जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने के बाद से केंद्र शासित प्रदेश के माहौल में बड़ा सुधार आया है और अब यहां स्थानीय कला और संस्कृति को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। कश्मीर में सिर्फ मल्टीप्लेक्स ही नहीं खुले हैं बल्कि थियेटरों की भी पुरानी रौनक लौट आई है। कश्मीरी गीत-संगीत, हस्तकला, लेखन आदि को बढ़ावा देने के लिए तमाम तरह के आयोजन भी लगातार किये जा रहे हैं। प्रभासाक्षी संवाददाता ने जब कश्मीरी कला और संस्कृति के संरक्षण और प्रचार प्रसार के लिए किये जा रहे उपायों को लेकर संस्कृति विशेषज्ञ और रंगमंच निर्देशक मुश्ताक अली से बातचीत की तो उन्होंने कहा, “कश्मीरी संस्कृति, कला और भाषा को बचाने के लिए सरकार को कलाकारों और लेखकों का समर्थन करने की आवश्यकता है।
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उन्होंने कहा कि यदि कश्मीरी कलाकार अच्छी स्थिति में नहीं हैं, तो वे समाज में योगदान नहीं कर पाएंगे, इसलिए उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत किया जाना चाहिए। मुश्ताक अली ने कहा कि कलाकारों से अनुरोध है वे ज्यादा से ज्यादा सांस्कृतिक और रंगमंच के कार्यक्रमों में भाग लें ताकि एक अलग प्रकार का माहौल बने। उन्होंने कहा कि सरकार और जनता को भी चाहिए कि वह कश्मीरी कलाकारों को प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि कला से जुड़े कार्यक्रमों के लिए बजटीय आवंटन ज्यादा से ज्यादा करे जिससे कलाकारों को मदद मिले।
इसके साथ ही कलाकार और रंगमंच निर्देशक गुल जान अहमद ने कहा कि मैं उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से आग्रह करता हूँ कि संस्कृति नीति की समीक्षा कर इसे बढ़ावा दें ताकि हमारे युवा सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लें।