Prabhasakshi Exclusive: Bhutan King की भारत यात्रा China के नापाक मंसूबों को विफल करने में कितना कारगर रही?

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प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी से हमने जानना चाहा कि भूटान नरेश की भारत यात्रा को कितना सार्थक मानते हैं आप? क्या उनकी इस यात्रा से चीन के कुटिल मंसूबे विफल हो पाएंगे? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के साथ दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों से जुड़े मुद्दों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों पर विस्तृत चर्चा की और समय की कसौटी पर खरा उतरे अपने रिश्तों को विस्तार देने के लिए पांच सूत्री व्यापक खाका पेश किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और भूटान नरेश वांगचुक के बीच यह वार्ता ऐसे समय में हुई जब डोकलाम विवाद पर भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग की हाल की कुछ टिप्पणियों को कुछ लोग इस पड़ोसी देश के चीन के करीब जाने के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने इस बैठक के बारे में कहा था कि भारत और भूटान सुरक्षा से जुड़े विषयों पर करीबी सम्पर्क में बने हुए हैं। क्वात्रा ने बताया था कि भूटान नरेश की भारत यात्रा विविध क्षेत्रों में हमारे सहयोग को और व्यापक बनाने का खाका तैयार करती है। उन्होंने कहा कि बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और भूटान नरेश ने अपने-अपने राष्ट्रीय हितों से जुड़े मुद्दों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों पर चर्चा की। वैसे भी अभूतपूर्व और अनोखे संबंधों के बीच भारत और भूटान के बीच समय की कसौटी पर खरा उतरा सुरक्षा सहयोग ढांचा है और इसके तहत दोनों देश दीर्घकालिक परंपरा के अनुरूप सुरक्षा सहित साझा हितों से जुड़े मुद्दों पर करीबी परामर्श करते हैं। 
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि भारत उन सभी विषयों पर करीबी नजर रखता है जिनका सुरक्षा हितों पर प्रभाव पड़ सकता है। जहां तक हाल के बयान का संदर्भ है, भारत और भूटान परस्पर साझा हितों से जुड़े विषयों पर करीबी सम्पर्क रखते हैं जिसमें सुरक्षा हित शामिल हैं और इस मुद्दे (डोकलाम) पर हम अपने पुराने रूख को दोहराते हैं। हमें यह भी देखना चाहिए कि इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने क्या कहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में भूटान नरेश के साथ अपने संबंधों को गर्मजोशी भरा बताया। उन्होंने कहा कि हमारी बातचीत गर्मजोशी भरी और सार्थक रही। विदेश सचिव ने कहा कि पांच बिंदुओं के आधार पर संबंधों को विस्तार देने की रूपरेखा चिन्हित की गई। इसमें पहला आर्थिक और विकास गठजोड़ रहा जिसमें भूटान की इस वर्ष शुरू होने वाली 13वीं पंचवर्षीय योजना शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत के सहयोग में भूटान में सुधार प्रक्रिया के लिए वित्तीय सहायता शामिल है। दूसरा विषय कारोबार, सम्पर्क और निवेश सहयोग का रहा। इसमें सम्पर्क आधारभूत ढांचा, रेल सम्पर्क, वायु सम्पर्क और जल मार्ग सम्पर्क पर चर्चा शामिल है। तीसरा मुद्दा दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक और टिकाऊ कारोबार की सुविधा का शामिल है। चौथा विषय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग और पांचवां क्षेत्र अंतरिक्ष और ‘स्टार्टअप’ का शामिल है। इसके अलावा कोकराझार (असम) और गेलेफू (भूटान) के बीच प्रस्तावित रेल लिंक को गति प्रदान की जायेगी और यह दोनों देशों के बीच पहला रेल लिंक होगा। दोनों पक्ष भारत-भूटान सीमा पर जयगांव के पास पहली समन्वित चेक पोस्ट स्थापित करने की संभावना पर विचार कर रहे हैं। भारत की तरफ से भूटान को कृषि उत्पाद का निर्यात तंत्र तैयार करने में मदद की जाएगी। दोनों पक्षों ने चुखा जल विद्युत परियोजना के शुल्क के संशोधन पर भी चर्चा की। भारत ने कहा है कि हम संकोश जल विद्युत परियोजना सहित अन्य जल विद्युत परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए प्रयास तेज करेंगे। डोकलाम विवाद पर हालांकि शेरिंग की हाल की टिप्पणियों के बीच भूटान ने भी कहा है कि सीमा विवाद पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।

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उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को दिल्ली हवाई अड्डे पर भूटान नरेश की अगवानी की थी। यह भूटान नरेश की इस यात्रा को नयी दिल्ली द्वारा दिए गए महत्व को दर्शाता है। जयशंकर ने सोमवार शाम को भूटान नरेश से मुलाकात की थी और कहा था कि भूटान के भविष्य और भारत के साथ अनूठी साझेदारी को मजबूत करने के लिए नरेश के दृष्टिकोण की सराहना की जाती है। 
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि भूटान भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश है और पिछले कुछ वर्षों में दोनों पक्षों के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंधों में महत्वपूर्ण विस्तार हुआ है। वर्ष 2017 में डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 73 दिनों तक चले टकराव की पृष्ठभूमि में पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों में तेजी देखी गई है। डोकलाम पठार को भारत के सामरिक हित के लिहाज से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। डोकलाम ट्राई-जंक्शन पर 2017 में गतिरोध तब शुरू हुआ था जब चीन ने उस क्षेत्र में सड़क का विस्तार करने की कोशिश की थी, जिसके बारे में भूटान ने दावा किया था कि वह उसका है। भारत ने निर्माण का कड़ा विरोध किया था क्योंकि इससे उसके समग्र सुरक्षा हित प्रभावित होते। भारत-चीन के बीच गतिरोध कई दौर की बातचीत के बाद सुलझा। अक्टूबर 2021 में, भूटान और चीन ने अपने सीमा विवाद को हल करने के लिए बातचीत में तेजी लाने के लिए ‘‘तीन-चरणीय कार्ययोजना’’ को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा कि भूटान चीन के साथ 400 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा साझा करता है और दोनों देशों ने विवाद को हल करने के लिए सीमा वार्ता के 24 से अधिक दौर आयोजित किए हैं। जहां तक हालिया विवाद की बात है तो वह तब शुरू हुआ जब हाल ही में एक साक्षात्कार में भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा था कि डोकलाम में सीमा विवाद को सुलझाने में चीन की भी बराबर की भूमिका है। वैसे भारत लगातार भूटान का शीर्ष व्यापारिक भागीदार रहा है और भूटान में निवेश का प्रमुख स्रोत बना हुआ है।



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