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भूटान के प्रधानमंत्री बीते दिनों ड्रैगन की सुर में सुर मिलाते नजर आए थे। डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के आमने-सामने होने के छह साल बाद भूटान के प्रधानमंत्री ने ऐसा बयान दिया था जिससे भारत में खलबली मच गई थी। अब भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक सोमवार से तीन दिवसीय भारत दौरे पर हैं। भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक सोमवार को दो दिवसीय भारत यात्रा पर नयी दिल्ली पहुंचे जहां विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी की। भूटान के तीसरे राजा जिग्मे वांगचुक ने मंगलवार को भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) अजीत डोभाल से मुलाकात की। इसके बाद वो राजघाट पहुंचे, जहां उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।
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वांगचुक थोड़ी देर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके निवास पर मुलाकात करेंगे। शाम करीब 5 बजे राष्ट्रपति भवन में वांगचुक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलेंगे। वे आर्थिक एवं विकास सहयोग सहित दोनों देशों के करीबी द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने के लिए विभिन्न नेताओं से बातचीत करेंगे। वांगचुक का दौरा उस समय हो रहा है जब पिछले हफ्ते ही भूटान के पीएम ने डोकलाम को तीन देशों का विवाद बताया था। मंत्रालय ने बयान में कहा था कि भूटान नरेश की यात्रा दोनों देशों के बीच लंबे समय से उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की पंरपरा के तहत हो रही है। विदेश मंत्रालय ने कहा था, ‘भारत और भूटान करीबी मित्रता और सहयोग को साझा करते हैं जो समझ और आपसी विश्वास पर आधारित है।
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क्या कहा था भूटान पीएम ने?
बेल्जियम के दैनिक ला लिबरे के साथ एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने कहा कि डोकलाम विवाद को हल करने में चीन की भी समान भूमिका है। उनके हालिया बयान इस विवादित और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र पर भूटान के बदलते पक्ष को दिखाते हैं। समस्या को हल करना अकेले भूटान पर निर्भर नहीं है। इस मुद्दे पर हम तीन देश हैं। कोई बड़ा या छोटा देश नहीं है, तीन समान देश हैं।
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