Prabhasakshi Exclusive: क्या Jammu-Kashmir में फौज की संख्या घटाने की कीमत चुका रहा है देश?

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प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी से जानना चाहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हमारे जवान शहीद हो रहे हैं जिससे देश में गुस्सा भी देखने को मिल रहा है। क्या आतंक से लड़ने की सरकार की नीति में कहीं कोई कमी दिखाई दे रही है?
इस पर उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जिस तरह आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं वह दर्शा रही हैं कि सुरक्षा बलों की निगाह से स्लीपर सेल बचे हुए हैं। भारत में एससीओ और जी-20 की बैठकों के बीच देश के सुरक्षा परिदृश्य पर सवाल उठाने के लिए सीमापार से निर्देश मिलने के बाद स्लीपर सेल को सक्रिय कर आतंकी वारदातें करवायी जा रही हैं ताकि कश्मीर पर विवाद को जिंदा रखा जा सके। इसलिए समय आ गया है कि सरकार को जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा परिदृश्य से जुड़े हर पहलू की विस्तृत समीक्षा करनी चाहिए और यदि जरूरत हो तो वहां फौज की संख्या बढ़ानी चाहिए।

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ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि कश्मीर में जिस तरह शांति दिख रही थी उससे देश आश्वस्त हो चला था लेकिन एक दिन पहले विस्फोट में हमारे पांच जवानों का शहीद हो जाना और ईद से पहले हुए हमले में हमारे चार जवानों की जो शहादत हुई है उससे देश में गम और गुस्सा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर जाकर हालात का जायजा लिया है और आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ तथा आतंकवादियों के समर्थकों और उन्हें पनाह देने वालों की धरपकड़ भी जारी है लेकिन अब विपक्ष भी सरकार से सवाल पूछ रहा है कि उसने अनुच्छेद 370 हटाये जाने से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद खत्म होने का जो दावा किया था उसका क्या हुआ? 
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार ने फौज की जो संख्या घटाई थी उसे वापस से बढ़ाये जाने का समय आ गया है क्योंकि जम्मू के राजौरी और पुंछ को एक दशक से अधिक समय पहले आतंकवाद-मुक्त घोषित कर दिया गया था अब वहां फिर से हमले बढ़ रहे हैं जोकि चिंताजनक बात है।



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