Madhya Pradesh में BJP की जीत के बाद Shivraj Singh Chauhan के फिर से मुख्यमंत्री बनने की चर्चा शुरू

स्टोरी शेयर करें


नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो-तिहाई बहुमत से जीत के करीब पहुंचने के बाद मध्य प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं अब पृष्ठभूमि में चली गई हैं क्योंकि शिवराज सिंह चौहान ने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक बार फिर इस हिंदी राज्य में अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवाया है।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा नहीं की थी।

कुछ प्रतिद्वंद्वियों की मौजूदगी के बावजूद चौहान मध्य प्रदेश में सत्ता में बने रहने के लिए पसंदीदा नेता के रूप में उभरे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नेतृत्व की दौड़ खुली हुई है। इन दोनों राज्यों में भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीनी है।
तीन हिंदी भाषी राज्यों में शीर्ष पद के लिए कई संभावित दावेदारों ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। पार्टी ने अतीत में उन नेताओं पर भी अपना भरोसा जताया है जो राज्य विधानसभाओं के सदस्य नहीं थे, जैसे कि 2017 में योगी आदित्यनाथ।

पार्टी ने बाद में उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए चुना था।
दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया को लंबे समय से मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में देखा जाता रहा है।
राजस्थान में राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि भाजपा को आसानी से बहुमत मिलने का मतलब है कि पार्टी नेतृत्व मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नए चेहरे को चुन सकता है, भले ही दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने कद और बड़े जनाधार के कारण स्वाभाविक दावेदार हैं।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल, प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी, दीया कुमारी और महंत बालकनाथ को भी संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है।
मेघवाल अनुसूचित जाति से आते हैं और बालकनाथ यादव हैं, जो हिंदी भाषी राज्यों में सबसे अधिक ओबीसी समुदाय है। बालकनाथ की कट्टर हिन्दुत्ववादी छवि को उनके लिए एक फायदे के रूप में देखा जाता है।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जैसा कोई व्यक्ति, जो तीन बार विधायक रह चुका है और जिसे पार्टी नेतृत्व का विश्वास प्राप्त है, वह भी स्वाभाविक दावेदार हो सकता है।
अगले लोकसभा चुनाव में महज चार महीने का समय बचा है, ऐसे में पार्टी इन तीन राज्यों में मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी पसंद चुनने में व्यापक सामाजिक विमर्श को ध्यान में रख सकती है।

यह विचार राजस्थान में शेखावत जैसे किसी व्यक्ति की राह में रोड़े डाल सकता है क्योंकि वह राजपूत बिरादरी से आते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दोनों इसी जाति से आते हैं।
यह चौहान जैसे किसी व्यक्ति के पक्ष में भी है, जो भाजपा में ओबीसी समुदाय से एकमात्र मुख्यमंत्री हैं और वह लोकप्रिय भी हैं।
हालांकि, पार्टी के कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि परिणाम राज्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एजेंडे के लिए व्यापक समर्थन को रेखांकित करते हैं और फैसले को उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। हालांकि तेलंगाना में वह अपनी वोट हिस्सेदारी और सीटों की संख्या में सुधार के बावजूद तीसरे स्थान पर बनी हुई है।
एक वरिष्ठ नेता ने नाम ना लिखे जाने की शर्त पर कहा, ‘‘जनादेश पार्टी नेतृत्व को तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री तय करने की खुली छूट देता है।’’

छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण कुमार साव, विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक और पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी को राजनीति पर नजर रखने वाले लोग इस शीर्ष पद के दावेदारों के रूप में देख रहे हैं।
सिंह को छोड़कर तीनों नेता अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आते हैं।
हालांकि, यहां यह भी ध्यान देने की बात है कि मुख्यमंत्री पद की पसंद से भाजपा नेतृत्व ने अक्सर सभी को चौंकाया भी है। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर को जब मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया था तब किसी को इसका अंदाजा भी नहीं था।
भाजपा सूत्रों की ओर से ऐसी ही बात केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह सरूता को लेकर कही जा रहा है।

पार्टी ने उन्हें भरतपुर-सोनहट सीट से उम्मीदवार बनाया है और वह चुनाव जीतने के करीब हैं। वह जनजातीय समाज से आती हैं और महिला हैं। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद अब तक इस राज्य में कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं हुआ है। भाजपा शासित किसी भी राज्य में कोई महिला फिलहाल मुख्यमंत्री नहीं है।
चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए रविवार को जारी मतगणना के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भारी बहुमत से मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की ओर बढ़ रही है, वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वह कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के करीब है। इन चुनावों में कांग्रेस के लिए राहत सिर्फ तेलंगाना से मिल रही है जहां उसके भारी बहुमत से सरकार बनाने की प्रबल संभावना है।



स्टोरी शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Pin It on Pinterest

Advertisements