Poorvottar Lok: Bhutan King का Assam में हुआ गर्मजोशी से स्वागत, Mizoram Assembly Elections में जीत के लिए पार्टियों ने झोंकी ताकत

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इस सप्ताह भूटान नरेश भारत की यात्रा पर पहले असम पहुँचे जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इसके अलावा मिजोरम में चुनाव प्रचार जोरों पर चल रहा है और विभिन्न पार्टियां सत्ता के लिए प्रबल दावेदारी कर रही हैं तो वहीं दूसरी ओर मणिपुर में रह-रह कर हालात अब भी तनावपूर्ण होने की खबरें आती रहती हैं। इसके अलावा पूर्वोत्तर भारत से इस सप्ताह और भी कई बड़ी खबरें रहीं आइये सब पर डालते हैं एक नजर। सबसे पहले बात करते हैं असम की।

असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक असम की अपनी पहली तीन दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार को गुवाहाटी पहुंचे। पड़ोसी हिमालयी देश के 43 वर्षीय राजा का राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा, उनके कैबिनेट सहयोगियों और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने लोकप्रिय गोपीनाथ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्वागत किया। वांगचुक को असम का पारंपरिक गमछा भेंट किया गया और उन्होंने मुख्यमंत्री एवं उनके कैबिनेट सहयोगियों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। भूटान नरेश ने शहर में नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर में दर्शन और पूजन किया और दोपहर में गुवाहाटी में भूटानी प्रवासियों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री शर्मा शाम को भूटान नरेश के साथ बैठक करेंगे। राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया उनके सम्मान में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम और रात्रिभोज का आयोजन करेंगे। भूटान नरेश और उनका दल शनिवार को एक सींग वाले गैंडे के लिए प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान जाएंगे। वांगचुक रविवार को जोरहाट से नयी दिल्ली रवाना होंगे। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘उनकी शाही उपस्थिति दोनों देशों के बीच के संबंधों को और मजबूत करेगी। राज्य कैबिनेट ने सद्भावना के संकेत के रूप में बुधवार को भूटान की शाही सरकार के लिए तीन एमबीबीएस सीट आरक्षित रखने को मंजूरी दी। भारत और भूटान की 649 किलोमीटर की सीमा साझा है, जिसमें से 267 किलोमीटर की सीमा असम के साथ लगती है।

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इसके अलावा, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि पिछले 10 साल में करीब तीन लाख रुपये की राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिससे क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्गों का 45 प्रतिशत (लंबाई के मामले में) विस्तार हुआ। गडकरी ने आगाह किया कि अधिकारियों को नगालैंड तथा मेघालय जैसे कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में भूमि अधिग्रहण की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और यदि मुद्दों को जल्द हल नहीं किया गया तो परियोजनाएं बंद हो सकती हैं। असम में राष्ट्रीय राजमार्ग कार्यों की प्रगति की समीक्षा के बाद संवाददाता सम्मेलन में गडकरी ने कहा, ”पिछले 10 वर्षों में पूर्वोत्तर को 2,89,425 रुपये की परियोजनाएं दी गई हैं। इनमें आगामी, चालू और सम्पन्न हो चुकी परियोजनाएं शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा कि क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 2014 में करीब 10,800 किलोमीटर से बढ़कर अब 15,740 किलोमीटर हो गई है। केंद्रीय मंत्री ने असम के लिए दो योजनाओं के तहत 800 करोड़ रुपये की मंजूरी की भी घोषणा की।
इसके अलावा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और असम सरकार के पूर्व मंत्री शरत बोर्कोटोकी का सोमवार को गुवाहाटी के एक अस्पताल में निधन हो गया। अधिकारियों ने बताया कि बोर्कोटोकी (86) को उम्र संबंधी विभिन्न बीमारियों के कारण 16 अक्टूबर को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि रविवार रात बोर्कोटोकी की हालत बिगड़ने लगी और देर रात 1.36 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। अधिकारियों ने बताया कि बोर्कोटोकी ने अपनी आंखें दान कर दी थीं, जिन्हें प्राप्त करने की प्रक्रिया पार्थिव शरीर को परिवार को सौंपने से पहले पूरी कर ली गयी। पार्थिव शरीर को गुवाहाटी में बोर्कोटोकी के आवास और प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय ले जाया गया। वहां पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बोर्कोटोकी को अंतिम श्रद्धांजलि दी। अंतिम संस्कार बोर्कोटोकी के पैतृक स्थान चराइदेव जिले के सोनारी में होगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता टोपोन कुमार गोगोई से हारने से पहले बोर्कोटोकी 1991 से 2016 तक लगातार पांच बार सोनारी के विधायक रहे। उन्होंने हितेश्वर सैकिया के नेतृत्व वाली सरकार के साथ-साथ तरुण गोगोई नीत सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया और शिक्षा तथा लोक निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि बोर्कोटोकी का निधन राज्य के लिए एक बड़ी क्षति है। शर्मा ने भाजपा में शामिल होने से पहले कांग्रेस में अपने दिनों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘वह एक समझदार राजनीतिज्ञ थे और मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला।’’ बोर्कोटोकी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने कहा कि पार्टी ने एक समर्पित कार्यकर्ता खो दिया है। बोरा ने कहा कि पार्टी आजीवन सहयोग के लिए हमेशा उनकी ऋणी रहेगी। बोर्कोटोकी प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे।
