समुद्र की खतरनाक यात्रा के दौरान 26 रोहिंग्या शरणार्थी मारे गये: संयुक्त राष्ट्र

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संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि खतरनाक समुद्री यात्रा करते हुए खुले समुद्र में एक महीने के दौरान कम से कम 26 रोहिंग्या मुसलमानों की मौत हो गयी, बाकी कुछ अन्य शरणार्थी सुरक्षित इंडोनेशिया पहुंच गये।
अधिकारियों ने बताया कि कम से कम 185 पुरुष, महिलाएं और बच्चे सोमवार शाम को आके प्रांत के पिडी जिले में तटीय गांव मुआरा तिगा में उजोंग पाई समुद्र तट पर लकड़ी की एक जर्जर नाव से उतरे थे।
सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में कमजोर, थके हुए और मदद के लिए गुहार लगाते रोहिंग्या शरणार्थियों को देखा जा सकता है।

स्थानीय पुलिस प्रमुख फौजी ने कहा, ‘‘वे कुछ सप्ताह तक समुद्र में रहने के बाद पानी की कमी और थकान के कारण बहुत कमजोर हो गए हैं।’’
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने कहा कि जीवित बचे लोगों ने एजेंसी को बताया कि इस लंबी यात्रा के दौरान 26 लोगों की मौत हो गयी।
एक शरणार्थी ने बताया कि वे नवंबर के आखिर में बांग्लादेश में एक शरणार्थी शिविर से निकले थे और खुले समुद्र में यात्रा करते रहे। रोसयिड नामक इस शरणार्थी ने कहा कि कम से कम 20 लोग ऊंची लहरों और बीमारी के कारण मर गये और उनके शवों को समुद्र में फेंक दिया गया।

यूएनएचसीआर के अनुसार अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी में इस साल 2,000 से अधिक लोगों ने खतरनाक समुद्री यात्राएं की हैं और इनमें करीब 200 की मौत हो चुकी है।
एजेंसी को इस तरह की अपुष्ट खबरें भी मिली हैं कि करीब 180 लोगों के साथ एक और नौका लापता है और माना जा रहा है कि सभी यात्री मारे जा चुके हैं।
म्यांमा के रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संस्था अराकान प्रोजेक्ट में निदेशक क्रिस लेवा ने कहा कि लोगों की आमद के ताजा मामले रोहिंग्या के उन पांच समूहों के हैं जो स्थानीय तटरक्षकों द्वारा हिरासत में लिये जाने से बचने के लिए बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में शरणार्थी शिविरों से छोटी नौकाओं पर सवार होकर निकले थे। इसके बाद उन्हें पांच बड़ी नौकाओं पर भेजा गया।
म्यांमा के सुरक्षा बलों पर अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिमों के घरों को जलाने, सामूहिक नरसंहार और दुष्कर्म के आरोप लगते रहे हैं। अनेक शरणार्थी समुद्री रास्ते से मलेशिया आते रहे हैं लेकिन उन्हें हिरासत में ले लिया गया है।



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