सात साल की मासूम के हत्यारे को फांसी की सजा, 120 दिनों में कोर्ट ने दिया न्याय, सीएम ने किया फैसले का स्‍वागत

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इंदौर। सात वर्ष की मासूम की चाकुओं से गोदकर हत्या करने वाले सद्दाम को विशेष न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई है। 23 सितंबर को आजाद नगर क्षेत्र में अपने घर के बाहर खेल रही मायरा उर्फ माहेनूर को आरोपित सद्दाम जबरदस्ती उठाकर खुद के घर ले गया था। घर के भीतर चाकुओं के 15 वार कर मासूम की जान ले ली थी। बमुश्किल 120 दिन में कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर सद्दाम को दोषी करार दिया। कोर्ट ने कहा कि बच्चों के साथ नृशंसता करने वाले ऐसे अपराधी समाज के लिए सदैव खतरा बने रहेंगे। अपराधी को मौत की सजा सुनाई जाती है। हत्यारे ने बचाव में खुद के मानसिक रोगी होने की दलील कोर्ट में पेश की थी। हालांकि, कोर्ट ने परीक्षण में उसे खारिज कर दिया। 23 गवाह भी सद्दाम के खिलाफ कोर्ट के सामने आए। इस फैसले पर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया है। उन्‍होंने ल‍िखा कि इंदौर के आजाद नगर थाना अंतर्गत एक बालिका के विरुद्ध घटित अपराध में माननीय न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास एवं फांसी की दोहरी सजा से बच्ची के परिवार को न्याय मिला है। मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं। घटना वाले दिन मायरा आजाद नगर वाटर पंप के पास मोहम्मद इस्माइल के घर के बाहर खेल रही थी। उसी वक्त सद्दाम ने उसे जबरदस्ती उठा लिया और ले जाने लगा। इस्माइल की मकान मालकिन सलमा ने उसे देखा और पीछे दौड़ी। सद्दाम ने घर का दरवाजा बंद कर लिया। मौके पर भीड़ जमा हो गई, बच्ची को बचाने के लिए शोर मचाया और दरवाजा खुलवाने का प्रयास भी किया, लेकिन हत्यारे ने इसी दौरान मायरा पर वार कर उसकी जान ले ली। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर 1 अक्टूबर को चालान कोर्ट में प्रस्तुत किया था विशेष न्यायालय ने 23 जनवरी को सुनवाई पूरी कर ली। 31 जनवरी को सद्दाम को दोषी करार दिया। सोमवार को हत्यारे को धारा 302 में मृत्युदंड और धारा 364 में आजीवन कारावास के साथ पाक्सो एक्ट में सात-सात वर्ष के साथ धारा 342 में एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई। साथ ही 9000 रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया। न्यायालय के सामने सद्दाम ने खुद को मानसिक रोगी साबित करने का प्रयास भी किया था। उसके वकील ने इस संबंध में आवेदन दिया था। इसमें कहा गया था कि सद्दाम मानसिक चिकित्सालय में भर्ती रहा है, लेकिन ये दांवपेच न्यायालय में काम नहीं आए। अभियोजन ने कोर्ट को बताया कि मानसिक चिकित्सालय ने पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद ही सद्दाम को डिस्चार्ज किया था। केस में अभियोजन पक्ष की ओर से मृतक बच्ची के 11 साल के भाई की भी कोर्ट में गवाही करवाई गई। कोर्ट में बच्ची के भाई ने बताया कि जिस वक्त सद्दाम मायरा को उठाकर ले गया, उस वक्त वह उसी के साथ खेल रही थी। उसे जबरदस्ती साथ ले गया। अतिरिक्त जिला लोक अभियोजक अभिषेक जैन के अनुसार, इस आधार पर कोर्ट के सामने यह तर्क दिया गया कि सद्दाम की मंशा बच्ची के साथ गलत करने की थी, क्योंकि सिर्फ उसे मारना ही होता तो वह सड़क पर ही वार कर देता कमरे के अंदर वह गलत मंशा से ले गया। बाहर लोगों की भीड़ जमा हुई और शोर मचा तो उसने बच्ची को मार दिया।


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