मेघालय
मेघालय से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि न्यायमूर्ति हमरसन सिंह थांगख्यू को बुधवार को मेघालय उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। कानून मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति थांगख्यू बृहस्पतिवार से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे। नवंबर 2021 में, जब न्यायमूर्ति रंजीत वी मोरे मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे, उस समय भी न्यायमूर्ति थांगख्यू को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
इसके अलावा, नेशनल पीपुल्स पार्टी के प्रमुख और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने मंगलवार को प्रिस्टोन टिनसोंग को प्रदेश में पार्टी प्रमुख नियुक्त किया। उपमुख्यमंत्री टिनसोंग ने डब्ल्यू आर खारलूखी की जगह ली है जो 16 सालों से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर आसीन थे। एनपीपी मुख्यालय में इस बदलाव की घोषणा करते हुए संगमा ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि खारलूखी ने संकेत दिया था कि वह पार्टी के प्रदेश प्रमुख के पद से हटना चाहते हैं। खारलूखी मेघालय से राज्यसभा सदस्य भी हैं। संगमा ने पदभार सौंपने से संबंधित समारोह में कहा, ”मैंने पार्टी नेताओं और सदस्यों से चर्चा शुरू की थी। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी है कि (एनपीपी के) संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार प्रिस्टोन टिनसोंग को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया जा रहा है।’’ एनपीपी सत्तारुढ़ मेघालय लोकतांत्रिक गठबंधन की अगुवाई कर रही है । इस गठबंधन में भाजपा तथा यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी एवं हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जैसे अन्य क्षेत्रीय दल भी हैं।
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य की राजधानी इंफाल में बृहस्पतिवार को शांति रही, लेकिन हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं। एक दिन पहले यहां मणिपुर राइफल्स के शिविर के शस्त्रागार को लूटने की कोशिश के दौरान सुरक्षा बलों ने दो हजार से अधिक लोगों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में कई राउंड फायरिंग की थी। शहर में कई बाजार बंद रहे, लेकिन शैक्षणिक संस्थान, सरकारी कार्यालय और मणिपुर उच्च न्यायालय सामान्य रूप से खुले रहे, जबकि सुबह 10 बजे से कर्फ्यू में ढील के बाद सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी देखी गई। प्रशासन ने प्रमुख चौराहों पर अतिरिक्त राज्य और केंद्रीय बलों को तैनात किया और पुलिसकर्मी मणिपुर राइफल्स शिविर के पास के इलाकों में गश्त कर रहे हैं। राज्य पुलिस ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘कल हथियारबंद भीड़ द्वारा मणिपुर राइफल्स बटालियन में हथियार और गोला-बारूद लूट की कोशिश की गई थी, जिसे संयुक्त सुरक्षा बलों ने विफल कर दिया था।’’ भीड़ ने बुधवार को इंफाल वेस्ट जिले में राजभवन और मुख्यमंत्री कार्यालय के करीब मणिपुर राइफल्स शिविर को निशाना बनाया था। इसके बाद सख्ती दिखाते हुए इंफाल ईस्ट और वेस्ट जिले में अधिकारियों ने दैनिक कर्फ्यू में सुबह पांच बजे से रात 10 बजे तक की छूट को वापस ले लिया था। हालांकि, इंफाल ईस्ट के जिलाधिकारी ने कर्फ्यू प्रतिबंध में बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक ढील दी। इंफाल वेस्ट में भी सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक इस तरह का प्रतिबंध हटा लिया गया। सरकारी आदेश में कहा गया कि ‘‘लोगों के आवासों के बाहर गतिविधियों पर लगाये गये प्रतिबंध में बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक छूट दी गई है’’ लेकिन ‘‘यह छूट किसी तरह की भीड़ जुटाने या बड़े पैमाने पर आंदोलन या विरोध प्रदर्शन या रैली करने के लिए नहीं होगी।’’ राज्य की राजधानी में मंगलवार सुबह मोरेह शहर में आदिवासी उग्रवादियों द्वारा बहुसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पुलिस उपाधीक्षक स्तर के एक अधिकारी की गोली मारकर हत्या किये जाने के बाद तनाव फैल गया था। एक अन्य घटना में, मंगलवार दोपहर तेंगनौपाल जिले के सिनम में उग्रवादियों ने राज्य बल के एक काफिले पर हमला कर दिया था, जिसमें तीन पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हो गए। इस बीच, कुकी छात्र संगठन (केएसओ) ने तेंगनौपाल जिले के मोरेह शहर में अतिरिक्त पुलिस कमांडो की तैनाती के विरोध में एक नवंबर की आधी रात से राज्य में 48 घंटे के बंद का आह्वान किया है। तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जब मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की जनसंख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। आदिवासियों में नगा और कुकी शामिल हैं।
