Prabhasakshi NewsRoom: China एक तरफ बात करता है, दूसरी तरफ से सीमा में घुसने का प्रयास करता है, अब Bhutan के साथ भी यही कर दिया

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विस्तारवादी चीन है कि मानता नहीं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने क्षेत्र के विस्तार का ऐसा शौक है कि वह आसपास के देशों का सिरदर्द बढ़ाये रखते हैं। शी जिनपिंग का तरीका यह है कि सामने वाले से बात भी करते रहो और उसके देश में घुसने का प्रयास भी करते रहो। इसी नीति का अनुसरण इस समय वह भूटान के साथ कर रहे हैं। हम आपको बता दें कि चीन और भूटान के बीच चल रही सीमा वार्ता के बावजूद, चीन पड़ोसी देश से लगती सीमा के विवादित क्षेत्र में गांव बना रहा है। रिपोर्टों के मुताबिक दोनों देशों को अलग करने वाले पहाड़ी क्षेत्र में कम से कम तीन गांव बनाए गए हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में सत्तारुढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि तेजी से यह विस्तार गरीबी उन्मूलन योजना के रूप में शुरू हुआ, लेकिन यह दोहरी राष्ट्रीय सुरक्षा भूमिका निभाता है। रिपोर्ट के अनुसार, हिमालय के एक दूरदराज गांव में सीमा क्षेत्र के अंदर 18 चीनी नागरिक अपने नवनिर्मित घरों में प्रवेश करने की प्रतीक्षा करते नजर आ रहे थे। हम आपको बता दें कि यह क्षेत्र लंबे समय से चीन और भूटान के बीच विवाद की जड़ रहा है। चीन, भारत और भूटान दोनों की सीमाओं पर अच्छी तरह से सुसज्जित गांव बनाने की अपनी योजना पर जोर दे रहा है।
भूटान मामले में जो रिपोर्ट आई है उसके मुताबिक जो चीनी नागरिक गांव में बने घरों में प्रवेश के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे उनमें से प्रत्येक ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ताज़ा फ्रेम किया हुआ चित्र ले रखा था। जहां वह खड़े थे वहां पीछे एक चमकदार लाल बैनर चीनी और तिब्बती लिपि में उनका स्वागत कर रहा था। तमालुंग गांव चीन द्वारा विवादित क्षेत्र के अंदर बनाए गए तीन गांवों में से एक है। बताया जा रहा है कि यह लोग तिब्बती शहर शिगात्से के निवासी थे जिन्हें अब इस गांव में स्थानांतरित किया गया है। निवासियों के स्थानांतरित होने से सात दिन पहले अमेरिका स्थित मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा ली गई सैटेलाइट इमेजरी ने 147 नए घरों को दर्शाया है।

