अब समुद्र का सुपरपावर बनेगा भारत, मोदी-मैक्रों की 96 हजार करोड़ वाली डील के बारे में सुनकर पाकिस्तान-चीन के छूटे पसीने

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पाकिस्तान के साथ चीन के लिए एक साथ कई खबरें फ्रांस से आ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 से 15 जुलाई, 2023 तक फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात की आधिकारिक यात्रा पर हैं। वहां नौसेना के लिए फाइटर जेट सबमरीन के साथ हेलीकॉप्टर इंजन पर भी बड़े फैसले की उम्मीद है। फ्रांस में डील के बाद हिंद महासागर में भारत की ताकत कितनी बढ़ेगी और इसका चीन पाकिस्तान पर क्या असर होगा इसके बारे में आपको इस रिपोर्ट के माध्यम से बताते हैं। पीएम मोदी 14 जुलाई को बैस्टिल डे परेड में सम्मानित अतिथि होंगे, जहां त्रि-सेवाएं (सेना, नौसेना, वायु सेना) भारतीय सशस्त्र बल की टुकड़ी भाग लेगी। चैंप्स एलिसीज़ पर बैस्टिल दिवस परेड के बाद, औपचारिक प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता आयोजित की जाएगी। अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान पीएम मोदी मैक्रों से औपचारिक बातचीत करेंगे। फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रॉन एलिसी पैलेस में अपने आधिकारिक आवास पर भारतीय प्रधान मंत्री के सम्मान में एक राजकीय भोज और एक निजी रात्रिभोज का भी आयोजन करेंगे।

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क्यों अहम है पीएम मोदी का फ्रांस दौरा?
पीएम मोदी की पेरिस यात्रा का विशेष महत्व है क्योंकि इस वर्ष भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी की यात्रा रणनीतिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, शैक्षणिक और आर्थिक सहयोग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भविष्य के लिए साझेदारी की रूपरेखा तैयार करने का अवसर प्रदान करेगी। ये उम्मीद है कि इस दौरान भारत सरकार फ्रांस के साथ 26 राफेल-एम और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद को लेकर डील करे। यह डील करीब 96 हजार करोड़ रुपए की होगी। 
तीन स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन की डील 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस दौरे से उम्मीद लगाई जा रही है कि इस दौरान तीन स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन की डील का ऐलान हो सकता है। इंडियन नेवी को इसकी सख्त जरूरत है, क्योंकि नेवी के पास इस वक्त 16 कन्वेंशनल सबमरीन ही सर्विस में हैं। ये भी काफी पुरानी हो गई हैं। नेवी को नई सबमरीन की जरूरत है और छह अडवांस्ड कन्वेंशनल सबमरीन के लिए प्रोजेक्ट-75 इंडिया में पहले ही देर हो चुकी है। अगर फ्रांस के साथ तीन अतिरिक्त सबमरीन का ऐलान होता है तो नेवी को कम होती सबमरीन के बीच कुछ राहत मिल सकती है।

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नेवी के पास कितनी सबमरीन
नेवी के पास इस वक्त जो सबमरीन हैं, उसमें सात रूस की किलो-क्लास सबमरीन हैं, चार जर्मनी की एचडीडब्लू सबमरीन हैं और पांच फ्रांस की स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन हैं। इसमें से भी जो किलो क्लास और एचडीडब्लू सबमरीन हैं वह पुरानी हो गई हैं। उनकी लाइफ बढ़ाने के लिए मिडियम रीफिट- लाइफ सर्टिफिकेशन (MRLC) प्रोग्राम चल रहा है। इसमें सबमरीन को अपग्रेड किया जाता है और इससे उसकी लाइफ करीब 10-15 साल बढ़ जाती है। रूस से भारत ने 10 किलो क्लास सबमरीन ली थी। इसमें सिंधुरक्षक एक्सिटेंड में नष्ट हो गई, सिंधुवीर को म्यांमार को दे दिया गया और सिंधुध्वज 35 साल की सर्विस के बाद जुलाई 2020 मे नेवी से डीकमिशन हो गई। किलो क्लास की एक सबमरीन INS सिंधुकीर्ति को हाल में नॉर्मल रीफिट किया गया है।
स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ 
अक्टूबर 2005 में हस्ताक्षरित 3.75 अरब डॉलर के समझौते के तहत नौसेना समूह से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत एमडीएल द्वारा प्रोजेक्ट-75 के तहत छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है। उनमें से पांच को चालू कर दिया गया है और छठी को अगले साल की शुरुआत में चालू किए जाने की उम्मीद है। पुराने पनडुब्बी बेड़े और P-75I के तहत नई पनडुब्बियों की खरीद में देरी का मतलब था कि नौसेना को घटते बेड़े को रोकने के लिए तीन अनुवर्ती पनडुब्बियों की खरीद करनी होगी। नौसेना के पास सेवा में 16 पारंपरिक पनडुब्बियां, सात किलो-श्रेणी, चार एचडीडब्ल्यू पनडुब्बियां और पांच फ्रेंच स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां हैं। इनमें से, किलो और एचडीडब्ल्यू पुराने हो रहे हैं और नौसेना को अंतरिम उपाय के रूप में अपने जीवन का विस्तार करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, क्योंकि परियोजना -75 आई के तहत योजनाबद्ध नई पनडुब्बियों की खरीद में संबंधित देरी हुई है।



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