Shaurya Path: Terrorism in Kashmir, Russia-Ukraine War, ISIS Threat in Britain, Afghan-Pakistan, US-China Relation पर Brigadier DS Tripathi (R) से बातचीत

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प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा के दौरान कश्मीर में माहौल बिगाड़ने की सीमा पार से चल रही साजिशों की, रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात की, ब्रिटेन की एक रिपोर्ट में इस्लामी आतंकवाद से उपजी चुनौतियों पर चिंता जताने की, पाकिस्तान में टीटीपी के बढ़ते हमलों की और अमेरिका-चीन रिश्तों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-
प्रश्न-1 आजकल कश्मीर में घुसपैठ के प्रयास काफी बढ़ गए हैं। इसके अलावा दक्षिण कश्मीर में हमले बढ़ गए हैं। सेना को ऑपरेशन त्रिनेत्र चलना पड़ रहा है। क्या अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद सरकार ने हालात के सामान्य होने की बात कही थी उसको झुठलाने का अभियान है यह सब?
उत्तर- कश्मीर में माहौल बिगाड़ने का प्रयास कई कारणों से हो रहा है। एक तो 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाने की चौथी सालगिरह है, साथ ही 2 अगस्त से उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे पर सुनवाई भी शुरू होनी है जिससे पहले प्रयास किया जा रहा है कि हिंसा बढ़ाई जाये ताकि सरकार के शांति संबंधी दावों को खोखला साबित किया जा सके। इसके अलावा कारगिल विजय दिवस भी आ रहा है। यह हमारी विजय का 24वां वर्ष है इसलिए बुरी तरह बौखलाया पाकिस्तान इस तरह की साजिशें कर रहा है। तीसरा इस समय अमरनाथ यात्रा चल रही है जिसमें बाधा पहुँचाने का प्रयास पाकिस्तान शुरू से ही करता रहा है। हालांकि जबसे अनुच्छेद 370 को हटाया गया है तबसे पाकिस्तान को इसमें सफलता नहीं मिल पाई है।
जहां तक ऑपरेशन त्रिनेत्र की बात है तो जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिलों में छिपे आतंकवादियों का पता लगाने के लिए सेना और पुलिस का यह संयुक्त प्रयास है। आतंकवादियों को लगातार ढूँढ़ ढूँढ़ कर मारा जा रहा है और उनके हमदर्दों को गिरफ्तार किया जा रहा है ताकि आतंकवाद की कमर को पूरी तरह तोड़ा जा सके। तकनीक की सहायता से हमें आतंकियों और घुसपैठियों की रियल टाइम लोकेशन मिल रही है जिससे हमारे सुरक्षा बलों का काम आसान हो रहा है। आतंकवादियों के भागने के सभी मार्गों को बंद कर दिया गया है और उसके बाद अभियान को जोरशोर से चलाया जा रहा है। 
इसके अलावा, सीमा पार से हथियारबंद आतंकवादियों, हथियारों और नशीले पदार्थों को भेजने की कोशिशों के मद्देनजर वाहनों की आकस्मिक तलाशी और औचक जांच तेज कर दी गई है। जहां तक ऑपरेशन त्रिनेत्र की बात है तो यह पुंछ के मेंढर इलाके में 20 अप्रैल को सुरक्षा बलों के काफिले पर आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले के बाद शुरू किया गया था। उस हमले में हमारे पांच जवान शहीद हो गये थे।
साथ ही जिस तरह से घुसपैठियों के पास से हथियार बरामद हो रहे हैं वह दर्शा रहा है कि पाकिस्तान सबक सीखने को तैयार नहीं है। भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों की मौजूदगी क्षेत्र को अस्थिर करने के प्रयासों का संकेत है और अगर समय पर इन्हें ढेर नहीं किया गया होता तो ये आतंकवादी आने वाले दिनों में बड़ी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे सकते थे। यह दिखाता है कि पड़ोसी देश (पाकिस्तान) रुकेगा नहीं और हमारे क्षेत्र में अशांति पैदा करने की कोशिशें जारी रखेगा। लेकिन हम भी नहीं रुकेंगे और इलाके में छुपे सभी आतंकवादियों को ढेर करते रहेंगे।
प्रश्न-2 रूस-यूक्रेन युद्ध के ताज़ा हालात क्या हैं? ग्रेन डील रद्द होने से क्या असर पड़ने वाला है?
