चिडिय़ाघर में घटते बाघों की संख्या ने बढ़ाई टेंशन, देशभर में की जाएगी मांग

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रीवा। महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर मुकुंदपुर में करीब एक वर्ष के अंतराल में कई बाघों की मौत ने प्रबंधन की टेंशन बढ़ा दी है। लगातार होती मौतों से बाघों की संख्या भी कम होने लगी है। इसलिए अब तय किया गया है कि देश के सभी प्रमुख चिडिय़ाघरों से संपर्क कर वहां से बाघों की मांग की जाएगी। हाल ही में सफेद बाघ गोपी की मौत ने चिडिय़ाघर को बड़ा झटका दिया है।

मुकुंदपुर में आने वाले पर्यटक चाहे स्थानीय हों अथवा बाहरी सबका आकर्षण यहां पर मौजूद सफेद बाघ ही होते हैं। एक सफेद बाघिन राधा की मौत पहले ही हो चुुकी है। अब तक दो जोड़े थे, जिसमें एक जोड़े को ह्वाइट टाइगर सफारी में रखा गया था तो एक जोड़ा चिडिय़ाघर के बाड़े में पर्यटकों के लिए आकर्षण था।

अब बाड़े में एक ही सफेद बाघिन सोनम रहेगी। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी चिडिय़ाघर को संवारने के लिए निर्देशित किया है। चिडिय़ाघर प्रबंधन अब देश के सभी प्रमुख चिडिय़ाघरों को पत्र लिखेगा और उनसे बाघों की मांग करेगा। मुकुंदपुर में बाघों को ही देखनेे के लिए अधिक संख्या में लोग आ रहे हैं, इसलिए रायल बंगाल टाइगर की भी मांग की जाएगी। कुछ महीने पहले ही यलो बाघिन दुर्गा की मौत हो गई थी।

– अनुसंधान प्रकोष्ठ स्थापित करने भेजा जाएगा प्रस्ताव
चिडिय़ाघर में बाघों की सुरक्षा के लिए अनुसंधान प्रकोष्ठ का गठन करने की मांग उठी है। रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ला ने कहा है कि इस संबंध में मुख्यमंत्री से वह चर्चा करेंगे। इससे बाघों को होने वाली बीमारियों पर विशेष रूप से अनुसंधान किया जा सकेगा। चिडिय़ाघर प्रबंधन अब इसके लिए भी शासन को प्रस्ताव भेजेगा। चिडिय़ाघर में रेस्क्यू सेंटर खुला है, जहां पर चिडिय़ाघर के साथ ही बाहर से आने वाले जानवरों का भी इलाज किया जा रहा है।

– इन स्थानों के चिडिय़ाघरों से संवाद की तैयारी
देश के जिन प्रमुख चिडिय़ाघरों से बाघों की मांग करने की तैयारी की गई है, उसमें प्रमुख रूप से दिल्ली, पटना, लखनऊ, बिलासपुर, जूनागढ़, मैसूर, पुणे, विशाखापट्टनम, चंडीगढ़, भिलाई, गोपालपुर हिमांचल प्रदेश, उदयपुर, गुवाहाटी सहित अन्य प्रमुख चिडिय़ाघरों से संपर्क करने की तैयारी है। पूर्व में कुछ स्थानों पर संपर्क के लिए पत्र भेजा गया था लेकिन कोरोना संक्रमण बढऩे की वजह से जानवरों को नहीं लाया जा सका है।



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