TOI की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में एक डॉक्टर, प्रदीप चौधरी ने गुड़गांव की यात्रा के बाद देखा कि उसे 113 रुपये ज्यादा चार्ज किया गया है, जिसके चलते उसने कैब ड्राइवर से रिफंड के लिए पूछा, तो ड्राइवर ने उसे इसके लिए कैब सर्विस के ग्राहक सेवा से संपर्क करने की सलाह दी। ऐसे में चौधरी ने इंटरनेट पर कंपनी का ग्राहक सेवा नंबर सर्च किया। हालांकि, यहां उनसे सबसे बड़ी गलती यह हुई कि जो नंबर उन्होंने डायल किया, वो असल में कैब सर्विस का कस्टमर केयर नंबर नहीं था।
चौधरी द्वारा नंबर डायल करने पर एक व्यक्ति ने खुद को उसी कैब सर्विस का ग्राहक सेवा प्रतिनिधि बताया और चौधरी की शिकायत सुनने के बाद, कॉल को राकेश मिश्रा होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति को ट्रांसफर कर दिया। मिश्रा ने चौधरी को एक रिमोट सेंसिंग एप्लिकेशन डाउनलोड करने और अपना ई-वॉलेट खोलने का निर्देश दिया।
इसके बाद, उन्होंने चौधरी को अपने फोन नंबर के पहले छह अंकों के साथ रिफंड राशि टाइप करके दर्ज करने का निर्देश दिया। इसे सही ठहराने के लिए मिश्रा ने दावा किया कि यह सत्यापन प्रक्रिया का हिस्सा था। निर्देशों पर भरोसा करते हुए, चौधरी ने अनुपालन किया और अपना ओटीपी भी प्रदान किया। दुर्भाग्य से, इसके कारण चार अनधिकृत लेनदेन हुए, जिसमें डॉक्टर को 4.9 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
रिपोर्ट बताती है कि आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना) और आईटी अधिनियम की धारा 66 डी के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांचकर्ताओं को संदेह है कि घोटालेबाजों ने एक नकली ग्राहक सेवा नंबर ऑनलाइन पोस्ट किया था, जिसके कारण चौधरी वैध ग्राहक सेवा नंबर की खोज के दौरान उनके जाल में फंस गए।
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