Bihar: नीतीश सरकार को बड़ा झटका, पटना हाई कोर्ट ने जाति आधारित जनगणना पर लगाई रोक

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पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी है। यह फैसला बिहार सरकार द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना के प्रस्ताव और विपक्ष के इसके विरोध में खड़े होने के बीच आया है। इस मामले ने जाति-आधारित मान्यता और आरक्षण की सदियों पुरानी बहस को फिर से खड़ा कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है अगली सुनवाई तीन जुलाई को होगी। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि तब तक कोई डाटा सामने नहीं आएगा। कहीं न कहीं इसे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
 

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आज ही एक सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा था कि जाति आधारित जनगणना सब लोगों के राय से तय हुआ है ये सबके हित के लिए हो रहा है लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा इसका विरोध क्यों हो रहा है…इसका मतलब लोगों को मौलिक चीज़ों की समझ नहीं है। ये पहले अंग्रेज़ों के जमाने से तो होता ही था, ये 1931 से बंद हुआ। जाति आधारित जनगणना को लेकर उन्होंने यह भी कहा था कि इससे विकास में बड़ा लाफ होने जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2011 में जो जनगणना हुई, उसकी रिपोर्ट जारी नहीं की गई। उसके बारे में ये पता चला कि वो ठीक से नहीं हुई थी।
 

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इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण कराने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर शुक्रवार को विचार करने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता को पटना उच्च न्यायालय का रुख करने की अनुमति दी और याचिका पर जल्द फैसला करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुण-दोष पर कुछ भी टिप्पणी नहीं की है। बिहार में जाति सर्वेक्षण का पहला दौर 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था। दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ और 15 मई तक होगा। 



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