Vishwakhabram: Jaishankar ने Sri Lanka, Maldives की यात्रा के दौरान भारत की रणनीति कैसे आगे बढ़ायी?

स्टोरी शेयर करें


पड़ोसी देशों को भरमा कर भारत के खिलाफ माहौल बनाने के लिए प्रयासरत चीन को जबरदस्त झटका लगा है क्योंकि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी हालिया श्रीलंका और मालदीव की यात्रा के दौरान चीन की रणनीतियों को जहां विफल किया वहीं वह पड़ोसी देशों का दिल जीतने में भी सफल रहे। भारत को चारों ओर से घेरने में जुटे चीन को यह देखकर बड़ा सदमा भी लग सकता है क्योंकि श्रीलंका और मालदीव भारत के इतने करीब आ जाएंगे, उसने इसकी कल्पना नहीं की होगी। जहां तक जयशंकर के इन दोनों देशों के दौरों की बात है तो सबसे पहले बात करते हैं श्रीलंका की।
जयशंकर का श्रीलंका दौरा
श्रीलंका यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तमिल अल्पसंख्यक समुदायों के मुद्दे को तो उठाया ही साथ ही भारत की ओर से काफी आर्थिक मदद भी दी। उन्होंने कहा कि तमिल अल्पसंख्यकों के साथ मेल-मिलाप के लिये भारत पड़ोसी देश में 13वें संविधान संशोधन को पूरी तरह से लागू किये जाने को ‘महत्वपूर्ण’ मानता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने हमेशा श्रीलंका की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता का समर्थन किया है। हम आपको बता दें कि भारत हमेशा से श्रीलंका में 13वें संविधान संशोधन को लागू करने पर जोर देता रहा है जिसे 1987 के भारत श्रीलंका समझौते के बाद लाया गया था। 13ए में तमिल समुदाय के लिये सत्ता में हिस्सेदारी का प्रावधान किया गया है।
दो दिवसीय यात्रा पर बृहस्पतिवार को श्रीलंका पहुंचे जयशंकर ने अपने श्रीलंकाई समकक्ष अली साबरी और राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात के बाद कहा, ‘‘भारत ने हमेशा श्रीलंका की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता का समर्थन किया है।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमने विक्रमसिंघे को अपने विचारों से अवगत कराया कि श्रीलंका में राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिए 13ए का पूर्ण क्रियान्वयन और शीघ्र प्रांतीय चुनाव कराना महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि मेल-मिलाप की दिशा में टिकाऊ प्रयास श्रीलंका के सभी वर्गों के हित में है। जयशंकर ने बताया कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने उन्हें राजनीतिक स्थितियों के बारे में जानकारी दी। गौरतलब है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को मेल-मिलाप एवं सहअस्तित्व का आह्वान करते हुए कहा था कि उनकी सरकार ने श्रीलंकाई तमिलों को साथ लेकर वार्ता प्रक्रिया शुरू की है और उनकी समस्याओं को समझती है।
इसके अलावा विदेश मंत्री जयशंकर ने गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से ऊर्जा, पर्यटन और बुनियादी ढांचा के क्षेत्रों में भारत अधिक निवेश को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने शुक्रवार सुबह श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात के बाद ट्वीट किया, ‘‘राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से आज सुबह मुलाकात की। इस बात को रेखांकित किया कि श्रीलंका में मेरा आना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘पड़ोस प्रथम’ प्रतिबद्धता का प्रमाण है।’’ उन्होंने कहा कि कोलंबो जाने का मेरा पहला मकसद इन कठिन पलों में श्रीलंका के साथ भारत की एकजुटता व्यक्त करना है। जयशंकर ने कहा कि भारत ने तय किया है कि वह दूसरों का इंतजार नहीं करेगा, बल्कि उसे जो उचित लगेगा, वैसा करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को वित्तीय आश्वासन दिया है, ताकि श्रीलंका को आगे बढ़ने में मदद मिल सके।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इससे न केवल श्रीलंका की स्थिति मतबूत होगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सभी द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ समान व्यवहार हो।
हम आपको बता दें कि श्रीलंका अभी गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति का सामना कर रहा है और कर्ज पुनर्गठन को लेकर वह भारत से सहयोग को लेकर आशान्वित है। श्रीलंका आईएमएफ से 2.9 अरब डॉलर का ऋण हासिल करने के लिए प्रयासरत है। वह चीन, जापान और भारत जैसे प्रमुख कर्जदाताओं से वित्तीय आश्वासन हासिल करने की कोशिश कर रहा है क्योंकि आईएमएफ ने राहत पैकेज को रोक दिया है और वह श्रीलंका के प्रमुख कर्जदाताओं से वित्तीय आश्वासन चाहता है।
दो दिवसीय यात्रा पर बृहस्पतिवार को श्रीलंका पहुंचे जयशंकर ने अपने श्रीलंकाई समकक्ष अली साबरी और राष्ट्रपति रानिल विक्रमासिंघे सहित शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। श्रीलंका के विदेश मंत्री साबरी ने ट्वीट किया, ‘‘भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का कोलंबो में स्वागत करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं। पिछले वर्ष 3.9 अरब अमेरिकी डॉलर की ऋण सुविधा दिए जाने और कर्ज के पुनर्गठन का आईएमएफ को आश्वासन देने के लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। श्रीलंका सौभाग्यशाली है कि उसके पास फिक्र करने वाले और सहृदय मित्र हैं।’’
