रीवा. ओबीसी महासभा के पदाधिकारियों ने मंगलवार को मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से अवहेलना किए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया। लामबंद ओबीसी संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि मध्य प्रदेश राज्य भर्ती सेवा नियम 2015 में किए गए संशोधन दिनांक 17 फरवरी 2020 को तथा मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा प्रारंभिक परीक्षा 2019 का परीक्षा परिणाम निरस्त किया जाए।
एमपीपीएसी निरस्त करने उठाई मांग
पदाधिकारियों ने राज्यपाल को संबोधित जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। जिसमें कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा याचिका क्रमांक 237/ 220 एवं इंदिरा साहनी में दिए गए निर्णय के पालन में मध्यप्रदेश राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 के अनुसार मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में प्रत्येक स्तर पर प्रथम आता है।
कामन मेरिट के आधार पर आरक्षित
अनारक्षित वर्ग की सूची तैयार की जाती है इसी सूची में कॉमन मेरिट के आधार पर आरक्षित वर्ग के ऐसे अभ्यर्थी को शामिल किए जाने का प्रावधान था। अनुसूचित जाति जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों की प्रथम सूचियां तैयार की जाती थी। परंतु नियम 2015 में दिनांक 17 फरवरी 2020 को संशोधन किया गया है। बावजूद इसके मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की है। मेरिट में आए अभ्यर्थियों का अनारक्षित श्रेणी में संयोजन नहीं किया जाएगा।
ओबीसी ने पदाधिकारियों को
ओबीसी संगठन के पदाधिकारियों ने महामहिम राज्यपाल महोदय मध्य प्रदेश शासन व मुख्य सचिव महोदय मध्यप्रदेश शासन समेत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग भारत सरकार नई दिल्ली को ज्ञापन दिया गया। ओबीसी महासभा ने मांग की है कि इस नियम को तुरंत खत्म कर दिया जाए और जो 2015 का नियम है उसे ही लागू रहने दिया जाए।
समाज आंदोलन को होंगे बाध्य
अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो ओबीसी समाज आंदोलन के लिए बाध्य होगा। ज्ञापन में मुख्य रूप से ओबीसी पुष्पराज सिंह, राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य बाबूलाल सेन, प्रदेश महासचिव पप्पू कनौजिया, संभागीय अध्यक्ष राम कुशल यादव , दिनेश डायमंड, जेपी कुशवाहा, राज पटेल, दिलीप सेन, संदीप कुशवाहा, शेखर पटेल, विकास सोनी ,करन पटेल, दीपक सिंह, कुलदीप नामदेव, केपी, दीनानाथ सेन, राजेंद्र सोनी, जितेंद्र आदि रहे।