कोरोना के बाद सिकुड़ रहे फेफड़े, पॉजिटिव से निगेटिव आने के बाद भी सात की मौत

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शहडोल. कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद फेफड़े साथ नहीं दे रहे हैं। कोरोना से स्वस्थ होने के बाद भी फेफड़े का संक्रमण खत्म नहीं हो रहा है। कभी फेफड़े सिकुड़ रहे हैं तो कभी कोरोना का संक्रमण दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचा रहा है। इलाज के बाद मरीज कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हो जा रहे हैं लेकिन इसके बाद भी उनकी मौत हो रही है। मेडिकल कॉलेज में अब तक में कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव होने के बाद सात लोगों की मौत हो चुकी है।
रिकवर नहीं कर पा रहे दोबारा से फेफड़े
डॉक्टरों ने पड़ताल की तो सामने आया कि कोरोना संक्रमण के बाद फेफड़े रिकवर नहीं हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना होने के बाद फेफड़ों को जितना नुकसान हो जाता है। निगेटिव होने के बाद भी उसकी भरपाई नहीं हो पा रही है। निगेटिव होने के बाद भी वे लोग वेंटिलेंटर पर रहते हैं और रिकवर नहीं कर पाते हैं। इससे उनकी मौत हो रही है। इसमें अधिकांश वृद्ध शामिल हैं। इन्हें शुगर और बीपी की बीमारी भी रहती है। शुगर और बीपी वाले मरीजों का फेफड़ों में इंफेक्शन ज्यादा हो जाता है। निगेटिव होनेे के बाद भी सांस लेने में दिक्कत होने पर वेंटिलेटर पर रखा जाता है लेकिन ये रिकवर नहीं कर पा रहे हैं।
अब तक 68 लोगों की मेडिकल कॉलेज में मौत
शहडोल मेडिकल कॉलेज में अब तक कोरोना से 68 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें अधिकांश हाइरिस्क मरीज शामिल हैं। जिन्हे पहले से शुगर, बीपी और हार्ट से जुड़ी बीमारियां थी। हालांकि अभी मौत का ग्राफ कम हुआ है। इधर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन भी ऑक्सीजन के अलावा वेंटिलेटर और डॉक्टरों की ड्यूटी लगाते हुए लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है। इसके चलते कोरोना संक्रमण से मौत भी घटी है।

केस एक
रीवा निवासी 68 वर्षीय वृद्ध को कोरोना होने के बाद परिजनों ने मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। वृद्ध शुगर और बीपी के मरीज थे। इन्हें सांस लेने में दिक्कत के साथ शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया था। इस पर इन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था। कई दिनों तक इलाज चलने के बाद ये कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हो गए। इसके बाद भी इनके फेफड़े को जितना नुकसान हुआ था। वह रिकवर नहीं हो पाया और वेंटिलेटर पर रखे जाने के बाद भी इनकी मौत हो गई।

केस दो
अनपूपुर निवासी 70 वर्षीय वृद्ध भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इस पर इन्हें मेडिकल कॉलेज में आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था। इलाज के बाद ये भी कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हो गए लेकिन इसके बाद भी इन्हें सांस लेने में तकलीफ होने पर वेंटिलेटर पर रखा गया था। इन्हें भी शुगर और बीपी की बीमारी थी। बाद में इनका फेफड़ा रिकवर नहीं कर पाया और इनकी मौत हो गई।

केस तीन
ब्यौहारी निवासी 67 वर्षीय वृद्ध को कोरोना होने पर परिजन मेडिकल कॉलेज लेकर आए। इस पर वृद्ध को एसएनसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया। वृद्ध शुगर और बीपी के मरीज थे। इलाज के दौरान ये भी कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हो गए लेकिन इसके बाद भी इनको सांस लेने में दिक्कत बनी हुई थी। इस पर इन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। इनकी भी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई।

मास्क और सोशल डिस्टेंस बेहद जरूरी
वैक्सीन लगने तक मास्क और सोशल डिस्टेंस बेहद जरूरी है। इसे अपनाकर हम कोरोना संक्रमण से बच सकते हैं। मेडिकल कॉलेज में बेहतर व्यवस्थाएं हैं। पहले से मौत का ग्राफ भी घटा है।
डॉ सतेन्द्र कुमार सिंह, कलेक्टर

काउंसलिंग के साथ फॉलोअप भी करा रहे
कोरोना मरीजों के इलाज के साथ काउंसलिंग भी करते हैं। उन्हे बेहतर डाइट और योगा की सलाह भी दे रहे हैं। फोन पर भी डॉक्टर्स फॉलोअप कर रहे हैं।
डॉ मिलिन्द्र शिरालकर, डीन
मेडिकल कॉलेज, शहडोल



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