इसके अलावा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को मणिपुर में एक दूसरे से लड़ रहे मेइती और कुकी समुदायों से अपील की कि वे परस्पर बने ‘अविश्वास’ के माहौल को खत्म करने के लिए साथ बैठें और ‘दिल’ से बात करें। मिजोरम के दक्षिणी हिस्से में और म्यामां सीमा के नजदीक आयोजित एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और मणिपुर के दोनों समुदायों को स्थिति सुधारने के लिए एक-दूसरे से बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले नौ वर्षों में पूर्वोत्तर शांतिपूर्ण रहा है। सभी राज्यों में उग्रवाद समाप्त हो गया था। हालांकि, हमने इस मणिपुर में हिंसा की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं देखीं जो हमारे लिए पीड़ादायक है।’’ सिंह ने कहा, ‘‘हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। हमें जो चाहिए वह है दिल से दिल की बातचीत। मैं दोनों समुदायों (मेइती और कुकी) से एक साथ बैठने और अविश्वास को खत्म करने की अपील करता हूं।’’ मेइती और कुकी समुदायों के बीच शत्रुता के कारण पिछले कुछ महीनों में मणिपुर में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान चली गई है, जब मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की जनसंख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। आदिवासियों में नगा और कुकी शामिल हैं। रक्षा मंत्री ने कांग्रेस पर मणिपुर की स्थिति का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘जब मणिपुर में हालात बिगड़ रहे थे तब कांग्रेस ने इस मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश की।’’ सिंह ने कहा, ‘‘मिजोरम और पूर्वोत्तर समेत पूरे देश को कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति से दूर रखने की जरूरत है।’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का मानना है कि जब तक पूर्वोत्तर वास्तव में विकसित नहीं होगा तब तक एक मजबूत, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा नहीं होगा। सिंह ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मिजोरम की सत्ता में आती है तो राज्य को मादक पदार्थ मुक्त करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। रक्षा मंत्री ने 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा मिजोरम में वायुसेना के इस्तेमाल का भी संदर्भ दिया। सिंह ने कहा,‘‘विपरीत परिस्थितियों में भी एकता और राष्ट्रीय अखंडता बनाए रखने के लिए मैं आपकी सराहना करता हूं।’’ आइजोल में भारतीय वायुसेना द्वारा 1966 में किए गए हमले का सदंर्भ देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब उसने देश में पहली बार मिजोरम में हवाई हमले कराए। अब भाजपा सत्ता में है और हम ऐसा कभी नहीं करेंगे।’’ उक्त हवाई हमला कुछ उग्रवादियों को निशाना बनाकर किया गया था। रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर भाजपा राज्य की सत्ता में आती है तो मिजोरम के विकास परिदृश्य को बदल देगी। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा विकास और शासन का पर्याय है। हम यहां मिजोरम को एक नयी तरह की राजनीति प्रदान करने के लिए हैं जो सुशासन, विकास और लोगों के कल्याण पर आधारित है। हम सभी के लिए न्याय और किसी के तुष्टिकरण में विश्वास नहीं करते।’’ सिंह ने कहा, ”2014 में, पूर्वोत्तर में केवल आठ हवाई अड्डे और एक जलमार्ग था। आज, पूर्वोत्तर में 17 हवाई अड्डे और 18 जलमार्ग हैं।’’ मिजोरम 40 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए सात नवंबर को मतदान होगा और मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।
इसके अलावा, मणिपुर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मंगलवार को तेंगनौपाल जिले में संदिग्ध आदिवासी उग्रवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी, जिसके बाद राज्य सरकार ने ‘वर्ल्ड कुकी-जो इंटेलेक्चुअल काउंसिल’ (डब्ल्यूकेजेडआईसी) को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित समूह घोषित करने की सिफारिश की। अधिकारियों ने बताया कि इम्फाल के हाओबाम मराक इलाके के निवासी उपमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) चिंगथम आनंद की तब एक ‘स्नाइपर’ हमले में हत्या कर दी गई, जब वह पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा संयुक्त रूप से बनाये जाने वाले एक हेलीपैड के लिए ईस्टर्न शाइन स्कूल के मैदान की सफाई की देखरेख कर रहे थे।’’ अधिकारियों ने कहा कि एसडीपीओ को मोरेह के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके कुछ ही मिनट बाद मणिपुर की कैबिनेट की एक बैठक मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के नेतृत्व में हुई जिसने एसडीपीओ चिंगथम के परिजनों के लिए 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मंजूर की। साथ ही कैबिनेट ने जान गंवाने वाले पुलिसकर्मी के परिजन को उचित सरकारी नौकरी प्रदान करने का भी निर्णय लिया। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘आज एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की हत्या के मद्देनजर, कैबिनेट ने गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 3 के तहत ‘वर्ल्ड कुकी-ज़ो इंटेलेक्चुअल काउंसिल’ (डब्ल्यूकेजेडआईसी) को एक गैरकानूनी संगठन घोषित करने की सिफारिश करने को मंजूरी दे दी।’’ हालांकि, राज्य सरकार की सिफारिश की पुष्टि केंद्र द्वारा की जानी होगी, जो किसी संगठन को यूएपीए के तहत गैरकानूनी घोषित करने का निर्णायक प्राधिकारी है। मणिपुर कैबिनेट ने अपनी बैठक में इस पर गौर किया कि डब्ल्यूकेजेडआईसी ने 24 अक्टूबर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कुकी-जो समुदाय से हथियारों और गोला-बारूद का “पर्याप्त भंडार” रखने का आह्वान किया था क्योंकि फसल कटाई के मौसम से पहले नवंबर में उसे ‘‘एक और संघर्ष का सामना करना पड़ेगा।’’ कैबिनेट ने सुरक्षा बलों को ‘‘अपराध के लिए जिम्मेदार अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए मोरेह और उसके आसपास के इलाकों में एक संयुक्त अभियान शुरू करने का निर्देश देने का फैसला किया।’’ कैबिनेट ने इस पर ‘‘गौर किया कि इस उद्देश्य के लिए इम्फाल से अतिरिक्त राज्य बलों को तैनात किया गया है। अभियान तब से शुरू हो गए हैं।’’ कैबिनेट ने केंद्रीय और राज्य बलों को पल्लेल-मोरेह सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग-102 पर वाहनों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जो इम्फाल घाटी को लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीमावर्ती शहर से जोड़ता है। तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान चली गई है, जब मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की जनसंख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। आदिवासियों में नगा और कुकी शामिल हैं।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने संयम बरतने पर जोर देते हुए मंगलवार को मीडिया से किसी भी ‘‘अनधिकृत या गैर-मान्यता प्राप्त’’ संगठनों की प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित नहीं करने की अपील की। सिंह ने आम लोगों से भी आग्रह किया कि वे मीडिया मंचों पर कुछ भी अभिव्यक्त करने से पहले सावधानी बरतें, क्योंकि इससे शत्रुता भड़क सकती है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में शांति बनाए रखने के लिए सभी को जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। मणिपुर में इस साल मई से जातीय हिंसा जारी है और इससे राज्य में अब तक करीब 180 लोगों की मौत जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने यहां राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मीडिया को किसी भी अनधिकृत या गैर-मान्यता प्राप्त संगठन की प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित नहीं करनी चाहिए, जिससे किसी समुदाय की भावनाएं आहत हो सकती हैं या विभिन्न समुदायों के बीच तनाव पैदा हो सकता है।’’
इसके अलावा, मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह समेत 204 से अधिक पुलिसकर्मियों को केंद्रीय गृह मंत्री के ‘विशेष अभियान पदक’, 2023 के लिए मंगलवार को चुना गया। जम्मू-कश्मीर में विभिन्न पदों पर सेवा दे चुके और अभी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में तैनात भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अमित कुमार भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा स्वीकृत सूची में शामिल हैं। मणिपुर में मई में जातीय हिंसा भड़कने के बाद इस पूर्वोत्तर राज्य की पुलिस के प्रमुख की जिम्मेदारी संभालने वाले सिंह को पूर्व में सीआरपीएफ के महानिरीक्षक पद पर काम करते हुए अनुकरणीय प्रदर्शन करने के लिए इस पुरस्कार के वास्ते चुना गया है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पदक के लिए चुने गए 204 पुलिसकर्मी सीआरपीएफ, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण और स्वापक नियंत्रण ब्यूरो तथा 10 राज्यों के हैं। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड शामिल हैं। इस पदक को देने की शुरुआत 2018 में उच्च स्तर की योजना के माध्यम से संचालित अभियानों को मान्यता देने के उद्देश्य से की गई थी, जिनका देश, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सुरक्षा के लिए काफी महत्व होता है और इसका समाज के व्यापक वर्गों की सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह पुरस्कार आतंकवाद विरोधी, सीमा कार्रवाई, हथियार नियंत्रण, नशीले पदार्थों की तस्करी की रोकथाम और बचाव कार्यों जैसे क्षेत्रों में विशेष अभियान के लिए प्रदान किया जाता है। हर वर्ष 31 अक्टूबर को इसकी घोषणा की जाती है। एक वर्ष में, आमतौर पर पुरस्कार के लिए तीन विशेष अभियानों पर विचार किया जाता है और असाधारण परिस्थितियों में, राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेश पुलिस को प्रोत्साहित करने के लिए पांच विशेष अभियानों तक के लिए पुरस्कार प्रदान किए जा सकते हैं।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि जोरम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के नेता एवं पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा ने कहा है कि यदि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आती है, तो वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) या ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूजिव अलायंस’ (इंडिया) में शामिल नहीं होगी। लालदुहोमा ने कहा कि उनकी पार्टी केंद्र के नियंत्रण से मुक्त एक स्वतंत्र क्षेत्रीय दल के तौर पर अपनी पहचान बरकरार रखेगी। जेडपीएम नेता ने कहा, ”हम सत्ता में आने पर भी राष्ट्रीय स्तर पर किसी समूह में शामिल नहीं होंगे। हम अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखना चाहते हैं और एक स्वतंत्र क्षेत्रीय दल बने रहना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम दिल्ली के नियंत्रण में नहीं रहना चाहते।’’ लालदुहोमा (73) ने साथ ही कहा कि जेडपीएम केंद्र के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बना कर रखेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्र में सरकार के साथ अच्छे संबंध बनाकर रखेंगे। तर्कसंगत होने पर ही हम उसका समर्थन या विरोध करेंगे।’’ जेडपीएम का गठन 2017 में दो राजनीतिक दलों और पांच समूहों ने किया था। गैर-कांग्रेसी, गैर-एमएनएफ (मिजो नेशनल फ्रंट) सरकार के नारे को भुनाते हुए पार्टी 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में आठ सीट जीतकर राज्य में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी, जिससे कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई। लालदुहोमा ने दावा किया कि महज पांच साल पुरानी अपेक्षाकृत युवा पार्टी जेडपीएम अपनी नई शासन प्रणाली नीति के साथ विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने को लेकर आश्वस्त है और राज्य में दशकों पुरानी द्विध्रुवीय राजनीति को खत्म करने की उम्मीद कर रही है। लालदुहोमा ने दावा किया कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि पार्टी को कितनी सीट पर जीत की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि लोगों का एमएनएफ और कांग्रेस पर से ‘‘भरोसा उठ’’ गया है और वे बदलाव चाहते हैं। भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें जबरदस्त बहुमत के साथ चुनाव में जीत मिलने का भरोसा है। लोग शासन की नई प्रणाली को देखने के लिए उत्सुक हैं। हमें सकारात्मक वोट चाहिए। हम चाहते हैं कि लोग हमें एमएनएफ और कांग्रेस से उकता जाने के कारण नहीं, बल्कि बदलाव के लिए वोट दें।’’ मिजोरम में विधानसभा चुनाव सात नवंबर को होंगे। लालदुहोमा ने कहा कि अगर जेडपीएम सत्ता में आती है, तो वह सत्ता के विकेंद्रीकरण का काम करेगी और विकास पर नजर रखने के लिए राज्य से लेकर गांव के स्तर तक गैर सरकारी संगठनों, गिरजाघरों और लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य संगठनों को शामिल करते हुए समितियां गठित करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी वित्तीय बाधाओं को दूर करने के लिए खर्चों में कमी करने के कदम भी उठाएगी और सभी मंत्री एवं विधायक उन्हें मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं में भी कटौती करेंगे। लालदुहोमा ने मुख्यमंत्री जोरमथंगा के नेतृत्व वाली एमएनएफ सरकार के शरणार्थियों से निपटने के तरीके को ‘‘असंतोषजनक’’ बताते हुए उसकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जेडपीएम को म्यांमा, बांग्लादेश और मणिपुर छोड़कर गए ‘जो’ जातीय लोगों की चिंता की है और अगर वह सत्ता में आती है तो मौजूदा सरकार से बेहतर काम करेगी। लालदुहोमा ने दावा किया कि मणिपुर में हुई हिंसा भाजपा सहयोगी एमएनएफ की मदद करने के बजाय उसकी जीत की संभावना को प्रभावित करेगी, क्योंकि भाजपा मणिपुर की स्थिति को संभालने में ‘‘विफल’’ रही।
इसके अलावा, मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए कुल 7,671 लोगों ने घर से और डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान किया है। अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी एच लियानजेला ने एक बयान में कहा, इनमें से 1,998 लोगों ने घर से, जबकि 5,673 लोगों ने डाक मतपत्रों के माध्यम से वोट डाले हैं। मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान सात नवंबर को होगा और मतगणना तीन दिसंबर को की जाएगी। घर से मतदान की सुविधा 80 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों तथा विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) को दी जाती है, जबकि डाक मतपत्र से वोट डालने की सुविधा मतदान कर्मियों, अन्य अधिकारियों और आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों के लिए है।
इसके अलावा, कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि मिजोरम में सत्तारुढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) की आसन्न हार को भांपते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नयी सरकार में उपमुख्यमंत्री पद सुरक्षित करने की उम्मीद में विपक्षी दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) को लुभा रही है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता लालरेमरूता रेंथलेई ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जेडपीएम और भाजपा के बीच एक “गुप्त समझौता” हुआ है तथा जेडपीएम नेता लालडुहोमा की हाल की गुवाहाटी यात्राएं इसका प्रमाण हैं। रेंथलेई ने कहा, “भाजपा के पास जिन राज्यों में अपने दम पर जीतने का मौका नहीं है, वहां क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करने की उसकी रणनीति कोई नई बात नहीं है। मौजूदा समय में, जेडपीएम और एमएनएफ, दोनों ही भाजपा के करीबी सहयोगी बनने की होड़ में हैं।” उन्होंने दावा किया कि भाजपा एक “गुप्त समझौते” के तहत सत्तारूढ़ एमएनएफ से धीरे-धीरे दूर हो रही है और विपक्षी दल जेडपीएम के करीब जा रही है। रेंथलेई ने कहा, “एमएनएफ, जो लंबे समय से भाजपा की सहयोगी है, को अब आगामी चुनावों में संभावित विजेता के रूप में नहीं देखा जा रहा है, जिससे जेडपीएम के लिए उसकी जगह लेने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।” उन्होंने कहा, “जेडपीएम नेता लालडुहोमा की गुवाहाटी की हाल की यात्राओं में भाजपा के साथ गुप्त बैठकें शामिल होने का संदेह है। ऐसा लगता है कि भाजपा को सहयोगी दल के तौर पर उस पर भरोसा है।” रेंथलेई ने दावा किया कि भाजपा जेडपीएम के साथ गठबंधन बनाने को लेकर आश्वस्त दिख रही है और उसे उपमुख्यमंत्री पद भी खुद के लिए सुरक्षित होने की उम्मीद है। कांग्रेस नेता का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वनुपा जथांग ने कहा कि अगर खंडित जनादेश आता है, तो उनकी पार्टी एमएनएफ (जो पहले से ही राषट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा है) या जेडपीएम के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार है और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि चुनाव में किसे ज्यादा सीटें मिलेंगी। कांग्रेस ने राज्य के लोगों से एमएनएफ या जेडपीएम को वोट न देने का आग्रह किया। रेंथलेई ने कहा, “कांग्रेस भाजपा से मौजूद खतरे का मुकाबला करने की आवश्यकता में दृढ़ता से विश्वास करती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दल अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान से समझौता करने को तैयार दिखते हुए भी भाजपा के साथ संबंध बनाए हुए हैं।” मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान सात नवंबर को होगा, जबकि मतगणना तीन दिसंबर को की जाएगी।
