Manmohan Singh ने अपनी सरकार बचाने के लिए Atiq Ahmed जैसे 6 अपराधियों को जेल से बाहर निकाला था, जानिये क्या है पूरा मामला?

स्टोरी शेयर करें


माफिया अतीक अहमद और उसके भाई के मारे जाने पर विपक्षी नेता आग बबूला हो रहे हैं। ऐसा होना स्वाभाविक भी है क्योंकि माफिया ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ही नहीं बल्कि कांग्रेस की भी भरपूर मदद की थी। हम आपको बता दें कि साल 2008 में जब तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार और अमेरिका के साथ उसके परमाणु समझौते पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, तब गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद ने भी मनमोहन सिंह की सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह दावा एक पुस्तक ‘बाहुबलीज ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स: फ्रॉम बुलेट टू बैलट’ में किया गया है। हम आपको याद दिला दें कि विपक्ष तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था और संप्रग सरकार और अमेरिका के साथ किया गया परमाणु समझौता दांव पर लग गया था। पुस्तक के अनुसार, तब अतीक सहित छह अपराधी सांसदों को 48 घंटे के भीतर विभिन्न जेलों से फर्लो पर छोड़ा गया था।
इन छह सांसदों में समाजवादी पार्टी का तत्कालीन लोकसभा सदस्य अतीक अहमद था, जो तत्कालीन इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा था। राजेश सिंह द्वारा लिखित और रूपा पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि अतीक उन बाहुबलियों में से एक था, जिन्होंने संप्रग सरकार को गिरने से बचाया था। हम आपको याद दिला दें कि असैन्य परमाणु समझौता करने के सरकार के फैसले पर वाम दलों ने 2008 के मध्य में सरकार को दिया गया अपना बाहरी समर्थन वापस ले लिया था। लोकसभा में संप्रग के 228 सदस्य थे और अविश्वास प्रस्ताव से उबरने के लिए सरकार को 44 वोट कम पड़ रहे थे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने, हालांकि, विश्वास व्यक्त किया था कि उनकी सरकार सत्ता में बनी रहेगी। यह जल्द ही स्पष्ट हो गया कि वह विश्वास मत कहां से आया था।
किस-किसने की थी मनमोहन सिंह की मदद?
तब समाजवादी पार्टी, अजीत सिंह के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) और एचडी देवेगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) ने संप्रग को अपना समर्थन दिया था। संप्रग को समर्थन देने वाले अन्य सांसदों में ये ‘बाहुबली नेता’ भी शामिल थे। तब विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से 48 घंटे पहले सरकार ने देश के कानून तोड़ने वालों में से छह को फर्लो पर जेल से बाहर निकाल दिया था, ताकि वे अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा कर सकें। इन बाहुबली सांसदों पर कुल मिलाकर अपहरण, हत्या, जबरन वसूली, आगजनी सहित 100 से अधिक मामले दर्ज थे। इन बाहुबली सांसदों में से एक उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी का सांसद अतीक अहमद था। उसने अपना वोट डाला था और वह भी संकटग्रस्त संप्रग के पक्ष में। उस समय तक अतीक अहमद खुद को अपराध और राजनीति- दोनों क्षेत्रों में स्थापित कर चुका था। अतीक ने खुद की पहचान एक राजनेता, ठेकेदार, बिल्डर, प्रॉपर्टी डीलर और कृषक के रूप में बनायी, लेकिन उसके खिलाफ अपहरण, जबरन वसूली और हत्या सहित गंभीर आपराधिक आरोप भी थे।
प्रयागराज हत्याकांड पर सवाल उठाने वाले लोग जरा ध्यान दें
बहरहाल, जो लोग प्रयागराज में हुए हत्याकांड पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें यह पता होना चाहिए कि माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में शनिवार देर रात हत्या के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी द्वितीय की अध्यक्षता में गठित आयोग दो माह के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। आयोग में प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुबेश कुमार सिंह और सेवानिवृत्त न्यायधीश बृजेश कुमार सोनी को भी शामिल किया गया है।

इसे भी पढ़ें: Atiq Ahmed और Ashraf की क्राइम कुंडली बेहद खौफनाक है, अब तो उसका ISI और Lashkar से संबंध भी सामने आ गया है