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स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि गांव का विस्तार 235 घरों को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। अधिकारियों का कहना है कि ये गाँव रहने की बेहतर स्थिति प्रदान करने की चीन की गरीबी उन्मूलन योजना का हिस्सा थे। अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भी इन गांवों का विस्तार किया गया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, लोझाग काउंटी- जो तमालुंग का प्रशासन चलाती है उसने गरीबी उन्मूलन के लिए गांव के बुनियादी ढांचे पर अनुमानित 26 मिलियन युआन (यूएस $ 3.6 मिलियन) खर्च किए। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में दो पुलों और पक्की सड़कों के सुदृढ़ीकरण के लिए भी बजट दिया गया। सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि यह काम छह महीने के भीतर पूरा हो गया था।
इस प्रकार की भी रिपोर्टें हैं कि भूटान की राजधानी थिम्पू ने अब तक इन गांवों के विवाद को कमतर आंका है। हालांकि भूटान का सबसे करीबी साझेदार भारत लगभग 495 वर्ग किमी (191 वर्ग मील) के विवादित सीमा क्षेत्र के घटनाक्रम पर कड़ी नजर रख रहा है। हम आपको याद दिला दें कि तमालुंग के पूर्व में एक और सीमावर्ती गांव ग्यालाफुग भी पिछले साल आकार में दोगुना हो गया था जब 150 से अधिक घरों के लिए लगभग 16 वर्ग किमी (10 वर्ग मील) में निर्माण कार्य किया गया था। सैटेलाइट इमेजरी में आवासों की मौजूदा चार पंक्तियों के बगल में नए घर और एक छोटी-सी लाइब्रेरी और अन्य सुविधाओं के साथ कम्युनिस्ट पार्टी का सामुदायिक केंद्र दिखाया गया है।
चीनी राज्य मीडिया के अनुसार, ग्यालाफुग की स्थापना 2007 में केवल दो घरों और बिना पानी या बिजली के की गई थी। इसे शी जिनपिंग के “मध्यम समृद्धि” गरीबी उन्मूलन अभियान के हिस्से के रूप में 2016-18 तक एक मॉडल गांव के रूप में विकसित किया गया था। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली ने बताया कि 2021 के अंत तक 620 से अधिक “सीमावर्ती मध्यम समृद्धि वाले गांव” स्थापित किए गए थे, जो देश में गरीबी को कम करने के लिए पार्टी के शताब्दी लक्ष्य के लिए शी जिनपिंग द्वारा तय की गयी समय सीमा थी। चीनी अधिकारियों के अनुसार गांवों के विकास और विस्तार के दो उद्देश्य हैं- पहला- आधुनिक आवास प्रदान करना और दूसरा- सीमा की रक्षा करना। इस प्रकार की भी रिपोर्टें हैं कि पिछले साल तिब्बती अधिकारियों ने क्षेत्र के अन्य हिस्सों के निवासियों को सीमा क्षेत्र में पुनर्वास के लिए प्रोत्साहन के रूप में 12,800 युआन (यूएस $ 1,780) तक की पेशकश की थी। चीन का कहना है कि वह “सैन्य और नागरिकों के बीच गहरे सहयोग” को बढ़ाने के लिए ही “पेशेवर सीमा निवासियों” की योजना को आगे बढ़ा रहा है।
चीनी मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि आव्रजन पुलिस और गांव के नेता पहले से ही सीमाओं पर गश्त कर रहे हैं, वह अक्सर चट्टानों और पेड़ के तनों पर चीन लिख देते हैं या राष्ट्रीय ध्वज के शब्दों को वहां उकेर देते हैं। चीनी अधिकारियों का कहना है कि सीमा पर सरकार, सेना, पुलिस और नागरिकों के बीच समन्वय से सुरक्षा मजबूत रहती है और कोई भी अनधिकृत व्यक्ति ना अंदर आ सकता है ना बाहर जा सकता है।
हम आपको यह भी बता दें कि भूटान और चीन के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन 1984 से सीमा वार्ता चल रही है और पिछले कुछ वर्षों में उनकी कुछ क्षेत्रीय असहमतियों पर आंशिक प्रगति हुई है। 1998 में दोनों देश सीमा की यथास्थिति में एकतरफा बदलाव से बचने पर सहमत हुए थे। महामारी के बाद चीन के फिर से खुलने के बाद बातचीत में तेजी आई। भूटानी और चीनी अधिकारियों ने पिछले अगस्त में बीजिंग में अपनी 13वीं विशेषज्ञ समूह की बैठक में सीमा को चिह्नित करने के लिए एक संयुक्त तकनीकी टीम की स्थापना की और अक्टूबर में दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने आधिकारिक सीमा वार्ता का 25वां दौर आयोजित किया, जो कि आखिरी बार 2016 में आयोजित होने के सात साल बाद हुआ था।
पिछले साल मार्च में, तत्कालीन प्रधानमंत्री लोटे त्शेरिंग ने बेल्जियम के अखबार ला लिब्रे को बताया था कि गाँव भूटानी धरती पर नहीं बने हैं और उनकी सरकार ने चीन से “कोई बड़ी बात नहीं” करने का फैसला किया है। त्शेरिंग ने कहा था कि चीन और भूटान विवाद को सुलझाने के लिए अपने “तीन-चरणीय रोडमैप” के अंत के करीब हैं। लेकिन त्शेरिंग इस साल जनवरी में हुए चुनाव के दौरान अपनी सीट हार गए। उनके उत्तराधिकारी शेरिंग टोबगे चीन के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। उनका कहना है कि भूटान ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिससे भारतीय हितों को नुकसान पहुंचे।
हम आपको यह भी बता दें कि चीन के विदेश मंत्रालय ने यह पूछे जाने पर कोई जवाब नहीं दिया कि क्या तिब्बत में अधिकारियों द्वारा गांवों के विस्तार के मुद्दे पर आगे बढ़ने से पहले कोई परामर्श किया गया था। भूटान ने भी इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि सब इस बात से हैरान हैं कि जब चीन और भूटान के अधिकारियों ने सीमा वार्ता जारी रखी है, तब लोज़ाग काउंटी ने पहले ही ग्यालाफुग और तमालुंग गांवों को कस्बों में विस्तार करने की योजना कैसे घोषित कर दी है?
हम आपको बता दें कि भूटान, चीन के साथ 495 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। चीन और भूटान के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन दोनों देश अधिकारियों की समय-समय पर यात्राओं के माध्यम से आपस में संपर्क रखते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत और भूटान ही ऐसे दो देश हैं जिनके साथ चीन ने अभी तक सीमा समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया है, जबकि चीन ने 12 अन्य पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद सुलझा लिया है।
जहां तक भूटानी क्षेत्र में चीनी गांवों के बनने की बात है तो आपको बता दें कि भारत इस मुद्दे पर सतर्क रुख अपनाये हुए है। देखा जाये तो भूटान भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश है और पिछले कुछ वर्षों में दोनों पक्षों के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंधों में महत्वपूर्ण विस्तार हुआ है। वर्ष 2017 में डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 73 दिनों तक चले टकराव की पृष्ठभूमि में पिछले कुछ वर्षों में रणनीतिक संबंधों में भी तेजी देखी गई है।



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