इसके अलावा, भले ही एक दशक से अधिक समय पहले हुए जातीय दंगों के बाद 35,000 से अधिक ब्रू लोग त्रिपुरा में चले गए हैं, लेकिन लगभग 5,000 आदिवासियों के साथ-साथ अन्य छोटी अल्पसंख्यक जनजातियां चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की ताकत रखती हैं। मिजोरम के मामित जिले में हाछेक विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारों की हार-जीत की कुंजी इन्हीं आदिवासी और अल्पसंख्यक मतदाताओं के पास है जहां सात नवंबर को मतदान होगा। सत्तारुढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), मुख्य विपक्षी ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा ब्रू मतदाताओं का विश्वास अर्जित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है जो केंद्र, मिजोरम और त्रिपुरा की सरकारों तथा आदिवासी नेताओं के बीच हुए चतुर्पक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करने के बावजूद विधानसभा क्षेत्र में अपने पैतृक गांवों में रुके हुए हैं। समझौते के तहत अनेक ब्रू लोगों का पड़ोसी राज्य में स्थायी रूप से पुनर्वास किया जा चुका है। पार्टी की विचारधारा से इतर नेताओं का कहना है कि 23,600 पात्र मतदाताओं में से 5,000 से अधिक ब्रू मतदाता “आगामी चुनाव में चकमा और त्रिपुरी जनजातियों के लगभग 2,000 मतदाताओं की तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।” कांग्रेस उम्मीदवार लालरिंदिका रिलेटे इस सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एमएनएफ ने राज्य के खेल मंत्री रॉबर्ट आर रॉयटे को मैदान में उतारा है और जेडपीएम के उम्मीदवार के रूप में जोनाथन राल्टे मैदान में हैं। भाजपा ने हाछेक निर्वाचन क्षेत्र में माल्सावमत्लुआंगा को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी मामित जिले में पैठ बनाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। कांग्रेस उम्मीदवार रिलेटे ने कहा, ‘‘चुनाव में मेरी लड़ाई एमएनएफ उम्मीदवार के साथ होगी और मुझे दूसरी बार सीट जीतने की उम्मीद है। मुझे लगता है कि दो अन्य दल-भाजपा और जेडपीएम परिदृश्य में नहीं हैं।” लालरिंदिका ने 2018 के चुनाव में 366 मतों के मामूली अंतर से सीट जीती थी जबकि एमएनएफ दूसरे स्थान पर रही थी।
इसके अलावा, मिजोरम विधानसभा में सिर्फ एक विधायक वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि वह पूर्वोत्तर राज्य में अपने दम पर ही अगली सरकार बना लेगी। अगर बहुमत नहीं आता है तो भाजपा सत्तारुढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) या फिर मुख्य विपक्षी दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेएडपीएम) से भी गठबंधन के लिए तैयार है। जिसे अधिक सीटें मिलेंगी उसे प्राथमिकता दी जाएगी। एमएनएफ पहले से ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा है। भाजपा सात नवंबर को होने वाले 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा चुनाव में 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 2018 में हुये पिछले चुनाव में पार्टी ने 39 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक ही सीट पर जीत हासिल कर राज्य विधानसभा में उसका पहली बार खाता खुला था। मिजोरम भाजपा अध्यक्ष (प्रभारी) वनुपा जथांग ने यहां एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमारा प्रचार बहुत अच्छा चल रहा है। लोग विभिन्न मुद्दों पर हमारे रुख को स्वीकार कर रहे हैं और हमारी नीतियों को समझ रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस बार हम अपने दम पर सरकार बनाएंगे।’’ उन्होंने दावा किया कि भाजपा को ईसाई विरोधी पार्टी बताने वाला विपक्ष का ‘‘दुष्प्रचार’’ काम नहीं आया है। जथांग ने कहा, ‘‘हमने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और संविधान के अनुच्छेद 371जी पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। यूसीसी अभी विधि आयोग के पास है। हमें इस पर और कुछ नहीं कहना है।’’ अनुच्छेद 371जी को कमजोर करने के विपक्ष के आरोप पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने लोगों को मिजोरम के लिए विशेष प्रावधान के बारे में बताया है और यह एक स्थायी शर्त है, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की तरह अस्थायी नहीं है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371जी मिजोरम के लिए एक विशेष प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, प्रथागत कानून तथा प्रक्रिया और भूमि के स्वामित्व तथा हस्तांतरण से संबंधित कोई भी केंद्रीय कानून तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि मिजोरम विधानसभा इसकी मंजूरी नहीं दे देती। यह पूछे जाने पर कि अगर बहुमत हासिल नहीं होता है, तो भाजपा का अगला कदम क्या होगा, उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की स्थिति में, अगर एमएनएफ राजग के साथ रहती है तो हम उसका समर्थन करेंगे। अगर जेडपीएम को एमएनएफ से अधिक सीटें मिलती हैं, तो भाजपा को उनके साथ जाने में कोई परहेज नहीं होगा।’’ हालांकि, उन्होंने तीनों गैर-कांग्रेसी दल-भाजपा, एमएनएफ और जेडपीएम की गठबंधन सरकार से इनकार कर दिया। जथांग ने जोर देते हुए कहा, ‘‘मुझे ऐसा होता नहीं दिख रहा है। लेकिन अगर ऐसा होता है, तो हमारे केंद्रीय नेतृत्व को निर्णय लेना होगा। हम कांग्रेस को छोड़कर किसी भी पार्टी के साथ जाने के लिए तैयार हैं।’’ केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव का मुद्दा बने म्यांमा शरणार्थी संकट पर पर उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पार्टी में कभी इस पर चर्चा नहीं की। मणिपुर से आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को लेकर हमारा रुख स्पष्ट है कि वे हमारे भाई-बहन हैं। लेकिन चुनाव में ये कोई मुद्दा नहीं है।’’
