India-US Nuclear Deal के बाद अब भारत-अमेरिका करने वाले हैं नया और बड़ा करार, समझौते को हकीकत बनाने अमेरिका पहुँचे Doval

स्टोरी शेयर करें


भारत और अमेरिका के संबंध नई ऊँचाइयों पर पहुँचने वाले हैं क्योंकि दोनों देश वर्तमान वैश्विक चुनौतियों के बदलते परिदृश्य को देखते हुए एक अहम समझौता करने जा रहे हैं। इस समझौते को हकीकत बनाने के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल इस समय अमेरिका के महत्वपूर्ण दौरे पर हैं। वाशिंगटन डीसी पहुँचते ही उन्होंने सबसे पहले अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत संधू से मुलाकात की और अमेरिकी नेतृत्व के साथ होने वाली बैठकों के लिए अपनी तैयारी को अंतिम रूप दिया।
हम आपको बता दें कि अजित डोभाल ‘इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (आईसीईटी) पर पहली उच्च-स्तरीय बैठक के तहत अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन सहित शीर्ष अमेरिकी नेतृत्व के साथ महत्वपूर्ण बातचीत करने अमेरिका आये हैं। माना जा रहा है कि भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के बाद यह वार्ता भारत-अमेरिका संबंधों में ‘अगला, बड़ा मील का पत्थर’ साबित हो सकती है।

इसे भी पढ़ें: NSA visit to America: गेमचेंजर साबित हो सकती है अजीत डोभाल की अमेरिका यात्रा, 10 गेमचेंजर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर होगी बातचीत

डोभाल के साथ एक औद्योगिक प्रतिनिधिमंडल भी आया है जो अमेरिकी पक्ष से मिल रहा है। हम आपको बता दें कि 2022 में टोक्यो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के बीच एक बैठक के बाद पहली बार आईसीईटी का उल्लेख किया गया था। भारत और अमेरिका, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रणनीतिक, वाणिज्यिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करेंगे। बताया जा रहा है कि व्हाइट हाउस में दोनों पक्षों के बीच बैठक के बाद विस्तार से जानकारी दी जाएगी। फिलहाल इस महत्वाकांक्षी आईसीईटी बैठक के एजेंडे को लेकर दोनों देशों के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है।
बताया जा रहा है कि भारत और अमेरिका को उम्मीद है कि यह बैठक दोनों देशों के कॉरपोरेट क्षेत्रों के बीच एक विश्वसनीय भागीदार पारिस्थितिकी तंत्र के विकास की नींव रखेगी, ताकि स्टार्टअप की संस्कृति से फल-फूल रही सार्वजनिक-निजी साझेदारी पर जोर देने वाले दोनों देश वैज्ञानिक अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तानाशाही हुकूमतों के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सकें। देखा जाये तो अजित डोभाल असामान्य रूप से बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ अमेरिका पहुंचे हैं, जिसमें सचिव स्तर के पांच अधिकारी और उन भारतीय कंपनियों का कॉरपोरेट नेतृत्व शामिल है, जो भारत में कुछ अत्याधुनिक अनुसंधान कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि एनएसए के साथ अमेरिका जाने वाले सचिव स्तर के पांच अधिकारियों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ, प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार जी सतीश रेड्डी, दूरसंचार विभाग के सचिव के राजाराम और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के महानिदेशक समीर वी कामत शामिल हैं। आईसीईटी के तहत दोनों देशों ने सहयोग के छह क्षेत्रों की पहचान की है। दोनों देशों के बीच सहयोग सह-विकास और सह-उत्पादन के सिद्धांत पर आधारित होगा, जिसे धीरे-धीरे क्वाड (अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान का रणनीतिक समूह), फिर नाटो (उत्तर एटलांटिक संधि संगठन) और फिर यूरोप और बाकी दुनिया में विस्तारित किया जाएगा। इसका मकसद बाकी दुनिया को ऐसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां प्रदान करना है, जो तुलनात्मक रूप से काफी सस्ती हों।
हम आपको बता दें कि भारत और अमेरिका ने आईसीईटी के तहत सहयोग के लिए जिन छह क्षेत्रों की पहचान की है, उनमें वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास, क्वांटम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता), रक्षा नवाचार, अंतरिक्ष तथा 6जी और सेमीकंडक्टर जैसी उन्नत संचार पद्धतियां शामिल हैं।
उधर, अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) द्वारा आयोजित एक उच्च स्तरीय गोलमेज सम्मेलन में कहा, ”आईसीईटी प्रौद्योगिकी सहयोग से कहीं अधिक है, यह हमारे सामरिक अभिसरण व नीति संरेखण में तेजी लाने का एक मंच है।’’ उल्लेखनीय है कि इस गोलमेज सम्मेलन में अमेरिका की वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो और डोभाल ने भी शिरकत की। सुलिवन ने कहा कि अमेरिका और भारतीय सरकार ‘‘प्राथमिकता की सूची’’ बनाएगी, ”सबसे पहले दोनों पक्षों की बाधाओं को दूर करने के लिए, ताकि सभी की महत्वाकांक्षा को सक्षम बनाया जा सके।’’
इस बीच, अमेरिका में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, ”जीना रामोंडो, डोभाल और जेक सुलिवन ने यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) द्वारा आयोजित गोलमेज सम्मेलन में उद्योग जगत के लोगों, शिक्षाविदों और विचारकों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। भारत-अमेरिका भरोसेमंद भागीदारी के पारिस्थितिकी तंत्र पर विस्तृत चर्चा की।’’ 
-गौतम मोरारका



स्टोरी शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Pin It on Pinterest

Advertisements