई-को बताया, ‘‘यह बात साफ है कि दिवाली के बाद प्रदूषण के स्तर में वृद्धि दो प्रमुख कारणों से होती हैं- आतिशबाजी और खेत में पराली जलाना- इस मामले में आतिशबाजी प्रमुख कारण रहा।’’


कई क्षेत्रों में पीएम2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन तंत्र में प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से 30 से 35 गुना अधिक रही।

आतिशबाजी से राजधानी के ओखला और जहांगीरपुरी सहित कई स्थानों पर सुबह के समय पीएम2.5 की सांद्रता 1,000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक हो गई।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिवाली के अगले दिन देशभर के शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर में तेजी से वृद्धि देखी गई।

उत्तर प्रदेश के बागपत में एक्यूआई 235 से बढ़ कर 385, हरियाणा के कैथल में 152 से बढ़ कर 361, पंजाब के बठिंडा में 180 से बढ़ कर 380, राजस्थान के भरतपुर में 211 से बढ़ कर 346 हो गया। इसके अलावा, ओडिशा के भुवनेश्वर में एक्यूआई 260 से बढ़ कर 380 और कटक में 214 से बढ़ कर 355 तक पहुंच गया।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों के अनुसार, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में पीएम2.5 प्रदूषण का स्तर तड़के दो बजे तक 1,423 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ गया, लेकिन तापमान में वृद्धि के कारण दोपहर 12 बजे तक यह धीरे-धीरे घटकर 101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर आ गया।

ओखला में पीएम-2.5 की सांद्रता तड़के एक बजे 1,629 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी और दोपहर 12 बजे तक घटकर 157 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रह गई।
डीपीसीसी के एक विश्लेषण के अनुसार, पिछले साल की तुलना में दिवाली पर महीन, फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कण पीएम2.5 की सांद्रता में 45 प्रतिशत और पीएम10 की सांद्रता में 33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।


प्रदूषण नियंत्रण निकाय ने यह भी कहा कि दिल्ली के लगभग सभी वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों ने पिछले वर्ष की तुलना में दिवाली के दिन प्रदूषण स्तर में वृद्धि दर्ज की।

सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में पिछले साल दिवाली पर एक्यूआई 312, साल 2021 में 382, साल 2020 में 414, साल 2019 में 337, साल 2018 में 281, साल 2017 में 319 और साल 2016 में 431 दर्ज किया गया था।

दिवाली के एक दिन बाद शहर का एक्यूआई वर्ष 2015 में 360, वर्ष 2016 में 445, वर्ष 2017 में 403, वर्ष 2018 में 390, वर्ष 2019 में 368, वर्ष 2020 में 435, वर्ष 2021 में 462 और वर्ष 2022 में 303 रहा था।

सीएक्यूएम अधिकारी ने कहा कि केंद्र की वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना के चौथे चरण के तहत दिल्ली में निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित उठाये गये कड़े कदम अगले आदेश तक लागू रहेंगे।


अधिकारी ने कहा, ‘‘पराली जलाने की घटनाएं फिर से बढ़ रही हैं और मौसम संबंधी स्थितियां (प्रदूषकों के फैलाव के लिए) अनुकूल नहीं हैं। हम स्थिति की समीक्षा करेंगे और उसके अनुसार ही कार्य करेंगे।



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