देवभूमि और Hindu बहुल राज्य Uttarakhand में जनसंख्या संतुलन बिगाड़ने और अवैध मजारें बनाने के पीछे क्या है साजिश?

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उत्तराखंड वैसे तो हिंदू बहुल राज्य है लेकिन यहां जिस तरह से आबादी का संतुलन बिगाड़ने की कोशिश हो रही है, अवैध मजारों की संख्या बढ़ती जा रही है और पाठ्य पुस्तकों के शब्दों पर सवाल उठ रहे हैं वह सब संभवतः किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हैं। हम आपको बता दें कि उत्तराखंड में कक्षा दो के एक छात्र के पिता ने हाल में देहरादून की जिलाधिकारी को एक शिकायत देकर अपने बच्चे की अंग्रेजी की पाठयपुस्तक में माता-पिता के लिए ‘अब्बू’ और ‘अम्मी’ शब्द इस्तेमाल किए जाने पर आपत्ति जताई है। छात्र के पिता मनीष मित्तल ने कहा है कि अपनी अंग्रेजी की पाठयपुस्तक में ये शब्द पढ़कर उनके पुत्र ने उन्हें ‘अब्बू’ और अपनी मां को ‘अम्मी’ बुलाना शुरू कर दिया है। जिलाधिकारी सोनिका को सौंपी अपनी शिकायत में मित्तल ने मांग की है कि इन शब्दों की जगह अंग्रेजी के ‘फादर’ और ‘मदर’ शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए। सोनिका ने कहा, ‘‘मुझे कुछ समय पहले इस संबंध में एक छात्र के पिता की ओर से शिकायत मिली है। मैंने मामले को मुख्य शिक्षा अधिकारी के पास भेज दिया है।’’ इस घटनाक्रम से अवगत एक अधिकारी ने कहा है कि पुस्तक में बने एक चित्र में इन शब्दों का प्रयोग हुआ है जहां पाठ का मुख्य पात्र आमिर अपने पिता को ‘अब्बू’ और माता को ‘अम्मी’ कहकर संबोधित कर रहा है। उन्होंने बताया कि हैदराबाद के प्रकाशक द्वारा छापी गयी यह पुस्तक वर्षों से आइसीएसई बोर्ड की मंजूर अध्ययन सामग्री का हिस्सा है और इसकी हजारों प्रतियां मौजूद हैं।
वहीं अगर उत्तराखंड में चल रहे भूमि जिहाद की बात करें तो आपको बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उनकी सरकार उत्तराखंड में ‘भूमि जिहाद’ को आगे नहीं बढ़ने देगी। नैनीताल जिले के कालाढ़ूंगी क्षेत्र में एक कार्यक्रम में धामी ने कहा कि इस प्रदेश के अंदर 1000 से भी ज्यादा स्थान चिन्हित किए गए हैं जहां अनावश्यक रूप से कहीं मजार बना दी गई हैं या कहीं कुछ और बना दिया गया है। उन्होंने कहा, “हम किसी के खिलाफ नहीं है लेकिन यहां जबरन किसी का कब्जा नहीं होने देंगे। इस कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में भी उन्होंने यह बात दोहराई और कहा कि उनकी सरकार किसी का नुकसान करने के लिए कोई काम नहीं करेगी लेकिन किसी का तुष्टिकरण भी नहीं होने देगी। उन्होंने कहा, “हम तुष्टीकरण पर कठोरता से लगाम लगाएंगे।”

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हम आपको यह भी बता दें कि धामी सरकार ने पिछले साल नवंबर में धर्मांतरण विरोधी कानून को और कड़ा करते हुए जबरन धर्म परिवर्तन के दोषियों के लिए 10 साल तक की सजा का सख्त प्रावधान किया है। उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता कानून में जबरन धर्म परिवर्तन को संज्ञेय और गैरजमानती अपराध बनाते हुए इसका दोषी पाए जाने पर न्यूनतम तीन साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक के कारावास के अलावा कम से कम पचास हजार रुपए के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। कानून में अपराध करने वाले को कम से कम पांच लाख रुपए की मुआवजा राशि के भुगतान का भी प्रावधान रखा गया है जो पीड़ित को देय होगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने समान नागरिक संहिता के लिए एक समिति का भी गठन किया है।
देखा जाये तो उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। यहां हिंदुओं की बहुतायत है। हर गली-मोहल्ले में छोटे बड़े मंदिरों के साथ ही चारों धाम भी यहीं हैं। लेकिन सवाल उठता है कि अब कई क्षेत्रों में हर जगह जो मजारें दिखने लग गयी हैं वह एकाएक कहां से आ गयीं। उत्तराखंड के अंदर सरकार ने 1000 से भी ज्यादा स्थान चिन्हित किए हैं जहां अनावश्यक रूप से मजार बना दी गई हैं। यह तो सरकारी आंकड़ा है, मीडिया के आंकड़े तो कुछ और ही कहानी कहते हैं। आज जहां मजार बनी है। कल को वहां पूरी मस्जिद होगी। फिर अवैध अतिक्रमण बढ़ेगा और फिर धीरे-धीरे वहां बस्तियां बस जायेंगी और फिर वो एक खास वर्ग का इलाका हो जायेगा जहां नेता तुष्टिकरण की राजनीति करेंगे और धीरे-धीरे वहां के मूल निवासी इधर-उधर चले जायेंगे क्योंकि वो बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक हो जायेंगे।
बहरहाल, उत्तराखंड में जो चल रहा है ठीक उसी तरह देश के कई भागों में जनसंख्या का संतुलन बिगाड़ दिया गया है या बिगाड़ा जा रहा है। सरकारें नहीं चेतीं तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जिहादी अपने अभियान में आगे बढ़ें उससे पहले ही उन्हें रोकना जरूरी है।



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