उत्तर- रूस-यूक्रेन युद्ध में अब नया मोड़ यह आ गया है कि वैगनर समूह की युद्ध में भूमिका को खत्म कर दिया गया है। वैगनर समूह को अब अपने अफ्रीका मिशन पर ही ध्यान देने को कहा गया है। इसके अलावा रूस ने जिस तरह काला सागर अनाज सौदे को बाधित किया है उससे विश्वभर में खासतौर पर गरीब देशों में चिंता की लहर दौड़ गयी है। देखा जाये तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस करार को इसलिए मंजूरी दी थी कि गरीब देशों को अनाज मिलता रहे लेकिन यह करार होने के बाद से 46 प्रतिशत अनाज सर्वाधिक अमीर देशों को गया जबकि 27 प्रतिशत अनाज मध्यम अमीर वर्ग वाले देशों को गया और 26 प्रतिशत अनाज ही गरीब देशों को मिला। इसलिए पुतिन कह रहे हैं कि करार की शर्तों को तोड़ा गया है। रूस ने घोषणा की है कि वह युद्ध के दौरान यूक्रेनी बंदरगाह से खाद्यान्न एवं उर्वरकों के निर्यात की अनुमति देने संबंधी समझौते का क्रियान्वयन रोक रहा है। 
रूस की इस घोषणा पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दुख जताते हुए कहा है कि इस पहल ने यूक्रेनी बंदरगाहों से तीन करोड़ 20 लाख टन से अधिक खाद्य वस्तुओं की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित की थी। गुतारेस ने कहा कि काला सागर पहल और रूसी खाद्य उत्पादों एवं उर्वरकों के निर्यात को संभव बनाने संबंधी समझौता ज्ञापन वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एक ‘‘जीवनरेखा’’ और परेशान दुनिया के लिए आशा की किरण रहा है। जहां तक इस मुद्दे पर भारत का पक्ष है तो संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने ‘यूक्रेन के अस्थायी कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थिति’ पर महासभा की वार्षिक बहस में कहा है कि भारत क्षेत्र में हालिया घटनाक्रम को लेकर चिंतित है, जो शांति एवं स्थिरता के बड़े मकसद को हासिल करने में मददगार साबित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा है कि भारत यूक्रेन में हालात को लेकर चिंतित है। इस संघर्ष के कारण कई लोगों की जान गई है और कई लोगों, विशेषकार महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों को कष्ट झेलने पड़ रहे हैं। लाखों लोग बेघर हो गए हैं और वे पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर हैं।
प्रश्न-3 ब्रिटेन में आयी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू आतंक को लेकर प्राथमिक चुनौती इस्लामी आतंकवाद से है। हाल में फ्रांस का उदाहरण सबके सामने है। इसे कैसे देखते हैं आप ?
उत्तर- ब्रिटेन की संसद में पेश नयी सरकारी रिपोर्ट के अनुसार देश में घरेलू आतंकवाद को लेकर प्राथमिक चुनौती इस्लामी आतंकवाद से है और अल कायदा एवं इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूहों से स्पष्ट जुड़ाव व्यापक ऑनलाइन चरमपंथी प्रभावों के लिए रास्ता बना रहा है। ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ में ‘संघर्ष : आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए ब्रिटेन की रणनीति 2023’ पेश की। उन्होंने विदेश में स्थित इस्लामी समूहों से देश के सामने मौजूद खतरे से संबंधित इस रिपोर्ट के निष्कर्षों पर प्रकाश डाला। भारतीय मूल की मंत्री ब्रेवरमैन ने कहा कि उनका विभाग आतंकवादी खतरे का मुकाबला करने की खातिर अधिक चुस्त और व्यापक दृष्टिकोण अपनाने के लिए रिपोर्ट के अद्यतन संस्करण का उपयोग करेगा। उन्होंने कहा, “2018 में रिपोर्ट का अंतिम संस्करण प्रकाशित होने के बाद से, ब्रिटेन में नौ आतंकवादी हमले हुए, जिनमें छह लोगों की मौत हुई और 20 लोग घायल हो गए। विदेश में हुए 11 आतंकवादी हमलों में ब्रिटेन के 24 नागरिक मारे गए हैं। इनमें से अधिकांश इस्लामी आतंकवादी हमले थे।”

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मंत्री ने संसद को बताया कि नवीनतम रिपोर्ट में घरेलू आतंकवादी खतरे से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इस खतरे के बारे में पूर्वानुमान लगाना, इनका पता लगाना और जांच करना थोड़ा मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि विदेश में इस्लामी समूहों की ओर से खतरा लगाातर उभर रहा है। उन्होंने कहा कि देश में घरेलू आतंक को लेकर प्राथमिक चुनौती इस्लामी आतंकवाद से है और अल कायदा व इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूहों से स्पष्ट जुड़ाव व्यापक ऑनलाइन आतंकी प्रभावों के लिए रास्ता बना रहा है। ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि फ्रांस में जो कुछ हुआ उसे पूरी दुनिया ने देखा इसलिए अब हर जगह इस्लामी आतंकवाद को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। खासकर ऐसे लोगों पर शिकंजा कसा जा रहा है जोकि लोगों को कट्टरपंथी बनाते हैं।
