Black Sea ड्रोन घटना ने ‘अप्रत्याशित‘युद्ध से बचने के ढीले नियमों पर प्रकाश डाला

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काला सागर के ऊपर इस सप्ताह की शुरुआत में एक रूसी विमान द्वारा एक अमेरिकी ड्रोन को रोके जाने की घटना का असाधारण वीडियो फुटेज दर्शाता है कि वास्तविक युद्ध क्षेत्र के बाहर इस प्रकार की घटनाएं कितनी खतरनाक साबित हो सकती हैं।
अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन द्वारा जारी किए गए इस वीडियो में रूसी विमान अमेरिकी ड्रोन पर स्पष्ट रूप से ईंधन छिड़कते और फिर जानबूझकर उससे टकराता दिख रहा है।
काला सागर के ऊपर टकराव की यह स्थिति इस बात पर प्रकाश डालती है कि इस प्रकार के सैन्य टकराव से कितनी आसानी से ‘‘अप्रत्याशित’’ युद्ध छिड़ सकता है।

हमने हाल के वर्षों में थल सेनाओं, नौसेनाओं और वायु सेनाओं के बीच इस प्रकार के टकराव की घटनाओं में वृद्धि देखी है। इससे पहले, 2021 में बताया गया था कि रूसी विमान और दो तटरक्षक पोतों ने क्रीमिया के पास एक ब्रिटिश युद्धपोत को बाधित किया था।
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल कहा था कि एक चीनी लड़ाकू विमान ने दक्षिण चीन सागर के ऊपर अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में उसके एक सैन्य विमान को परेशान किया। इन खतरनाक ‘‘खेलों’’ के कुछ और अधिक गंभीर घटनाओं का कारण बनने का जोखिम स्पष्ट है, लेकिन इन्हें रोकने के लिए कुछेक नियम ही मौजूद हैं।

लापरवाह रवैया
सभी सेनाओं को सुरक्षा संबंधी बुनियादी अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए। इस कानून में कई प्रावधान किए गए हैं, लेकिन उनका अनुपालन अनिवार्य करने के लिए कोई संधि नहीं है। यही नहीं, इस कानून को सिर्फ कुछ ही देशों ने स्वेच्छा से अपनाया है।
इसके अलावा, ‘‘सुरक्षित’’ गति या दूरी की कोई सटीक परिनहीं है। नयी प्रौद्योगिकियां-जैसे कि ड्रोन और अन्य तकनीक-अनियमित जटिलता का एक और स्तर जोड़ती हैं।

मिसाइल परीक्षण
कुछ चीजें उतनी ही भयावह होती हैं, जितनी बिना किसी सहमति या चेतावनी के किसी दूसरे देश की ओर आने वाली या उसके ऊपर से गुजरने वाली मिसाइल।
संयुक्त राष्ट्र के कुछ स्वैच्छिक नियम के अलावा, एकमात्र अन्य बाध्यकारी मिसाइल अधिसूचना समझौता रूस और चीन के बीच है। चीन और अमेरिका अन्य परमाणु शक्तियों की तरह सीधे तौर पर प्रक्षेपण अधिसूचना की जानकारी साझा नहीं करते हैं।
उत्तर कोरिया और ईरान जैसे कुछ देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा उन पर सीधे तौर पर लगाए गए मिसाइल प्रतिबंधों का भी उल्लंघन करते हैं।

युद्ध का खेल और संवाद की व्यवस्था
सेना को अभ्यास करने की जरूरत है, लेकिन यह अभ्यास तब जोखिम भरा हो जाता है, जब अभ्यास एक वास्तविक हमले की तरह लगे।
उत्तर कोरिया इसका एक ताजा उदाहरण है, लेकिन अतीत में बड़े पैमाने पर टकराव की ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनसे परमाणु हमले का खतरा पैदा हुआ। उदाहरण के लिए 1983 में शीत युद्ध के तनावपूर्ण समय में गलत समझी गई एक सैन्य खुफिया जानकारी के कारण अमेरिका ने परमाणु खतरे का उच्चतम स्तर लागू कर दिया था।
इस संबंध में कोई अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं है, जो नेताओं को प्रत्यक्ष, शीघ्र और लगातार संवाद करने में सक्षम बना सके।



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