दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच जारी सत्ता खींचतान बीच एलजी ने दिल्ली के सीएम से कहा कि वे “सचेत रूप से विचार-विमर्श और संघर्ष मुक्त शासन के हित में” उनके साथ नियमित बैठकें करें। केजरीवाल को लिखे पत्र में सक्सेना ने कहा कि वे अक्टूबर 2022 तक नियमित रूप से मिलते थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने “राज्य विधानसभा और नगरपालिका चुनावों में व्यस्तता” के कारण असमर्थता व्यक्त जताई। दिल्ली के एलजी ने सीएम केजरीवाल को लिखे पत्र में संवैधानिक प्रक्रिया के तहत सदन की बैठक शुरू करने को लेकर मीटिंग के लिए उन्हें आमंत्रित किया है।
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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल विनय सक्सेना को चिट्ठी भी लिखी थी, जिसका अब उन्होंने जवाब दिया। केजरीवाल ने सक्सेना को यह तर्क देते हुए लिखा था कि एमसीडी में नामांकन पर विवाद के बीच एलजी सभी तीन आरक्षित विषयों पर मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं। केजरीवाल ने सक्सेना से दिल्ली नगर निगम अधिनियम में प्रयुक्त “एलजी/प्रशासक” शब्द पर उनकी आधिकारिक स्थिति के बारे में स्पष्टीकरण मांगा।
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7 जनवरी को लिखे एक पत्र में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्ली नगर निगम (DMC) अधिनियम का उल्लेख किया और उपराज्यपाल से सवाल किया कि क्या ‘प्रशासक’ शब्द का अर्थ केवल उपराज्यपाल है और यदि इसका अर्थ ‘निर्वाचित सरकार की उपेक्षा’ है। एमसीडी नामांकन पर एल-जी सक्सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए, केजरीवाल ने शक्तियों के टकराव का संकेत दिया और इस शब्द के उपयोग में स्पष्टता मांगी। केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा कि कि माननीय एलजी ने सीधे 10 एल्डरमैन और पीठासीन अधिकारी नियुक्त किए, क्योंकि डीएमसी अधिनियम में लिखा है कि ‘नियुक्ति प्रशासक करेगा।’