इसके अलावा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि मिजोरम के दो प्रमुख राजनीतिक दल मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) भारतीय जनता पार्टी के अनौपचारिक एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। मिजोरम की सभी 40 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव के तहत सात नवंबर को मतदान होगा और तीन दिसंबर को मतगणना होगी। खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘1986 में एक शांति समझौते के माध्यम से राजीव गांधी मिजोरम में शांति ले कर आए और 1987 में राज्य का दर्जा सुनिश्चित किया। कांग्रेस पार्टी सदैव देश की प्रगति के लिए प्रतिबद्ध रही है।’’ उन्होंने दावा किया कि भाजपा-आरएसएस विविधता के खिलाफ हैं और वे अपने मित्रों के भले के लिए आदिवासियों की संपत्ति, कीमती जमीन और जंगल छीनना चाहते हैं। खरगे ने आरोप लगाया कि एमएनएफ और जेडपीएम भाजपा के अनौपचारिक एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मिजोरम के लोग शांति, समृद्धि और प्रगति के पात्र हैं। हम जो वादा करते हैं, उसे पूरा करते हैं। मिजोरम राज्य के लिए हमारी गारंटी कल्याण, समावेशी प्रगति और आर्थिक सुरक्षा की शुरूआत करेगी।”
इसके अलावा, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बुधवार को एक वीडियो संदेश के माध्यम से मिजोरम की जनता से विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील की और आरोप लगाया कि प्रदेश की दो पार्टी-मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) तथा जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए प्रवेश द्वार की तरह हैं। उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर देश में एकरूपता थोपने के प्रयास का भी आरोप लगाया और कहा कि इससे लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा हुआ है। गांधी ने मणिपुर हिंसा के मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पूरी तरह से चुप्पी साध लेने का आरोप लगाया और कहा कि हिंसा के छह महीने बीतने के बावजूद उन्होंने कुछ घंटों के लिए भी मणिपुर का दौरा करना उचित नहीं समझा। उन्होंने अपने वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मिजोरम का मेरे दिल में बहुत विशेष स्थान है। मैंने कई बार मिजोरम का दौरा किया। आपकी परंपरा और संस्कृति, आपकी भूमि की सुंदरता एवं समृद्धि ने मेरे ऊपर गहरी छाप छोड़ी है। मैं आज तक आपका स्नेह और अपनापन नहीं भूली हूं।’’ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने इस बात को याद किया कि उन्होंने ऐतिहासिक मिजो करार के तत्काल बाद अपने परिवार के साथ मिजोरम का दौरा किया था। गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘आज भाजपा और आरएसएस से मिजोरम, पूर्वोत्तर और पूरे भारत में लोकतंत्र को खतरा है। वे विविधिता, लोकतंत्र और संवाद को महत्व नहीं देते, वे पूरे भारत में एकरूपता थोपना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा ने संसद में कानून पारित करवाया जिससे मिजोरम में वन कानून कमजोर हुए। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा ने मणिपुर में समाज को बांट दिया। छह महीने से लोग पीड़ा झेल रहे हैं, लेकिन शांति एवं सुलह को लेकर कोई प्रयास नहीं हुआ। प्रधानमंत्री पूरी तरह चुप हैं, उन्होंने कुछ घंटे के लिए भी मणिपुर का दौरा करना उचित नहीं समझा।’’ उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मिजोरम में एमएनएफ और जेडपीएम भाजपा के लिए प्रवेश द्वार हैं। गांधी ने कहा, ‘‘कांग्रेस कभी भी भाजपा के साथ समझौता नहीं करती। सिर्फ कांग्रेस मिजोरम के विकास, लोगों के सशक्तीकरण और कमजोर लोगों की सुरक्षा की गारंटी दे सकती है।’’ उन्होंने कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकारों द्वारा वादे पूरे किए जाने का उल्लेख भी किया। गांधी ने कहा, ‘‘मिजोरम के युवाओं और महिलाओं से अपील है कि वे शांति समृद्धि और विकास के लिए कांग्रेस को वोट दें।’’ उन्होंने यह भी कहा कि लोग संविधान के अनुच्छेद 371जी की रक्षा के लिए भी वोट दें। अनुच्छेद 371जी के अनुसार, संसद ‘मिज़ो’, मिज़ो प्रथागत कानून और प्रक्रिया, धार्मिक एवं सामाजिक न्याय के कानून, मिज़ो प्रथागत कानून के अनुसार दीवानी और आपराधिक न्यायिक प्रशासन के निर्णयों के मामलों में, भूमि के स्वामित्व एवं हस्तांतरण संबंधी मुद्दों पर कानून नहीं बना सकती जब तक कि राज्य विधानसभा ऐसा करने के लिए प्रस्ताव न दे। मिजोरम की सभी 40 विधानसभा सीट के लिए सात नवंबर को मतदान होगा। मतगणना तीन दिसंबर को होगी।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के अगरतला में स्थित महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डे पर भारत में कथित रूप से गैरकानूनी तरीके से प्रवेश करने के लिए बांग्लादेश के छह नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों की पहचान मोहम्मद नील इस्लाम (22), रत्न रबिदास (21), मोहम्मद जोनी मिया (18), सिफात मिया (20), मेहदी जसन (20) और स्वप्न मिया (26) के रूप में हुई है और सभी पड़ोसी देश के विभिन्न हिस्सों से संबंध रखते हैं। हवाई अड्डा थाने के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल ने बताया कि मंगलवार रात को छह लोगों को हवाई अड्डे पर घूमते हुए देखा गया और जब ड्यूटी पर तैनात अधिकारी ने उनसे वैध दस्तावेज दिखाने को कहा तो वे ऐसा करने में विफल रहे। मंडल ने बताया, ‘बांग्लादेशी नागरिकों को गैर कानूनी तरीके से भारतीय सरजमीं पर प्रवेश करने के लिए गिरफ्तार किया गया है। शुरुआती जांच में यह पाया गया कि वे कोलकाता जाने की योजना बना रहे थे। अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कराने में उनकी मदद किसने की इसका पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।’
