Prabhasakshi Exclusive: Dantewada और Poonch में जो हमले हुए, वह किसकी नाकामी की ओर इशारा करते हैं?

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प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने बिग्रेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी से जानना चाहा कि सरकार काफी दावा करती है कि नक्सलियों के आतंक को समाप्त कर दिया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ में जिस तरह नक्सली हमले में हमारे 11 जवान शहीद हुए उससे सरकार के दावों पर गंभीर सवाल उठे हैं। इसके अलावा कश्मीर में भी जिस तरह पुंछ में हमारे जवानों पर घातक हमला हुआ उससे भी सरकार के उन दावों पर सवाल उठे हैं कि कश्मीर से आतंक अब समाप्त हो चुका है।
इस पर उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि यह दोनों घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। यदि और सतर्कता बरती जाती तो इन्हें टाला भी जा सकता था लेकिन यह बात भी सही है कि माओवादी उग्रवाद और कश्मीर में आतंकवाद पर काफी हद तक काबू पाया गया है। छत्तीसगढ़ की घटना की बात करें तो शहीद हुए जवान उसी इलाके के रहने वाले थे, वह उस क्षेत्र के हालात से अच्छी तरह परिचित थे फिर भी ऐसी घटना हो गयी तो जरूर इसमें किसी मुखबिर का हाथ है। अरनपुर थाना क्षेत्र में माओवादी कैडर की उपस्थिति की सूचना पर दंतेवाड़ा से डीआरजी बल को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था। अभियान के बाद वापसी के दौरान माओवादियों ने अरनपुर मार्ग पर बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया। यह घटना यह सबक भी देती है कि किसी अभियान के लिए रवानगी और अभियान पूरा कर वापस लौटते समय अत्यधिक सावधानी बरतना जरूरी है। जहां तक आईईडी विस्फोट की बात है तो हमें इस क्षेत्र में और विशेषज्ञता हासिल करने की जरूरत है ताकि समय पूर्व ऐसी चीजें पकड़ में आ सकें और घटनाओं को टाला जा सके।

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बिग्रेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि जहां तक पुंछ की घटना की बात है तो यह हैरानी की बात है कि रोड ओपनिंग पार्टी ने अगर सब कुछ ठीक पाया था तो यह हादसा कैसे हो गया। वैसे अभी इस मामले में जांच हो रही है जिससे सच सामने आ जायेगा। लेकिन घटना के संबंध में जो तथ्य सामने आ रहे हैं वह दर्शा रहे हैं कि यह एक बड़ी साजिश थी। जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में सेना के एक ट्रक पर घात लगाकर किए गए हमले में शामिल आतंकवादियों को पकड़ने के लिए चलाए जा रहे एक बड़े अभियान के तहत अभी तक करीब 50 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। राष्ट्रीय राइफल्स इकाई द्वारा आयोजित इफ्तार के लिए अग्रिम इलाके के एक गांव में फलों और अन्य वस्तुओं को ले जा रहे ट्रक पर घात लगाकर हमला किया जाना चौंकाता भी है क्योंकि यह लोग एक नेक काम के लिए जा रहे थे। इसलिए ग्रामीणों ने ईद-उल-फितर का त्योहार भी सादगी से मनाया। यही नहीं, गांवों में शोक सभा आयोजित की गई जहां लोगों ने शहीदों के लिए विशेष प्रार्थना की।
उन्होंने कहा कि ऐसा माना जा रहा है सात से आठ आतंकवादियों के दो समूहों ने इस हमले को अंजाम दिया। जांच में पता चला है कि आतंकवादी ट्रक पर हमला करने से पहले संभवत: सड़क मार्ग पर छिपे हुए थे। बख्तरबंद वाहन पर गोलियों के 50 से अधिक निशान मिले हैं जो आतंकवादियों द्वारा की गई अंधाधुंध गोलीबारी को दिखाती है। तलाश अभियान के दौरान जवानों को इलाके में कुछ प्राकृतिक गुफा वाले ठिकाने भी मिले जिनका संभवत: पहले आतंकवादियों ने इस्तेमाल किया होगा। सेना आईईडी की भी तलाश कर रही है। उन्होंने कहा कि सेना को आशंका है कि आतंकवादियों ने घने वन्य क्षेत्र में, खासतौर से गहरी खाइयों और गुफाओं में आईईडी लगा रखे होंगे। इस तरह की भी खबरें आ रही हैं कि पुंछ आतंकी हमलों में जो गोलियां इस्तेमाल हुई वो स्टील की बनी हुई थीं। ये गोलियां नाटो ने इस्तेमाल की थीं। इसलिए कहा जा रहा है कि तालिबान भी इस हमले के पीछे हो सकता है क्योंकि 2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद ये गोलियां लश्कर-जैश जैसे आतंकी संगठनों के पास पहुंची थीं। खबरों में कहा जा रहा है कि तालिबान राजस्व बढ़ाने के लिए हथियारों को बेच रहा है और इन्हें अब हमारे सैन्य संगठनों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है।



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