उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में कई मकानों में दरारें आने के बाद परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जाने के बीच लोगों का प्रदर्शन भी जारी है। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। वहीं चमोली प्रशासन ने ‘‘डूबते’’ शहर में और उसके आसपास सभी निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा करीब 50 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। वहीं जोशीमठ शहर गुरुवार को बंद रहा और आज भी कुछ इलाकों में बंद देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि यह बंद इसलिए किया गया क्योंकि प्रशासन का बेपरवाही वाला रवैया है। लोगों का यह भी कहना है कि एनटीपीसी की परियोजना की वजह से यह समस्या खड़ी हुई है। लोगों के घरों की दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें देखने बाहर से लोग आ तो रहे हैं लेकिन जनता का कहना है कि उन्हें राहत कैसे मिलेगी इसके बारे में कोई नहीं बता रहा। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि राज्य सरकार जनता को हर हाल में राहत दिलायेगी।
इस बीच, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने बताया कि लोग प्रशासन के विरोध में नारेबाजी करते हुए सड़कों पर उतर आए और उन्होंने चक्का जाम किया। इस दौरान व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। बताया जा रहा है कि चक्का जाम लगभग आठ घंटे तक चला। अतिरिक्त जिलाधिकारी (एडीएम) अभिषेक त्रिपाठी धरना दे रहे आंदोलनकारियों को मनाने पहुंचे, लेकिन उनसे कहा गया कि यह तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगों पर निर्णायक कार्रवाई नहीं हो जाती। लोगों की इन मांगों में रहवासियों का पुनर्वास, हेलांग और मारवाडी के बीच एनटीपीसी की सुरंग और बाइपास रोड का निर्माण बंद करना और इस आपदा की जिम्मेदारी एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना पर तय करना आदि हैं।
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जिला प्रशासन ने बाद में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा हेलांग बाईपास के निर्माण, तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के कार्य और नगर पालिका द्वारा किए जाने वाले अन्य निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगा दी। एनटीपीसी और हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) को भी प्रभावित परिवारों के लिए अग्रिम रूप से 2,000 प्री-फैब्रिकेटेड घर बनाने के लिए कहा गया है। जिला प्रशासन प्रभावित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने कहा कि अब तक घरों में दरारें पड़ने के बाद जोखिम में रह रहे 47 परिवारों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
उधर, गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा, आपदा प्रबंधन विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीयूष रौतेला, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के डिप्टी कमांडेंट रोहिताश्व मिश्रा और भूकंप न्यूनीकरण केंद्र के शांतनु सरकार और आईआईटी-रुड़की के प्रोफेसर बीके माहेश्वरी सहित वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम ने जोशीमठ का दौरा किया और स्थिति का आकलन करने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने कहा कि स्थिति का विस्तृत सर्वेक्षण किया जा रहा है और विशेष रूप से जोखिम वाले घरों की पहचान की जा रही है। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस को सतर्क रहने को कहा गया है। हम आपको बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले में, बदरीनाथ तथा हेमकुंड के मार्ग पर 6,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित शहर भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले ‘जोन-पांच’ में आता है। विभिन्न इलाकों में अब तक 561 मकानों में दरारें आ चुकी हैं।