प्रश्न-4 पाकिस्तान में आतंकी हमले बढ़े तो उसकी सेना ने कह दिया कि ‘पड़ोसी देश’ में टीटीपी को आधुनिक हथियार मिलना आतंकी हमलों में वृद्धि की एक वजह है। क्या आपको लगता है सीमा पार से आतंकवाद को शह मिलने का मतलब पाकिस्तान को समझ आ गया है। साथ ही पाकिस्तान को जिस तरह से कर्ज पर कर्ज आसानी से मिलता जा रहा है उसको कैसे देखते हैं आप?
उत्तर- पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने तालिबान शासित अफगानिस्तान का परोक्ष उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘एक पड़ोसी देश’ में प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों को उपलब्ध पनाहगाह और आधुनिकतम हथियार हाल में आतंकवादी हमले बढ़ने के पीछे एक कारण है। पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने पड़ोसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन माना जा रहा है कि उनका आशय अफगानिस्तान से था जिस पर पाकिस्तान ने पिछले सप्ताह प्रतिबंधित टीटीपी को सक्रिय रहने देने का आरोप लगाया था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने भले किसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि उनके देश में खून-खराबा करने वाले आतंकवादियों को पड़ोसी देश अफगानिस्तान में शरण मिल रही है और पाकिस्तान अब इसे सहन नहीं करेगा। आसिफ ने कहा था कि अफगानिस्तान पड़ोसी देश होने का कर्तव्य नहीं निभा रहा है और दोहा समझौते का पालन नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा था कि पचास से साठ लाख अफगानों को सभी अधिकारों के साथ पाकिस्तान में 40 से 50 वर्ष के लिए शरण प्राप्त है। पाकिस्तानी मंत्री ने कहा था कि लेकिन इसके विपरीत पाकिस्तानियों का खून बहाने वाले आतंकवादियों को अफगानी धरती पर पनाह मिल सकती है। इस तरह की स्थिति अब और नहीं चल सकती। पाकिस्तान अपनी सरजमीं और नागरिकों की रक्षा के लिए अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल करेगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि लेकिन इस्लामाबाद द्वारा अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाए जाने के बाद व्हाइट हाउस ने कहा है कि पाकिस्तान में रह रहे या अफगानिस्तान के साथ लगने वाली सीमा पर रह रहे अफगान शरणार्थियों के आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि पाकिस्तान में या अफगानिस्तान से लगने वाली उसकी सीमा पर रह रहे अफगान शरणार्थियों के आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के हमें कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। जॉन किर्बी ने कहा था कि इतनी अधिक संख्या में अफगान नागरिकों की मदद करने के लिए अमेरिका पाकिस्तान की सराहना करता है और हम आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए पाकिस्तान के साथ काम करना जारी रखेंगे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे अफगान तालिबान ने पाकिस्तान सरकार से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ वार्ता का दूसरा दौर शुरू करने को कहा है। काबुल में अफगान तालिबान के एक शीर्ष नेता ने पाकिस्तान सरकार से कहा है कि उसे लड़ाई की जगह शांति को वरीयता देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने यह स्पष्ट संदेश देने के लिए इस हफ्ते अपने विशेष दूत को तीन दिनों की यात्रा पर काबुल भेजा था कि अफगानिस्तान की तालिबान नीत अंतरिम सरकार को टीटीपी के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी होगी। विशेष दूत राजदूत असद दुर्रानी ने अपनी यात्रा के दौरान अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मौलवी अब्दुल कबीर, कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी और अन्य अधिकारियों के साथ भेंटवार्ता की। लेकिन कई बैठकों के बाद अफगान तालिबान ने उनसे कहा कि पाकिस्तान को बलप्रयोग के स्थान पर शांति के मार्ग पर बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगान तालिबान के 2021 में काबुल की सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में टीटीपी के हमले में काफी वृद्धि हुई है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक पाकिस्तान को कर्ज की बात है तो वह लगातार बढ़ता जा रहा है। दुनिया के बड़े देश भी यही चाहते हैं कि किसी तरह इस देश का गुजारा चलता रहे वरना यदि आतंकवादी यहां हावी हुए तो दुनिया के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाओं के अलावा यूएई और चीन से ही पाकिस्तान को कर्ज मिल रहा है। अब तो चीन ने पाकिस्तान के दो अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के कर्ज को दो साल के लिए पुनर्गठित करने पर भी सहमति जताई है। इस फैसले से नकदी संकट से जूझ रहे देश को बड़ी राहत मिलेगी, जो नए कर्ज के जरिए विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
प्रश्न-5 पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हैनरी किसिंजर चीन की यात्रा करके आये हैं। दूर दूर दिख रहे अमेरिका और चीन क्या पास आने की राह तलाश रहे हैं?
