सिंगरौली. जिले में बंद पड़ी पत्थर की खदानों का अब न केवल नवीनीकरण किया जा सकेगा। बल्कि शासकीय जमीन पर खनन के लिए नई लीज भी दी जा सकेगी। खनिज विभाग की ओर से इस बावत प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पिछले कई वर्षों से जिले में खदानों का नवीनीकरण और नई लीज जारी करने की प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
जल्द ही लंबित दो दर्जन से अधिक खदानों का नवीनीकरण कर दिया जाएगा। खनन प्रक्रिया शुरू होने से क्रशर प्लांट की संख्या में तेजी के साथ इजाफा होगा और विभाग के राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। शासकीय जमीन पर खनन के बावत लीज देने पर जून 2019 में एक याचिका पर हाइकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद मामला हाइकोर्ट जबलपुर पहुंचा।
अब हाइकोर्ट की फुल बेंच ने शासकीय जमीन पर खनन के लिए लीज देने की अनुमति दे दी है। अनुमति मिलने के बाद खनिज विभाग की ओर से न केवल 25 खदानों के नवीनीकरण के लिए प्रक्रिया शुरू है। बल्कि नई खदानों पर भी लीज देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पूरी उम्मीद है कि नए वर्ष में नई खदानों के साथ उन उद्यमियों की हसरत पूरी हो जाएगी, जो यहां क्रशर प्लांट संचालित करने के लिए आवेदन दे रखे हैं।
वर्तमान में लंबित हैं 50 से अधिक आवेदन
जिले में वर्तमान में क्रशर प्लांट संचालित करने के लिए 50 से अधिक आवेदन लंबित हैं। अधिकारियों का अनुमान है कि शासकीय जमीन पर लीज का आंवटन होते ही क्रशर प्लांट के लिए इससे कई गुना आवेदन और आ जाएंगे। इस स्थिति में राजस्व में बढ़ोत्तरी के साथ गिट्टी उद्योग और बृहद रूप ले लेगा। गौरतलब है कि यहां से गिट्टी की आपूर्ति उत्तर प्रदेश के वाराणसी सहित अन्य कई जिलों में की जाती है। खनन की अनुमति के बाद उद्यमियों को बड़ी राहत मिलेगी।
सीमा पार उत्तर प्रदेश से हैं ज्यादातर आवेदक
पत्थर के पहाड़ों में खनन के लिए आवेदन करने वाले ज्यादातर आवेदक सीमा पार उत्तर प्रदेश के हैं। दरअसल पूर्व में डाला में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था तो वहां के उद्यमियों ने पहाड़ की सीमा पार कर यहां खनन की योजना बनाई, लेकिन इस बीच इंदौर खंडपीठ की ओर से शासकीय जमीन में खनन पर रोक लगा दिया गया है। जिससे आवेदकों की मंसा पूरी नहीं हो सकी। फिलहाल अब उद्यमियों को खनन व क्रशर प्लांट संचालित करने का मौका मिलेगा।