इसके अलावा, मिजोरम में जातीय संघर्ष के बाद पलायन कर पड़ोसी राज्य त्रिपुरा में बसे ब्रू जनजाति के सैकड़ों परिवारों के लिए उनके गृह राज्य में हो रहा विधानसभा चुनाव कोई मुद्दा नहीं है। मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए सात नवंबर को मतदान होगा। त्रिपुरा में स्थायी रूप से बसने के बाद 6000 से अधिक ब्रू मतदाताओं के नाम मिजोरम के तीन जिलो ममित, कोलासिब और लुंगलेई की मतदाता सूची से हटा दिए गए। उत्तरी त्रिपुरा जिले के कासकोउपता ब्रू पुनर्वासित ग्राम के सचिव चार्ल्स ने कहा, ‘‘हमें मिजोरम के चुनाव में कोई रुचि नहीं है, भले हम में से कुछ ने पिछले चुनाव में वहां मतदान किया था। 2020 के ऐतिहासिक समझौते के बाद हम त्रिपुरा के स्थायी निवासी हैं। हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मिजोरम की सत्ता में कौन आता है।’’ मिजोरम में 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में ब्रू मतदाता अपने गृह राज्य आए और स्थानीय लोगों के विरोध के बाद अंतरराज्यीय सीमा पर कन्हमुन गांव में उनके लिए बनाए गए 15 विशेष मतदान केंद्रों पर मतदान किया। उस समय वे त्रिपुरा के राहत शिविरों में रह रहे थे। चार्ल्स ने कहा कि ब्रू जनजाति के लोगों ने मिजोरम में शांतिपूर्ण तरीके से रहने की कोशिश की लेकिन बहुसंख्यक मिजो समुदाय से झड़प के कारण ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने कहा, ‘‘हम खुश हैं कि अब हमें शरणार्थी दर्जा नहीं सताता। अब ब्रू त्रिपुरा के निवासी हैं। अब हम मिजोरम के बारे में बिल्कुल नहीं सोचते और हजारों ब्रू भाई-बहनों के भविष्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’’ ब्रू प्रवासी मतदाताओं ने कई सालों के बाद पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में किया था। समुदाय के लोगों को मतदाता सूची में शामिल करने के लिए विशेष पहल की गई। ब्रू जनजाति समुदाय के सदस्य निशिकांत रियांग ने भी कहा कि वह मिजोरम चुनाव को तरजीह नहीं देते। समुदाय को रियांग के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पास मिजोरम चुनाव के बारे में सोचने का समय नहीं है। उन्हें अपनी इच्छा से मिजोरम पर शासन करने दें क्योंकि हम वहां जन्म लेने के बावजूद राज्य का हिस्सा नहीं बन सके।’’ चार्ल्स ने कहा, ‘‘कई बार हमें उस जमीन की याद आती है, जहां पर हमने जन्म लिया और बड़े हुए लेकिन अब वह इतिहास है। अब हम वर्तमान और भविष्य पर ध्यान केंद्रित कर रहें।’’ त्रिपुरा में आज रह रहे अधिकतर ब्रू लोगों ने दो दशक तक मिजोरम से आंतरिक विस्थापन का दंश झेला। कई मिजो संगठनों द्वारा मतदाता सूची से ब्रू का नाम हटाने की मांग शुरू होने के बाद 1995 में इस जनजाति के लोगों का विस्थापन शुरू हुआ। मिजो संगठनों का मानना था कि ब्रू मिजोरम की मूल जनजाति नहीं है।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि आम तौर पर नेताओं के पास नौकरियों और प्रशासनिक काम में सहयोग, शादियों के वास्ते पैसे एवं आपात चिकित्सा स्थिति में मदद के अनुरोध आते हैं लेकिन नगालैंड में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तेमजिन इमना एलोंग के पास मदद का जो अनुरोध आया है वह कुछ अलग था। एक युवक ने अपनी ‘ड्रीम गर्ल’ के साथ पहली ‘डेट’ (प्रेमिका से मुलाकात) पर जाने से पहले एलोंग से वित्तीय मदद मांगी है। अरविंद पांडा नामक इस युवक ने उन्हें भेजे एक पत्र में कहा है, ”सर, मैं 31 अक्टूबर को पहली बार अपनी ‘ड्रीमगर्ल’ के साथ ‘डेट’ पर जा रहा हूं लेकिन अब तक मेरे पास कोई नौकरी नहीं है। इसलिए आपसे थोड़ी मदद की गुजारिश है। कृपया कुछ कीजिए।’’ सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इसका स्क्रीनशॉट साझा करते हुए प्रदेश भाजपा प्रमुख ने सवाल किया, ”बताओ मैं क्या करूं?” उनके इस पोस्ट पर लोगों ने कई मजेदार जवाब दिये। एक ने एलोंग को उसकी (अरविंद की) जगह डेट पर चले जाने की सलाह दी। एक अन्य ने उन्हें उसकी ‘डेट’ का खर्चा उठाने का सुझाव दिया। ‘एक्स’ के एक उपयोगकर्ता ने यह भी कहा कि ‘प्रेमी’ को विधायक बना दिया जाना चाहिए। कई लोगों ने एलोंग से उसे नौकरी दिलाने का अनुरोध किया। अरविंद को भी कई लोगों ने सलाह दी है। उसे ‘द आर्ट ऑफ बीइंग एलोन’ नामक पुस्तक पढ़ने या अपने माता-पिता की पसंद की लड़की से शादी कर लेने को कहा गया है। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिनकी राय इन सबसे अलग है। उन्होंने कहा कि इस युवक की अनदेखी की जानी चाहिए क्योंकि उसे जीवन के कठोर तथ्यों को सीखने की जरूरत है।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि म्यांमा आधारित प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन-केवाईए के एक उग्रवादी को बुधवार को अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले में पकड़ लिया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी। तिरप के पुलिस अधीक्षक राहुल गुप्ता ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान 25 वर्षीय पेलेई खांगन्याकम के रूप में हुई है, जिसे सुमसीपाथर गांव से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए, अरुणाचल प्रदेश पुलिस और असम राइफल्स की एक टीम ने गांव में छापा मारा और आरोपी को पकड़ लिया, जो एनएससीएन-केवाईए के स्वयंभू ‘कप्तान’ रॉकी थापा के लिए वसूली कर रहा था। उन्होंने कहा कि आरोपी के कब्जे से एक ‘जबरन वसूली पत्र’, तीन कारतूस और एक मोबाइल फोन जब्त किया गया। पुलिस ने कहा कि आरोपी के खिलाफ देवमाली थाने में भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।



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