उत्तर- अमेरिकी सरकार पर बिजनेस हाउसों का दबाव है कि चीन के साथ रिश्ते सुधारे जाएं क्योंकि व्यापार में काफी असंतुलन हो रखा है। इसलिए आपने हाल ही में देखा कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन चीन होकर आये। ब्लिंकन ने चीनी विदेश मंत्री के अलावा चीनी राष्ट्रपति से भी गहन वार्ता की। इसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार निकोलस बर्न्स भी चीन होकर आये। अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन भी चीन होकर आई हैं। इसके अलावा अमेरिका के शीर्ष जलवायु दूत जॉन कैरी ने भी हाल ही में चीन की यात्रा की। अब इन सबसे बढ़कर अमेरिका ने पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर को चीन भेजा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि किसिंजर की छवि चीन में दोस्त के रूप में है। किसिंजर का शुरू से ही कहना रहा है कि चीन के साथ दोस्ती बनाकर रखनी चाहिए। 1971 में किसिंजर ने जब विदेश मंत्री के रूप में चीन का दौरा किया था उसी के बाद से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने चीन के साथ रिश्ते सुधारने की शुरुआत की थी। किसिंजर का अमेरिका जाना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह 100 वर्ष के हैं उसके बावजूद देश के लिए चीन की यात्रा की। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन 80 वर्ष के हैं लेकिन उन्होंने चीन मुद्दे पर 100 वर्षीय किसिंजर की सहायता ली। लेकिन यहां अमेरिका के दोहरेपन पर भी सवाल खड़े होते हैं। एक ओर तो वह चीन से संबंध सुधारने की पहल कर रहा है लेकिन दूसरी ओर उसने क्वॉड तथा अन्य कई समूह बनाकर हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरने के लिए भी रणनीति बनाई हुई है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक किसिंजर की चीन यात्रा की बात है तो इस दौरान चीनी राष्ट्रपति ने उन्हें पूरा सम्मान दिया। शी जिनपिंग ने अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर से कहा है कि उनका देश अमेरिका के साथ पटरी से उतरे रिश्तों को ठीक करने के लिए चर्चा को तैयार है। उन्होंने बुजुर्ग अमेरिकी राजनयिक से संबंधों को सुधारने में मदद करने का आग्रह किया जैसा उन्होंने 50 साल पहले दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्तों को स्थापित कर किया था। 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जिनपिंग चीन की यात्रा पर आए अमेरिकी अधिकारियों से मिलने से बचते हैं लेकिन वह किसिंजर से मिलने के लिए बीजिंग के दिआओयुताई राजकीय अतिथि गृह पहुंचे और चीन-अमेरिका के रिश्तों में सुधार करने के लिए उनकी मदद मांगी। किसिंजर ने इसी अतिथि गृह में 1971 में बीजिंग की पहली यात्रा के दौरान राजनयिक रिश्ते स्थापित करने के लिए चीनी नेताओं से मुलाकात की थी। तब अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन थे। जिनपिंग ने किसिंजर के साथ मुलाकात के दौरान कहा कि 52 साल पहले चीन-अमेरिका रिश्तों में अहम मोड़ पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष माओ त्से-तुंग, प्रधानमंत्री झोऊ एनलाइ, अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन और किसिंजर ने उल्लेखनीय रणनीतिक दृष्टि के साथ, चीन और अमेरिका के बीच सहयोग का सही विकल्प चुना था। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि इससे न सिर्फ दोनों देशों को फायदा हुआ, बल्कि दुनिया भी बदल गई।