अनूपपुर। जैतहरी में सुशासन दिवस पर आयोजित पीएम किसान सम्मान निधि राशि वितरण कार्यक्रम में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कृषि एवं किसानों के विकास योजनाओं पर जानकारी दी। खाद्य मंत्री ने कहा किसानों का हित शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। कृषि बिल किसानों के हित में है। इससे किसानों को कृषि उपज के विक्रय के लिए विकल्पों में एवं आर्थिक निर्णय शक्ति में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि राज्यों की कृषि उपज मंडी समितियों (एपीएमसी) के अधिकार पूर्व की तरह रहेंगे। इसलिए किसानों के पास सरकारी एजेंसियों का विकल्प खुला रहेगा। नए कृषि अधिनियम किसानों को अंतरराज्यीय व्यापार करने लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे किसान अपने कृषि उत्पादों को दूसरे राज्य में स्वतंत्र रूप से बेच सकेंगे तथा अपने उत्पाद का अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकेंगे। वर्तमान में राज्य कृषि उपज मडी समितियों द्वारा विभिन्न वस्तुओं पर 1 प्रतिशत से 10 फीसदी तक बाजार/मंडी शुल्क वसूल किया जाता है। लेकिन अब कृषि उपज मंडी समितियों के बाहर व्यापार पर कोई राज्य या केन्द्रीय कर नहीं लगाया जाएगा। मंडी प्रांगण के बाहर कोई मंडी टैक्स नहीं लिया जाएगा। कृषि उपज का स्वतंत्र क्रय- विक्रय होने से खरीदार और विक्रेता (किसान) दोनों को लाभ मिलेगा। कृषि करार में किसान अपने उत्पाद की कीमत फसल बोने के पूर्व ही करार के माध्यम से तय कर सकेंगे। करार केवल कृषि उपज के संबंध में होगा। इस करार के द्वारा किसी भी निजी एजेंसियों को किसानों की भूमि के साथ कुछ भी करने की अनुमति नहीं होगी और न ही कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग अध्यादेश के तहत किसान की जमीन पर किसी भी प्रकार का निर्माण होगा।
बॉक्स: बिचौलियों का टूटेगा चक्रव्यूह
समितियों के माध्यम से संचालित कृषि उत्पाद विक्रय प्रणाली में केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारी (जिसे आइतिया यानी बिचौलिया भी शामिल है) को कृषि उत्पाद के संबंध में व्यापार करने की अनुमति थी। लेकिन नया विधेयक किसी को भी पैन नंबर के साथ व्यापार करने की अनुमति देता है। इससे बिचौलियों का चक्रव्यूह टूट जाएगा। नए कृषि बिल से किसान सीधे व्यापारी से अपनी उपज का मूल्य तय कर सकेगा। वहीं पीएम किसान निधि योजना की जानकारी देते हुए बताया कि केन्द्र द्वारा ४ हजार और मुख्यमंत्री निधि सहित १० हजार दिए जाएंगे।
—————————————