उधर, विदेश मंत्री एस. जयशंकर के मालदीव दौरे की बात करें तो भारत ने मालदीव में खेल के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चार करोड़ डॉलर की रियायती ऋण सुविधा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ‘‘फिट इंडिया’’ और ‘‘खेलो इंडिया’’ जैसी महत्वपूर्ण पहल को ‘‘पड़ोसी पहले’’ नीति के दायरे में लाने के लिए भारत के प्रयास के तहत यह सुविधा प्रदान की गई है। जयशंकर ने शावियानी फोकैधू में एक सामुदायिक परियोजना का उद्घाटन भी किया। जयशंकर भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसी के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तार देने के लिए मालदीव की यात्रा पर थे। हम आपको बता दें कि शावियानी फोकैधू में सामुदायिक केंद्र उन 45 परियोजनाओं का हिस्सा है, जिसे भारत मालदीव सरकार की भागीदारी से तैयार कर रहा है। इनमें से 23 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
जयशंकर का मालदीव दौरा
इसके अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर और मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने हनिमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की पुनर्विकास परियोजना के भूमिपूजन समारोह में संयुक्त रूप से भाग लिया जो भारत-मालदीव की मजबूत विकास साझेदारी में एक “ऐतिहासिक मील का पत्थर” है। भूमिपूजन समारोह में जयशंकर ने कहा कि मालदीव के साथ भारत की साझेदारी एक दूसरे के कल्याण और हितों के लिए मिलकर काम करने की वास्तविक इच्छा पर आधारित है। उन्होंने कहा कि अब हम सभी जानते हैं कि मौजूदा जटिल भू-राजनीतिक माहौल ने नए व्यवधान पैदा किए हैं जो दुनिया के हर देश को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में सहयोग और सहभागिता की आवश्यकता और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
हम आपको बता दें कि भारत ने उभरती हुई आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए मालदीव को समर्थन दिया है, जिसमें आपातकालीन वित्तीय सहायता भी शामिल है। यह माले को निरंतर सहयोग के लिए नई दिल्ली की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। जयशंकर ने कहा कि हनिमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा विकास परियोजना की शुरुआत मजबूत भारत-मालदीव विकास साझेदारी में एक “ऐतिहासिक मील का पत्थर” है। उन्होंने ट्वीट किया, “हनिमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा विकास परियोजना के भूमि पूजन कार्यक्रम में राष्ट्रपति सोलिह, उनके मंत्रियों और स्थानीय नेताओं के साथ शामिल हुआ।” उन्होंने कहा, “यह परियोजना उत्तरी मालदीव और बाकी दुनिया के लोगों के बीच की खाई को पाट देगी और हमारे लोगों को एक साथ लाएगी। इसके कार्यान्वयन के लिए मालदीव के साथ होना भारत के लिए सौभाग्य की बात है।”
उधर, मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह ने हवाई अड्डा विकास परियोजना को एक सुनियोजित, सुविचारित और क्रियान्वित परियोजना बताया। हम आपको बता दें कि यह ऐतिहासिक परियोजना माले क्षेत्र के बाहर शुरू की गई सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है। सोलिह ने कहा कि एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया से एमवीआर 2.1 अरब के ऋण के माध्यम से वित्तपोषित इस परियोजना का अनुबंध भारत स्थित फर्म जेएमसी प्रोजेक्ट्स से किया गया है। राष्ट्रपति सोलिह ने कहा कि परियोजना के पूरा होने पर उत्तरी क्षेत्र में आर्थिक प्रगति देखने को मिलेगी क्योंकि इससे गेस्टहाउस और शहर के होटलों सहित पर्यटन सुविधाओं में वृद्धि होगी, उत्तरी प्रवाल द्वीपों में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा तथा यह क्षेत्र एक आर्थिक केंद्र में बदलेगा।
जयशंकर ने साथ ही कहा कि भारत और मालदीव अच्छे पड़ोसी व मजबूत साझेदार हैं और दोनों देशों पर क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा की साझा जिम्मेदारी है। जयशंकर ने मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद के साथ ‘‘फलदायी चर्चा’’ के बाद यह बात कही। जयशंकर ने कहा, “हमारा इरादा है कि छोटे देशों की चिंताओं को जी20 में हमारे माध्यम से आवाज मिले।” उन्होंने कहा कि मैं यह रेखांकित करना चाहता हूं कि हम बहुपक्षीय सहयोग को गहराई से महत्व देते हैं।”
हम आपको यह भी बता दें कि जयशंकर ने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए यहां विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजना (एचआईसीडीपी) के लिए 10 करोड़ मालदीव रूफिया की अतिरिक्त अनुदान सहायता को लेकर भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस अनुदान सहायता के जरिये देश भर में कई सामाजिक-आर्थिक विकास परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया जाएगा। अन्य समझौतों में मालदीव राष्ट्रीय विश्वविद्यालय और कोच्चि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बीच अकादमिक सहयोग शामिल है।



स्टोरी शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Pin It on Pinterest

Advertisements