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जिनपिंग ने कहा कि भविष्य के मद्देनजर, चीन और अमेरिका के पास एक-दूसरे की सफलता में साथ देने और साझा समृद्धि हासिल करने के तमाम कारण हैं। उन्होंने कहा कि इसमें परस्पर सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और लाभकारी साझेदारी के सिद्धांतों का पालन करना अहम होगा। उन्होंने कहा कि इस आधार पर, चीन दोनों देशों के बीच दोस्ताना रिश्तों और द्विपक्षीय संबंधों में स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका के साथ चर्चा करने के लिए तैयार है। यह दोनों पक्षों के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए लाभकारी होगा। जिनफिंग ने उम्मीद जताई कि किसिंजर और वाशिंगटन में अन्य नेता चीन-अमेरिका रिश्तों को वापस पटरी पर लाने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाना जारी रखेंगे। किसिंजर से जिनपिंग की मुलाकात से पहले चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी और चीन के रक्षा मंत्री जनरल ली शान्गफू ने भी अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री से मुलाकात की।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यहां यह भी ध्यान रखे जाने की जरूरत है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीन के खिलाफ सख्त नीतियां अपनाई हैं जिसमें व्यापार और तकनीकी प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ क्वाड और ऑकस जैसे प्रभावशाली रणनीतिक समूहों का गठन शामिल है। क्वाड में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं जबकि ऑकस में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं। इन्हें लेकर चीन का कहना है कि इन समूहों का मकसद उसके उदय को रोकना है। इस वजह से दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी बिगड़ गए हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालांकि अब दोनों देशों के संबंधों में सुधार दिखाई दे रहा है। हाल ही में अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करना अमेरिका और चीन की साझा जिम्मेदारी है और जब तक दोनों देश सहयोग नहीं करते, तब तक वैश्विक चुनौतियों से निपटने में किसी भी प्रगति की कल्पना करना मुश्किल है। येलेन ने कहा कि चीनी अर्थव्यवस्था की सुस्ती वैश्विक अर्थव्यवस्था की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन दुनियाभर के कई देशों के लिए एक बड़ा आयातक है। उन्होंने कहा कि संबंधों में द्विपक्षीय भागीदारी को लेकर हममें से प्रत्येक की चिंताओं को ईमानदारी से एवं स्पष्ट रूप से व्यक्त करने और उन पर चर्चा करने के अलावा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की जरूरतों से निपटना हमारा साझा दायित्व है। और वास्तव में, जब तक अमेरिका और चीन सहयोग नहीं करते, यह कल्पना करना मुश्किल है कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशने की दिशा में प्रगति हो सकती है। येलेन ने बताया कि चीन के अपने हालिया दौरे के दौरान उन्होंने अपने चीनी समकक्षों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि चीन के नेताओं ने उन्हें बताया कि उसके यहां कारोबारी माहौल खुला एवं मैत्रीपूर्ण है और वे देश में विदेशी निवेश चाहते हैं। येलेन ने कहा कि निर्यात के साथ-साथ चीनी अर्थव्यवस्था में सुस्ती दर्शाती है कि देश में कोविड-19 की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन की समाप्ति के बाद उपभोक्ता खर्च में उतनी वृद्धि नहीं हुई, जितनी कल्पना की गई थी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा है कि यकीनन यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन दुनियाभर के कई देशों के लिए एक प्रमुख आयातक है। ऐसे में चीनी अर्थव्यवस्था में सुस्ती का असर कई देशों की वृद्धि दर पर पड़ सकता है और आप सब ने ऐसा होते देखा भी है। अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा कि वे निश्चित रूप से यह बताने के लिए उत्सुक हैं कि चीन में कारोबारी माहौल खुला एवं मैत्रीपूर्ण है और वे देश में विदेशी निवेश आता देखना चाहते हैं। अमेरिकी वित्त मंत्री ने यह भी बताया है कि मैं अमेरिकी उद्यमियों से भी मिली, जो चीन में निवेश करने की अनुमति पाने के इच्छुक हैं।



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