BRICS Group | ब्रिक्स समूह के विस्तार का काम अभी भी जारी है, विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान

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जोहानिसबर्ग। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि ब्रिक्स समूह के विस्तार का काम अभी भी जारी है और पांच देशों के समूह के सदस्य सकारात्मक उद्देश्य और खुले दिमाग से इस संबंध में विचार कर रहे हैं।
केपटाउन में बृहस्पतिवार की शाम ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जयशंकर ने कहा कि इन देशों के नेताओं ने पिछले साल उनसे इस तरह के कार्य के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत, मानक, मानदंड और प्रक्रिया तैयार करने को कहा था।

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उन्होंने कहा, ‘‘अभी भी कार्य प्रगति पर है। हम खुले दिमाग से सकारात्मक इरादे के साथ इस ओर बढ़ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके कई पहलू हैं। इसके एक पहलू के तहत यह देखना है कि मौजूदा ब्रिक्स सदस्य एक-दूसरे के साथ कैसे काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका दूसरा पहलू यह है कि ब्रिक्स गैर-ब्रिक्स देशों को कैसे जोड़ता है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘इसका तीसरा पहलू यह है कि हम ब्रिक्स के संभावित विस्तार को कैसे देखते हैं – इसके लिए उपयुक्त प्रारूप क्या होगा, इस पर भी हमें काम करने की आवश्यकता है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर बात यह है कि हम अभी भी इस संबंध में काम कर रहे हैं; शेरपाओं (ब्रिक्स सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले) को इसका काम सौंपा गया है और हमें देखना होगा कि वे क्या कदम उठाते हैं।’’
ब्राजील के विदेश मंत्री मौरो विएरा ने कहा कि वह जयशंकर के विचार से सहमत हैं।
विएरा ने कहा, ‘‘ब्रिक्स एक ‘ब्रांड’ और एक परिसंपत्ति है, इसलिए हमें इसका ध्यान रखना होगा क्योंकि यह काफी महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि ब्रिक्स दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करता है जो इसे एक महत्वपूर्ण परिसंपत्ति बनाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम काम कर रहे हैं और शायद यह इस बड़ी कामयाबी के कारण है कि इसने 15 वर्षों में (ब्रिक्स की स्थापना के बाद से) कई अन्य देशों का ध्यान आकर्षित किया है।’’
चीन के उप मंत्री मा झाओक्सू ने कहा कि ‘ब्रिक्स प्लस’ की अवधारणा ‘‘बहुत तेजी से’’ विकसित हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसे ब्रिक्स देशों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बहुत अच्छी तरह से मान्यता दी है और वास्तव में विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच एकजुटता और सहयोग के लिए एक मजबूत मंच प्रदान किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम उन देशों के ब्रिक्स में शामिल होने के इरादे का स्वागत करते हैं, और हम उम्मीद करते हैं कि अधिक से अधिक देश हमारे ब्रिक्स परिवार में शामिल होंगे।’’


बैठक की मेजबानी करने वाले दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध और सहयोग मंत्री नालेदी पंडोर ने कहा कि इस मामले पर अभी तक कोई ‘‘उपयोगी दस्तावेज’’ नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘एक बार जब हमारे पास एक ऐसा दस्तावेज होगा जो स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करता हो, तो हम उसे अगस्त में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (प्रिटोरिया में राष्ट्राध्यक्षों के सम्मेलन) में ले जाएंगे।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि इतने सारे देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिक्स समूह बहुध्रुवीयता का प्रतीक है और ब्रिक्स की ओर 12 से अधिक देशों का आकर्षित होना इसका प्रमाण है।’’
इससे पहले‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘ब्रिक्स अब विकल्प नहीं रहा, यह वैश्विक परिदृश्य की स्थापित विशेषता है।’’


उन्होंने कहा कि पांच देशों-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का समूह न केवल बहुध्रुवीयता का प्रतीक है बल्कि अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने के अनेक तरीकों की अभिव्यक्ति है।
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘इसका ध्यान अधिक निष्पक्ष, समावेशी और खुले अंतरराष्ट्रीय ढांचे का निर्माण करने पर है जिसके केंद्र में सतत विकास हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कोई छूट नहीं जाए, इसके लिए लचीली और प्रामाणिक आपूर्ति शृंखला बनाना अहम है।’’
जयशंकर ने कहा कि ‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की पुरजोर वकालत करता है।
ऐसा बताया जाता है कि ब्रिक्स समूह में सदस्यता चाहने वाले देशों में मिस्र और ईरान, इराक, कुवैत, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
इसकी सदस्यता चाहने वाले दक्षिण अमेरिकी देशों में वेनेजुएला और अर्जेंटीना शामिल हैं।



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