हम आपको यह भी बता दें कि हत्याकांड के बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था की मॉनिटरिंग शुरू कर दी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद पूरी रात जागकर कानून व्यवस्था की स्थिति की पल-पल की जानकारी लेते रहे। इससे पहले उन्होंने अपने आवास पर गृह विभाग, डीजीपी और डीजी स्पेशल को तलब कर कानून व्यवस्था को लेकर हाई लेवल मीटिंग की, जिसके बाद प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गयी। इसके अलावा पुलिस ने विभिन्न जिलों में फ़ुट पेट्रोलिंग शुरू कर दी। साथ ही प्रदेश के संवेदनशील इलाकों में भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया, यही वजह रही कि प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने नहीं पायी। 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना के बाद ही अधिकारियों को फील्ड में सतर्कता बरतने के निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा था कि प्रदेश में शांति व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। इसमें सभी प्रदेश वासी सहयोग भी कर रहे हैं। आम जनता को किसी प्रकार की परेशानी ना आए इसका ध्यान रखें। सीएम योगी ने कहा कि कानून के साथ कोई भी खिलवाड़ न करे। उन्होंने जनता से अपील की कि किसी भी अफवाह पर ध्यान ना दें। अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सीएम के निर्देश पर गृह विभाग द्वारा कमीशन ऑफ़ एन्क्वायरी एक्ट 1952 के तहत घटना की विस्तृत जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया जा चुका है, जो दो माह के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
हम आपको बता दें कि हमलावर पत्रकार बनकर आए थे उनके हाथ में माइक आईडी और कैमरा भी था। स्वाभाविक तौर पर पत्रकारों की चेकिंग नहीं होती है। लेकिन यह चुस्त कानून व्यवस्था का ही परिणाम है कि तीनों तत्काल पकड़े गए। पुलिस ने त्वरित एक्शन लेते हुए मौके पर तीनों को दबोच लिया था। घटना के दौरान मीडिया में लाइव चल रहा था। पुलिस अगर जवाबी फायरिंग करती तो बेगुनाह मीडिया कर्मी भी मारे जाते। इस वजह से पुलिस ने संयम बरता और सिर्फ हमलावरों को पकड़ने की कार्रवाई की।
पकड़े गये हमलावरों का कहना क्या है?
इस बीच, पुलिस ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में दर्ज रिपोर्ट में दावा किया कि पकड़े गए तीनों आरोपियों लवलेश तिवारी, मोहित उर्फ सनी तथा अरुण मौर्य ने पूछताछ के दौरान पुलिस से कहा है कि वे अतीक और अशरफ गिरोह का सफाया कर राज्य में अपनी पहचान बनाना चाहते थे। रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले के दौरान गोलीबारी में लवलेश तिवारी को भी गोली लगी है और उसका अस्पताल में उपचार किया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपियों ने पुलिस से कहा, ‘‘जब से हमें अतीक व अशरफ को पुलिस हिरासत में भेजे जाने की सूचना मिली थी, हम तभी से मीडियाकर्मी बनकर यहां की स्थानीय मीडिया की भीड़ में रहकर इन दोनों को मारने की फिराक में थे, लेकिन सही समय और मौका नहीं मिल पाया। आज (शनिवार को) मौका मिलने पर हमने घटना को अंजाम दिया।’’
हम आपको बता दें कि हमीरपुर जिले के निवासी मोहित उर्फ सनी पर लूट और हत्या के प्रयास समेत कुल 14 मामले दर्ज हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, बांदा निवासी आरोपी लवलेश तिवारी कई बार जेल जा चुका है। उसका तथा तीसरे हत्यारोपी कासगंज निवासी अरुण मौर्य का आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है। तीनों के पास से पुलिस ने एक 30 पिस्तौल (7.62) देशी, एक नौ एमएम गिरसन पिस्तौल (तुर्की में निर्मित), एक 9 एमएम जिगाना पिस्तौल, तीन आग्नेयास्त्र बरामद किए। इस संबंध में शाहगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। हम आपको यह भी बता दें कि उमेश पाल हत्याकांड मामले में 13 अभियुक्तों में से अतीक, उसके भाई अशरफ और बेटे असद समेत अब तक छह मुल्जिम पुलिस के साथ मुठभेड़ या गोलीकांड में मारे जा चुके हैं।



स्टोरी शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Pin It on Pinterest

Advertisements