सिंगरौली. स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंक हासिल करने नगर निगम कोई कोरकसर नहीं छोडऩा चाहता है। सर्वेक्षण की तैयारी में अब निगम अधिकारियों की नजर शहर के ड्रेनेज सिस्टम पर है। शहरी क्षेत्र के उन नालों की सूरत बदली जाएगी, जो पानी निकासी के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन अपना अस्तित्व लगभग खो चुके हैं। सर्वेक्षण के दौरान नालों की बदहाल सूरत रैंक को प्रभावित नहीं करे।
इस उद्देश्य को लेकर अधिकारियों ने नालों को व्यवस्थित करने की कवायद शुरू की है। अधिकारियों के लिए इसमें सबसे बड़ी चुनौती राजस्व रिकॉर्ड को लेकर है। दरअसल शहरी क्षेत्र के नालों की वास्तविक स्थिति और राजस्व रिकॉर्ड अलग-अलग कहानी बयां कर रहे हैं। हकीकत में नालों कहीं और हैं, जबकि राजस्व रिकॉर्ड में उनका स्थान कहीं और बताया जा रहा है।
नालों की स्थिति में यह अंतर अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। निगम अधिकारी इस पेंच को जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश में लगे हुए हैं। क्योंकि जब तक राजस्व रिकॉर्ड में नालों को उनकी वास्तविक नहीं दर्ज हो जाती है, पैमाइश कराते हुए उनकी सूरत में सुधार संभव नहीं है। निगम अधिकारियों के लिए बहुत अधिक मुश्किल नहीं होगा।
क्योंकि वर्तमान में निगम के प्रशासक खुद कलेक्टर राजीव रंजन मीना है। ऐसे में राजस्व अमले द्वारा राजस्व रिकॉर्ड में संशोधन की प्रक्रिया पूरा करना आसान होगा। निगम अधिकारियों का तर्क है कि नालों की स्थिति जहां है। वहीं उनकी वास्तविक स्थिति है। नियमों के मुताबिक डे्रनेज की प्राकृतिक व्यवस्था में बहुत अधिक बदलाव नहीं किया जा सकता है।
अतिक्रमण की चपेट में भी हैं शहर के कई नाले
निगम अधिकारी खुद इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि शहरी क्षेत्र के कई नाले अतिक्रमण की चपेट में हैं। जबकि कई नालों को निजी भूमि बताते हुए रोक दिया गया है। जिससे घरों व बरसात का पानी वास्तविक स्थान से बहने के बजाए इधर-उधर फैलकर प्रदूषण का कारण बन रहा है।
सुधार नहीं हुआ तो गंभीर होगी जलभराव की समस्या
अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान में ड्रेनेज की व्यवस्था इस तरह बदहाल स्थिति में पहुंच गई है कि उसमें तत्काल सुधार संभव नहीं है। जल्द ही डे्रनेज की समस्या को बहाल नहीं किया गया तो जलभराव व प्रदूषण स्थिति और बदहाल हो जाएगी। बारिश के दिनों में गंभीर समस्या बन सकती है।
सर्वेक्षण की तैयारी में पूरी की गई यह कमी
– बिल्डिंग वेस्ट मैटेरियल के प्रबंधन की व्यवस्था सर्वेक्षण के निर्धारित मानकों में शामिल है। पिछले सर्वेक्षण में यह व्यवस्था निगम की ओर से नहीं की जा सकी थी, लेकिन इस बार बिल्डिंग वेस्ट मैटेरियल के प्रबंधन का प्लांट स्थापित कर दिया गया है।
– साइंटिफिक लैंड फिल प्लांट भी लगाया गया। सर्वेक्षण निर्धारित मानकों साइंटिफिक लैंड फिल प्लांट होना आवश्यक है। यह व्यवस्था भी पिछले सर्वेक्षण में नहीं की जा सकी थी, लेकिन इस बार रजमिलान के पास के गांव में प्लांट लगाया जा चुका है।
– कंपनियों में प्लांट लगाने का निर्देश किया है जारी। कंपनियों को कचरा प्रबंधन का प्लांट स्थापित करने का निर्देश दिया गया है। उम्मीद है कि इस बार सर्वेक्षण के मद्देनजर रह गई इस कमी को पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद सर्वेक्षण में सभी प्रमुख मानक पूरे हो जाएंगे।